किशनगंज : मनरेगा योजना में फर्जीवाड़ा का आरोप, उपसरपंच ने DDC से की जांच की मांग
ग्राम पंचायत जागीर पदमपुर में मुखिया एवं समिति पर गंभीर आरोप

पंचायत के पीआरएस, पीओ, पीटीए एवं जेई को अपने प्रभाव में लेकर एक ही योजना की दो बार स्वीकृति ली गई और उसी सड़क पर दो बार मिट्टीकरण और बांध का कार्य दिखाकर राशि की निकासी कर ली गई
किशनगंज,23जून(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, ग्राम पंचायत जागीर पदमपुर, अंचल दिघलबैंक से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मनरेगा योजना में भारी पैमाने पर अनियमितता और गबन के आरोप लगे हैं। पंचायत के उपसरपंच मोहम्मद नसीम आलम ने पंचायत की मुखिया शायेदा बेगम और पंचायत समिति सदस्य आश्मा खातून पर फर्जी हस्ताक्षर के जरिए योजनाओं की राशि का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।
उपसरपंच का कहना है कि मुखिया के स्थान पर उनके पुत्र सरफराज और समिति सदस्य के स्थान पर उनके पति डीलर अब्दुल लतीफ फर्जी हस्ताक्षर कर योजनाओं को पास करवा रहे हैं।
आरोप है कि पंचायत के पीआरएस, पीओ, पीटीए एवं जेई को अपने प्रभाव में लेकर एक ही योजना की दो बार स्वीकृति ली गई और उसी सड़क पर दो बार मिट्टीकरण और बांध का कार्य दिखाकर राशि की निकासी कर ली गई।
मोहम्मद नसीम ने बताया कि तालाब निर्माण के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किया गया है। “खोदा हुआ तालाब” को पहले ही योजना में दिखाया गया था, लेकिन उसे ही “दुना तालाब” के नाम से फिर से योजना में दर्शाकर कागजों में निर्माण कार्य दिखा दिया गया।
उपसरपंच ने 15 जून 2025 को इन आरोपों को लेकर पंचायत की मुखिया और समिति सदस्य से वर्ष 2023-25 तक की योजनाओं की जानकारी मांगी थी। लेकिन न केवल कोई स्पष्ट उत्तर दिया गया, बल्कि उन्हें समाजसेवा से दूर रहने की धमकी भी दी गई। उन्होंने कहा कि वे निस्वार्थ भाव से अपने क्षेत्र के विकास के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन मुखिया और समिति के इस रवैये से सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग हो रहा है, जिससे ग्राम समाज को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
उन्होंने डीडीसी किशनगंज से पूरे मामले की जांच कराने और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। इस शिकायत की प्रतिलिपि उन्होंने विकास मंत्री, जिलाधिकारी किशनगंज और मुख्यमंत्री बिहार सरकार को भी भेजी है। बताया जाता है कि दिघलबैंक प्रखंड के बांसबाड़ी गांव में नदी किनारे स्वर्गीय सहा आलम की जमीन से लगभग 12 फीट मिट्टी निकाल कर उपयोग किया गया। बाद में उसी स्थान पर मनरेगा योजना का बोर्ड लगा कर इन गड्डों को योजना के तहत किये गये कार्य दिखा दिया गया।
जॉब कार्ड धारी तमन्ना बेगम, नीमा खातून, रहमानी बेगम, गुलाबी परवीन, सीमा परवीन ने शपथ पत्र में स्वीकार किया है कि उन्होंने मनरेगा योजना के तहत कोई काम नहीं किया है। फिर भी उसके खाते में मजदूरी का भुगतान कर दिया गया। बताया जाता है कि दिघलबैंक प्रखंड में पीओ सहित अन्य लोगों की मिलीभगत से जॉब कार्ड के नाम पर फर्जी काम, फर्जी मजदूरी भुगतान के खेल धड़ल्ले से किया जा रहा है।
गौर करे की यह मामला मनरेगा जैसी महत्त्वपूर्ण योजना की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर कितनी तत्परता से संज्ञान लेता है।