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किशनगंज : डीएम की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर अंतर्विभागीय कार्य समूह की बैठक आयोजित।

फसलों के अवशेष प्रबंधन एवं पराली को खेतों में ना जलाने के संबंध में जागरूकता फैलाने का निर्देश।

  • फसल अवशेष जलाते पकड़े गए किसान 3 साल तक कृषि विभाग की लाभकारी योजनाओं से वंचित रहेंगे।
  • जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक में लिए गए कई निर्णय।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, डीएम श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर अंतर्विभागीय कार्य समूह की बैठक समाहरणालय सभागार में आयोजित की गई। डीएम ने फसलों के अवशेष को खेतों में ना जलाने हेतु किसानों के बीच जागरूकता फैलाने तथा फसलों के अवशेष को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर उपस्थित सभी विभागों यथा कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस इत्यादि के पदाधिकारियों को आपसी समन्वय स्थापित करते हुए किसानों के बीच जागरूकता उत्पन्न करने का कार्य करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इसका व्यापक प्रचार प्रसार किसानों के बीच करवाया जाए। उन्होंने किसान चौपालों में कृषि वैज्ञानिकों की उपस्थिति में किसानों को फसल जलाने से होने वाले नुकसान एवं पराली प्रबंधन की जानकारी देने का निर्देश दिया। बैठक में डीएम ने शिक्षा विभाग के पदाधिकारी को निर्देश दिया कि विद्यालयों में छात्रों को फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दी जाए। जीविका समूहों में परिचर्चा के माध्यम से एवं आंगनवाड़ी केंद्रों पर नामांकित बच्चों के अभिभावक किसानों को भी फसल अवशेष प्रबंधन के फायदों के संबंध में जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री द्वारा भी इसकी विस्तृत समीक्षा की जाती है। खेतों में कृषि अवशेष या पराली जलाते पाए जाने वाले किसानों को 3 साल तक कृषि विभाग के लाभकारी योजनाओं से वंचित कर दिया जाता है। फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में जन जागरण का कार्य करने में शिक्षा विभाग का मुख्य रोल रहेगा और सभी विद्यार्थियों को पराली जलाने के कुप्रभाव एवं फसल अवशेषों के प्रबंधन के फायदे पर जागरूक करने के लिए सामान्य भाषा में सरल शब्दों में दिलचस्प तरीके से जानकारी दी जानी चाहिए। इस विषय पर प्रभात फेरी भी निकाली जा सकती है। डीएम ने निर्देश दिया कि बच्चों एवं किसानों को चरणबद्ध तरीके से जागरूक करना है। फसल प्रबंधन के संबंध में स्पष्ट संदेश मीडिया से संबंधित सभी व्हाट्सएप ग्रुप में डालना है। बैठक में डीएम ने बताया कि फसल अवशेष को जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति को काफी नुकसान पहुंचता है एवं वातावरण के साथ मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की ओर से किसानों को अनुदान पर कई कृषि यंत्र उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि किसान खेतों में फसल अवशेष को ना जलाकर उसे यंत्र द्वारा खाद के रूप में परिवर्तित कर उपयोग कर सकें। जिला कृषि पदाधिकारी ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं। साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से हमारी मिट्टी में कम है, वह भी जलकर नष्ट हो जाता है, फलस्वरुप मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। उन्होंने जानकारी दी कि एक टन पुआल जलाने से 3 किलोग्राम पार्टिकुलेट मैटर, 60 किलोग्राम कार्बन मोनोक्साइ, 1460 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड, 199 किलोग्राम राख, 2 किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साइड उत्सर्जित होता है, जो हमारे वातावरण और वायुमंडल को प्रदूषित करता है। उन्होंने कहा कि पुआल जलाने से मानव स्वास्थ्य को भी काफी नुकसान पहुंचता है। सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, नाक में तकलीफ, गले की समस्या आदि उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि एक टन पुआल को जलाने की बजाय उसे मिट्टी में मिलाने से आवश्यक पोषक तत्व धरती को प्राप्त होता है, जैसे नाईट्रोजन-20 से 30 किलोग्राम, पोटाश-60 से 100 किलोग्राम, सल्फर-5 से 7 किलोग्राम, आर्गेनिक कार्बन-600 आदि, जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। गौरतलब हो कि पुआल नहीं जलाकर उसका प्रबंधन करने में उपयोगी कृषि यंत्र-स्ट्राॅ बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड-कम -फर्टिलाइजर ड्रिल, रीपर-कम- बाईंडर, स्ट्राॅ रीपर, रोटरी मल्चर इत्यादि यंत्रों पर अनुदान की राशि बढ़ा दी गई है। डीएम ने निर्देश दिया कि किसानों को इस बात के लिए प्रेरित किया जाए कि यदि फसल की कटनी हार्वेस्टर से की गई हो, तो खेत में फसलों के अवशेष पुआल, भूसा आदि को जलाने के बदले खेत की सफाई करने हेतु बेलर मशीन का उपयोग करें। अपने फसलों के अवशेष को खेत में जलाने के बदले उसमें वर्मी कंपोस्ट बनाएं या मिट्टी में मिलायें। मिट्टी एवं उसकी उर्वरा शक्ति को बचाकर किसान संधारणीय कृषि में अपना योगदान दें। डीएम ने यह भी निर्देश दिया कि प्रखंड स्तर एवं पंचायत स्तर पर भी कृषि विभाग से संबंधित योजनाओं का प्रचार प्रसार करने के लिए किसान कृषि समन्वयकों एवं किसान सलाहकारों को व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण कराया जाए और इस संबंध में खोले गए व्हाट्सएप ग्रुप की संख्या एवं सदस्यों की संख्या से संबंधित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने आत्मा एवं कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में किसानों को प्रशिक्षित करने एवं इनके बैठकों के निर्धारित समय एवं तिथि के व्यापक प्रचार प्रसार का निर्देश भी दिया। उन्होंने सभी संबंधित विभागों को अवशेष फसल प्रबंधन के संबंध में जागरूकता फैलाने हेतु दायित्व निर्धारित करते हुए निर्देश दिया कि इसका अनुपालन प्रतिवेदन एवं कृत कार्रवाई का प्रतिवेदन सभी संबंधित विभाग देना सुनिश्चित करेंगे। इसी बैठक के साथ जिला कृषि टास्क फोर्स की भी बैठक भी संपन्न हुई, जिसमें जिलाधिकारी ने पूर्व की बैठकों में दिए गए निर्देशों का अनुपालन करने के साथ रबी महोत्सव के प्रखंड स्तरीय आयोजन के दौरान फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में भी किसानों को जागरूक करने का निर्देश दिया। इस बैठक में उप विकास आयुक्त मनन राम, अपर समाहर्त्ता अनुज कुमार, सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर, निदेशक डीआरडीए विकास कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष गुप्ता, जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी, सहायक निदेशक/ उद्यान, सहायक निदेशक, कृषि अभियंत्रण, जिला सहकारिता पदाधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक सहित अन्तर्विभागीय कार्य समूह के सभी सदस्य उपस्थित थे।

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