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​भारत सरकार के अधीन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, पटना का पाँच दिवसीय आई.पी.एम. ओरिएंटेसन प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ समापन।…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/भारत सरकार के अधीन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, पटना द्वारा पटना में आयोजित पाँच दिवसीय आई.पी.एम. ओरिएंटेसन प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शुक्रवार (15.11.2024) को हुआ।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डा० अवनीश श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक,पौधा संरक्षण, बिहार सरकार ने प्रशिक्षुओं से उनकी प्रशिक्षण से होने वाले ज्ञानार्जन से संबंधित उनकी राय और फीड बैक ली गई। उन्होंने किसानों को आईपीएम के महत्व के बारे में समझाने के लिएप्रशिक्षुओं को प्रेरित किया गया।
केंद्र के प्रभारी अधिकारी विवेक कान्त गुप्ता, वनस्पति संरक्षण अधिकारी ने प्रशिक्षुओं से आग्रह किया गया कि वे प्रशिक्षण के दौरान सिखायी गई सारी जानकारी को किसानों के बीच प्रचार प्रसार करें।

इस पाँच दिवसीय आई. पी. एम. ओरिएंटेसन प्रशिक्षण कार्यक्रम में पाँच दिनों के दौरान पौधा संरक्षण से संबन्धित विभिन्न विषयों पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, पटना एवं राज्य सरकार से आमंत्रित जाने माने विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान दिया गया जिनमें मुख्यतः डा० मो० मोनोब्रुल्लाह, प्रधान वैज्ञानिक, डा० अभिषेक दुबे, वैज्ञानिक,भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना, डा० एस० पी० सिंह, प्रधान वैज्ञानिक, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, पटना, डा० राहुल कुमार,सहायक निदेशक, बिहार सरकार, सुनील सिंह, वनस्पति संरक्षण अधिकारी, श्री सैयद अहसन सज्जाद, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी, कुलदीप कुमार,सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी, रश्मि शंकर, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी,राजेश यादव, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी, इत्यादी सम्मिलित हुये।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य सरकार के कृषि विभाग के प्रसार अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया जिनको प्रशिक्षण के बाद केंद्र के प्रभारी अधिकारी विवेक कान्त गुप्ता, वनस्पति संरक्षण अधिकारी की उपस्थिति में मुख्य अतिथि डा० अवनीश श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक, पौधा संरक्षण,बिहार सरकार द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के समापन समारोह में सभी प्रशिक्षुओं द्वारा ये आश्वासन दिया गया कि वे अपने कार्यक्षेत्र में लौटकर आई० पी० एम० की तकनीक का किसानों के बीच प्रचार प्रसार करेंगे।
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