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बीकेएमयू का 15 वां राष्ट्रीय सम्मेलन झंडोत्तोलन के साथ शुरू।..

कुणाल कुमार पटना। भारतीय खेत मजदूर यूनियन(बीकेएमयू) का 15 वां राष्ट्रीय सम्मेलन कॉमरेड भोला मांझी नगर और कामरेड जी मलेश सभागार गेट पब्लिक लाइब्रेरी, पटना में झंडोत्तोलन के साथ दो नवम्बर को शुरू हुआ। झंडोत्तोलन बीकेएमयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन पेरियासामी ने किया। जनसेवा दल के जवानों द्वारा झंडे की सलामी दी गई। सम्मेलन दो से पांच नवम्बर तक चलेगा। शाम छह बजे प्रतिनिधि सत्र की भी शुरुआत हुई।
बीकेएमयू के राष्ट्रीय महासचिव गुलजार सिंह गोरिया ने सम्मेलन के अध्यक्षमंडली,संचालन समिति आदि का प्रस्ताव पेश किया। जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। शोक प्रस्ताव दरियाव सिंह कश्यप ने पेश किया। सम्मेलन में दिवंगतों को दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गई। स्वागत समिति के अध्यक्ष व विधायक सूर्यकांत पासवान ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के 15वीं राष्ट्रीय सम्मेलन में आये आप सभी प्रतिनिधियों और अतिथियों का हम गर्मजोशी के साथ स्वागत करते हैं।
गुलाम भारत में बत्तानिया सरकार और उसके द्वारा स्थापित जमीदारी प्रथा के खिलाफ बिहार के किसानों का अनवरत संघर्ष इतिहास की अमूल्य धरोहर है। बिहार में किसानों की समस्याओं, उनके शोषण उत्पीड़न और सरकार द्वारा उन्हें दबाये जाने के विरुद्ध महात्मा गांधी स्वामी सहजानंद सरस्वती, महापंडित राहुल सांकृत्यायन, पंडित कार्यानंद शर्मा, यदुनंदन शर्मा और किशोरी प्रसन्न सिंह का अलग-अलग क्षेत्रों में शानदार संघर्ष इतिहास के पन्नों में दर्ज है। चाहे चंपारण में गांधी जी का सत्याग्रह हो, चाहे राहुल जी का अमवारी सत्याग्रह हो या कार्यानंद शर्मा का चानन और बड़हिया का संघर्ष हो या फिर यदुनंदन शर्मा की अगुवाई में नवादा और गया के किसानों के हक हकूक की लड़ाई हो, सबों ने किसानों की मुक्ति के लिए अविरल संघर्ष किया। बिहार में जमींदारी उन्मूलन के लिए जो संघर्ष हुए, उसकी परिणति के परिणाम स्वरूप आजादी मिलते ही यहां की सरकार ने जमींदारी उन्मूलन कानून पारित किया। हम किसान सभा के आंदोलन पर गौर करें तो यह केवल किसानों की समस्याओं से संबंधित नहीं था, बल्कि खेत मजदूरों की समस्याएं भी इसमें शामिल थीं। किसानों की जितनी कठिन समस्याएं थी. उससे भी ज्यादा कठिन समस्या खेत मजदूरों के जीवन में रही है। इस समस्या को सबसे पहले कार्यानंद शर्मा ने समझने का प्रयास किया और उन समस्याओं पर दस्तावेज भी तैयार किया। स्वामी सहजानंद सरस्वती ने अपने एक वृहद भाषण में खेत मजदूरों के सवालों को बड़े तार्किक ढंग से और मजबूती के साथ सामने रखा। जिसकी परिणति हुई कि किसान सभा से अलग खेत मजदूरों का स्वतंत्र संगठन बनाने की पहल शुरू हुई और 1956 में बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन की स्थापना हुई। तब से खेत मजदूरों की समस्याओं और उनके शोषण उत्पीड़न के खिलाफ जो संघर्ष शुरू हुआ, वह आज तक जारी है। सूबे बिहार में जमींदारी जोर जुल्म समाज में व्याप्त छुआछूत, बैठ बेगारी के खिलाफ, सिलिंग से फाजील जमीन, बिहार सराकर की जमीन एवं भुदान की जमीन वितरण कराने में बीकेएमयू का गौरव शाली इतिहास रहा है, हमने अपने दर्जनो नेताओं की शहादत दी है।इस मौके पर सीपीआई के राष्ट्रीय महासचिव डी राजा, राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय, सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव रामकृष्ण पांडा, बिहार राज्य खेत मजदूर यूनियन के महासचिव जानकी पासवान आदि मौजूद थे।

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