राजनीति

यूसीसी का राजनीतिक और साम्प्रदायिक प्रयास निंदनीय।…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा तुच्छ राजनीतिक लाभ के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे का राजनीतिकरण और सांप्रदायिक धु्रवीकरण करने के हालिया प्रयास की निंदा की है।

उन्होंने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार द्वारा बिहार में समान नागरिक संहिता नहीं लागू करने की घोषणा का स्वागत करते हुए केन्द्र सरकार से समाज की विविधता को ध्यान में रखते हुए मामले में सभी हित धारकों से परामर्श करने का आग्रह किया है।

भाकपा राज्य सचिव ने बयान जारी कर कहा कि 21वें विधि आयोग ने स्पष्ट रूप से राय दी थी कि समान नागरिक संहिता की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान विधि आयोग ने इसकी उपेक्षा करते हुए उचित मसौदा और चर्चा किए बिना ही यूसीसी के बारे में लोगों की राय आमंत्रित की है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी लैंगिक समानता के पक्ष में है परंतु एकरूपता समानता नहीं है।

भाकपा राज्य सचिव ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा लेने के लिए फिर से यूसीसी का मामला उछाला जा रहा है। भाजपा महिला विरोधी है। भाजपा के नौ वर्षों के कार्यकाल में महिला उत्पीड़न में बढ़ोतरी हुई है। महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। ताजा घटना मणिपुर की हैं। जहां महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है। महिलाओं को नंगा कर घुमाया जाता है और सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर दी जाती है। भाकपा इस तरह की कार्रवाई की भर्त्सना करती है।

राज्य सचिव पाण्डेय ने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सांसद गीता मुखर्जी ने पहली बार लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश की थी। यह बिल 2010 में राज्यसभा से पारित भी हो गया, लेकिन लोकसभा से अभी तक पारित नहीं हो सका है। भाजपा अपने नौ वर्षों के कार्यकाल में कभी भी महिला आरक्षण पर चर्चा नहीं की। अगर भाजपा महिलाओं के पक्ष में होती तो कब हंी संसद से महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया होता। अब लोकसभा का चुनाव नजदीक आया है तो एक बार फिर भाजपा ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए यूसीसी का मुद्दा उठाया है। देश की जनता भाजपा की बहकावे में आने वाली नहीं है वह 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने का कार्य करेगी।

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