पुरुष नसबंदी को लेकर ठाकुरगंज की आशा कार्यकर्ता उषा देवी बनीं बदलाव की मिसाल
छह पुरुषों की नसबंदी कराकर समाज में जागरूकता की अलख जगाई, जिला व क्षेत्रीय स्तर पर हुईं सम्मानित

किशनगंज,18जुलाई(के.स.)। “परिवार की योजना सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी क्यों?” इसी सवाल को अपना हथियार बनाकर किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड की आशा कार्यकर्ता उषा देवी ने समाज में गहरी पैठ बना चुकी झिझक और भ्रम को तोड़ने का साहसी कार्य किया है। उन्होंने वर्ष 2024 में छह पुरुषों की नसबंदी सफलतापूर्वक कराकर न केवल एक सामाजिक बाधा को तोड़ा, बल्कि पूरे जिले के लिए एक प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत किया।
परंपरागत सोच में जहां परिवार नियोजन की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर डाल दी जाती है, वहीं उषा देवी ने इस धारणा को चुनौती दी। शुरुआत में उन्हें हंसी, उपेक्षा और विरोध का सामना करना पड़ा। लोग कहते—”नसबंदी से ताकत चली जाएगी”, “काम नहीं कर पाएंगे”, “लोग क्या कहेंगे”… लेकिन उषा देवी ने हार नहीं मानी। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से प्रशिक्षण लिया, जागरूकता पोस्टर बांटे और घर-घर जाकर patiently समझाया कि पुरुष नसबंदी एक सरल, सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है, जो पुरुष की कार्यक्षमता या जीवनशैली पर कोई असर नहीं डालती।
जिला और प्रशासनिक स्तर पर मिली सराहना
उषा देवी की इस पहल को जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने भी खुलकर सराहा। उन्हें जिला और क्षेत्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया। जिलाधिकारी विशाल राज ने हाल ही में एक बैठक में स्पष्ट कहा, “परिवार नियोजन की जिम्मेदारी दोनों की होनी चाहिए। पुरुषों को भी आगे आना होगा।”
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने जानकारी दी कि “परिवार नियोजन स्थिरता पखवाड़ा (11 से 31 जुलाई 2025) के अंतर्गत पुरुष नसबंदी पर विशेष बल दिया जा रहा है। आशा कार्यकर्ताओं को इस विषय में विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।” ठाकुरगंज अब एक प्रेरणास्त्रोत बन चुका है, जहां पुरुषों की सोच में सकारात्मक बदलाव देखा जा रहा है।
सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, एक सामाजिक क्रांति
जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच उषा देवी ने अपने क्षेत्र में छह पुरुषों की नसबंदी सफलतापूर्वक करवाई। वर्तमान पखवाड़ा में भी उन्होंने दो और पुरुषों को प्रेरित किया है। यही नहीं, अब वह अन्य आशा कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षित कर रही हैं कि पुरुषों से कैसे संवाद करें और कैसे भ्रांतियों को दूर करें।
परिवार की योजना—दोनों की जिम्मेदारी
आज जब मातृ मृत्यु दर और महिलाओं के स्वास्थ्य की चिंता बढ़ती जा रही है, तब पुरुषों की भागीदारी परिवार नियोजन के लिए अनिवार्य हो जाती है। उषा देवी जैसी कर्मठ महिला कार्यकर्ताओं की बदौलत किशनगंज जैसे ग्रामीण क्षेत्र में भी बदलाव की बयार बह रही है।
अब समय है कि समाज में “पुरुष नसबंदी” पर खुलकर चर्चा हो और हर परिवार स्वस्थ, संतुलित और सशक्त बन सके।
रिपोर्ट/धर्मेन्द्र सिंह