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*दानापुर-दीघा रोड स्थित “विवांटेस अस्पताल एवं रिसर्च इंस्टीच्युट” ने बचाया नाजिया खातून की जान*

जितेन्द्र कुमार सिन्हा::मोतीहारी की रहने वाली 22 वर्षीय नाजिया खातून को दो महीना पहले सिवान में समान्य डिलेवरी हुई थी। डिलेवरी के बाद नाजिया खातून के बच्चेदानी में कुछ अवशेष रह जाने के कारण स्थानीय चिकित्सक से ईलाज करवाने के क्रम में उसके बच्चेदानी में छेद हो गया, जिस के बाद आंत बच्चेदानी के रास्ते बाहर आने लगा और अवसाद का सड़ने लगा, इस भयंकर परेशानी के साथ नाजिया खातून की जान खतरे में आ गई। उक्त जानकारी उसके पति अफकार अलाम ने दी।

उन्होंने बताया कि परिजनों के द्वारा मोतीहारी के चिकित्सक से सर्जरी कराया गया। सर्जरी कराने के बाद लाभ होने की जगह रोगी की हालत और भी गंभीर हो गई। आनन-फानन में रोगी को बेहोशी की अवस्था में “विवांटेस अस्पताल एवं रिसर्च इंस्टीच्युट” में भर्ती कराया गया। यहां आने पर यहां के चिकित्सकों की तत्परता और कम खर्च में चिकित्सा शुरू की गई, जिससे नाजिया खातून को सिर्फ होश ही नहीं आया बल्कि अब बात भी करने लगी है।

पत्रकारों की एक टीम ने सोमवार को “विवांटेस अस्पताल एवं रिसर्च इंस्टीच्युट”, दानापुर-दीघा नहर रोड, रूपसपुर, पटना पहुंचा। इस टीम का नेतृत्व वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मधुकर और जितेन्द्र कुमार सिन्हा कर रहे थे। टीम में कुल 11 पत्रकार शामिल थे।

पत्रकारों ने सबसे पहले “विवांटेस अस्पताल एवं रिसर्च इंस्टीच्युट” का निरीक्षण किया। निरीक्षण के क्रम में देखा की इस अस्पताल में 2 सामान्य कोटि के वार्ड जिसमें महिला वार्ड और पुरुष वार्ड अलग-अलग था जिसमें क्रमशः 14 और 12 वेड थे, उसी प्रकार सिंगल रूम और सेयरिंग रूम की भी व्यवस्था है, जिसमें क्रमशः दो और तीन वेड की व्यवस्था है।

पत्रकारों के दल से बात करते हुए डॉ.अनिल ने बताया कि नाजिया खातून की स्थिति बहुत खराब थी इसलिए उसे यहां आते ही वेंटिलेटर पर रख कर समुचित जांच और उपचार शुरु किया गया। जांच के क्रम में देखा गया की नाजिया खातून को गंभीर संक्रमण, मस्तिष्क में रक्त का रिसाव और मस्तिष्क में पानी पाया गया। न्यूरो सर्जन के द्वारा सर्जरी करने के बाद मरीज की स्थित में काफी सुधार हुआ है, मरीज होश में है और बातचीत भी कर रही है।

उन्होंने बताया कि इस अस्पताल में कम से कम खर्च में बेहतर चिकित्सा देने की व्यवस्था की गई है। अभी इस अस्पताल में हृदय ऑपरेशन को छोड़कर सभी तरह की ऑपरेशन करने की व्यवस्था है।

पत्रकार के दलों को नाजिया खातून से मिलाया गया। पत्रकारों के प्रश्न को नाजिया खातून ने ध्यान से सुनी और कम शब्दों में उत्तर दी। पत्रकारों ने जब नाजिया खातून के पति से मिला तो उन्हें चिकित्सा और मरीज में हो रहे सुधार से संतुष्ट पाया। उनके पति अस्पताल के चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के सहयोगात्मक रवैया के लिए आभार व्यक्त कर रहे थे।

डॉ.अनिल ने बताया कि नाजिया खातून की तरह का केस लाखों में एक ही देखने को मिलता है |
विवांटेस अस्पताल में सभी तरह के उपकरण की व्यवस्था रहने और समय पर लेकर मरीज को लाने के कारण ही उनकी जान बची।

वहाँ के अन्य चिकित्सक ने बताया कि रोगी की हालात बिलकुल ठीक नहीं थी, बचने की उम्मीद भी नहीं थी, लेकिन प्रयास से ईलाज के बाद फिलहाल रोगी होश में आ गया है और बात भी करने लगी है।

डॉ अनिल ने बताया कि इस अस्पताल में अनुभवी चिकित्सक है, जिनके द्वारा यूरोलॉजी, नेफ्रोलोजी, एडवांस स्टोन ट्रीटमेंट, आईसीयू, एचडीयू, डायलिसिस, एडवांस लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, कान, नाक, गला, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी, प्लास्टिक सर्जरी, ब्रेन एवं स्पाइन सर्जरी पेट एवं लिवर रोग, गाइनी रोग, ऑर्टोपेडिक्स एवं ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, न्यूरोलोजी एवं न्यूरोसर्जरी जैसे आदि विमारियों की चिकित्सा की सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है।

देखा जाय तो सस्ती व्यय के साथ सुव्यवस्थित अस्पताल की आवश्यकता पटना में है और “विवांटेस अस्पताल एवं रिसर्च इंस्टीच्युट” इस पर लगता है की खड़ा उतरेगा।
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