राजनीति

विश्व पूंजीवाद संकट की दौर से गुजर रहा है: प्रोफेसर आलम भाकपा का तीन दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला शुरू…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद ;-पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की तीन दिवसीय राज्यस्तरीय पार्टी शिक्षक कार्यशाला शुक्रवार को जनशक्ति भवन पटना में शुरू हुई। कार्यशाला की अध्यक्षता रामबाबू कुमार ने की जबकि उद्धाटन प्रोफेसर जब्बार आलम ने किया। इस मौके पर भाकपा राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय, मार्क्सवादी चिंतक, केन्द्रीय पार्टी शिक्षा विभाग के सचिव अनिल राजिमवाले, न्यू ऐज के उपसंपादक कृष्णा झा, विजय नारायण मिश्रा, प्रमोद प्रभाकर, मिथिलेश झा आदि मौजूद थे। भाकपा राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने बताया कि यह कार्यशाला छह अगस्त तक चलेगी। पार्टी शिक्षक मार्क्सवादी चिंतक कृष्णा झा, अनिल राजिमवाले, प्रोफेसर रामेश्वर दास, विजेद्र केसरी और पूर्व सांसद अजीज पाशा विभिन्न विषयों पर क्लास लेगें। कार्यशाला में पूरे राज्य से चुने हुए पार्टी के नेता एवं जिला सचिव भाग ले रहे हैं, जो प्रशिक्षण लेने के बाद जिला, अंचल और शाखा स्तर पर आयोजित कार्यशाला में पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को भाकपा के विचारधारा से लैस करेंगे।
कार्यशाला का उद्धाटन करते हुए प्रोफेसर जब्बार आलम ने कहा कि विश्व पूंजीवाद के संकट की दौर से गुजर रहा है। पूंजीवाद जब संकट में होता है तो वह अपना रूप बदल लेता है। कभी कभी अपनी नीति भी बदल लेती है। मौजूदा केंद्र की भाजपा सरकार में मजदूरों, किसानों, दलितों, आदिवासियों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों का शोषण बढ़ा है। मोदी सरकार देश को फासीवादी रास्ते पर ले जा रही है और सभी फैसला पूंजीपतियों के पक्ष में ले रही है। उन्होंने कहा कि शोषण मुक्त समाज बनाने के लिए पूंजीवाद को समाप्त करना होगा। समाजवादी क्रांति से ही पूंजीवाद समाप्त होगा। इसके बाद ही साम्यवाद आयेगा। पूंजीवाद सबसे बड़ा शोषक है। पूंजीवादी व्यवस्था को समाप्त करना समय की मांग है।
मार्क्सवादी चिंतक कृष्णा झा ने कहा कि मार्क्सवादी विचारधारा की प्रासंगिकता बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि मणिपुर को डबल इंजन की सरकार ने हिंसा में झोंकने का कार्य किया। भारत को पूंजीवाद का गुलाम बनाने की कोशिश की जा रही है। केंद्र की मौजूदा सरकार पूंजीवादी व्यवस्था को आगे बढ़ा रही है। सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फासीवाद का प्रतिनिधि है। यह सरकार आरएसएस के एजेंडा को लागू कर रही है।आज के दौर में कम्युनिस्टों की जिम्मेवारी काफी बढ़ गई है।

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