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Workshop : विकसित राज्य की परिकल्पना शिक्षित राज्य से ही होती है पूरी

दो दिवसीय प्राचार्य एवं शिक्षक प्रशिक्षण सत्र का हुआ समापन 


रांची : राज्य के 80 सीएम स्कूल आफ एक्सीलेंस विद्यालयों के प्राचार्यों व प्रति विद्यालय एक शिक्षक के लिए दो दिवसीय ओरिएंटेशन एवं ट्रेनिंग कार्यशाला का दूसरा दिन एवं इस प्रशिक्षण सत्र का समापन किया गया। प्रशिक्षण का आयोजन डा. एस. राधाकृष्णन सहोदया स्कूल काम्प्लेक्स रांची और झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् (जेईपीसी) के द्वारा आयोजित किया गया। समापन समारोह में वंदना दादेल (IAS), प्रिंसिपल सेक्रेटरी टू चीफ मिनिस्टर, झारखंड सरकार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। समारोह में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् की राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी अतिथि रही एवं प्रशासी पदाधिकारी जयंत कुमार मिश्रा भी उपस्थित रहे।

कार्यशाला के दूसरे दिन की शुरुआत डा. राम सिंह, प्राचार्य डीपीएस रांची (DPS Ranchi) एवं अध्यक्ष डा. एस. राधाकृष्णन सहोदया स्कूल काम्प्लेक्स रांची के संबोधन से हुई। कहा कि हरेक शिक्षक का अधिकार आने वाली पीढ़ी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर उन्हें बौद्धिक तथा सामाजिक रूप से मजबूत बनाना होता है। एक विकसित राज्य की परिकल्पना शिक्षित राज्य से ही पूरी होती है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से लोकतांत्रिक नागरिकता की भावना का विकास, नेतृत्व करने की गुणों का विकास, समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना का बढ़ना आदि संभव है। प्रशिक्षण सत्र में सभी प्रतिभागियों को डीपीएस विद्यालय की विभिन्न कार्यनीतियों एवं गतिविधियों से भी अवगत कराया गया।

कार्यशाला के दूसरे दिन रवि प्रकाश तिवारी, प्राचार्य, डीएवी नंदराज स्कूल ने डेवलपिंग कम्पेटेन्सीज विषय पर कहा कि हर प्राचार्य से अपेक्षा की जाती है कि वे छात्रों को सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करने की दिशा में संस्थान का नेतृत्व करेंगे। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप सभी कार्यों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकें। एक शैक्षणिक संस्थान के प्रमुख के रूप में प्राचार्यों में नेतृत्व के गुण होने चाहिए। कर्मचारियों, संकाय सदस्यों और छात्रों को आपका सम्मान करना चाहिए और आपको आगे बढ़कर नेतृत्व करने में सक्षम होना चाहिए। प्राचार्यों को साफ्टवेयर और तकनीकी उपकरणों को संभालने में निपुण होना चाहिए। अपने शैक्षणिक संस्थान में नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करने और विकास के साथ अद्यतन रहने के लिए तैयार रहना चाहिए। 


प्राचार्यों ने ये कहा :
– नीता पांडेय, प्राचार्य, कैंब्रियन पब्लिक स्कूल ने पेडागोजिकल प्लानिंग विषय पर प्रतिभगियों को संबोधित किया। कहा विद्यालय समाज का वह केंद्र बिंदु है जहां भावी पीढ़ी में कौशल विकास सुनिश्चित किया जाता है। योजना निर्माण का उदेश्य है कि लक्ष्य निर्धारित समय में प्राप्त किया जा सके
– राजेश पिल्लई, प्राचार्य, कैराली स्कूल ने मेकिंग स्कूल इंक्लूसिव विषय पर कहा कि एक बच्चे के जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा स्कूल और कक्षा में बीतता है। इसलिए स्थान और आंतरिक डिजाइन स्कूल को सुरक्षित, सुलभ और समावेशी बनाने के लिए दो महत्वपूर्ण और संवेदी मुद्दे हैं। आदर्श रूप से एक स्कूल की आधारभूत और आंतरिक संरचना इस प्रकार होनी चाहिए कि यह सीखने के लिए एक प्रेरणादायी स्थान बनाए जो एकसाथ सीखने को बढ़ावा देता है
– डा. मनोहर लाल, पूर्व प्राचार्य, गुरु नानक हायर सेकेंडरी स्कूल एवं डा. एस. राधाकृष्णन सहोदया स्कूल काम्प्लेक्स रांची के एडवाइजर ने प्रतिभागियों को सहोदया स्कूल के इतिहास, उद्देश्य, महत्वपूर्ण सूचनाओं और सहोदया का विद्यालय के विकास में अहम भूमिका के बारे में बताया। कहा कि सीबीएसई के स्कूलों के बीच विचारों के तालमेल को सुविधाजनक बनाने के लिए सहोदया स्कूल में शामिल होना आवश्यक है
– अमित सिंह, प्राचार्य, ओडीएम सफायर ग्लोबल स्कूल ने एक्सपेक्टेशंस आफ सीबीएसई स्कूल विषय के अलावे सीबीएसई सर्कुलर का पालन करना, कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम की आवश्यकता, प्राचार्यों के प्रशिक्षण आदि जैसे मुद्दों पर चर्चा की।

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