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:-: दाह संस्कार :-:

पटना डेस्क:-सनातनी ग्रंथो में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा हैं कि श्मशान क्षेत्रों में महिला प्रवेश नहीं कर सकती हैं। महिला का हृदय, पुरुषों की अपेक्षा, अधिक ममतामयी होता हैं और अपने प्रियजन की मृत्यु का शोक भी महिलाओं को अधिक होता हैं, इसलिए मानसिक अवस्था के आधार पर, श्मशान क्षेत्र में जाना वर्जित किया। अगर कोई महिला परिस्थितिनुसार या स्वेक्षा से, दाह संस्कार की प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहे, तो वह ऐसा कर सकती हैं। दाह संस्कार के पूर्व और बाद की सभी क्रियाओं में महिलाओं को, पुरुषों के समान ही अधिकार प्राप्त हैं। किसी कारणवश, परिवार में पुरुषों का अभाव होने या पुत्र संतान न होने पर, मृत व्यक्ति के दाह संस्कार से सम्बंधित कोई भी निर्णय, घर की महिलाओं को ही लेना अनिवार्य है। पूर्व में भी सीता जी द्वारा पिंडदान करके, इस बात को प्रमाणित किया गया हैं। विजय सत्य की ही होगी।

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