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ठाकुरगंज : मियावाकी तकनीक के आधार पर वाहिनी की भूमि में वृक्षारोपण

पेड़ न केवल कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं बल्कि वातावरण से कई अन्य हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करते हैं

किशनगंज, 14 जुलाई (के.स.)। फरीद अहमद, जिला में मियावाकी तकनीक के आधार पर वाहिनी की भूमि बेलवा में वृहद् स्तर पर वृक्षारोपण कार्यकम का आयोजन रविवार को किया गया। इस वर्ष 19वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल, ठाकुरगंज को वाहिनी की चयनित भूमि बेलवा में मियावाकी तकनीक से सघन वन विकसित करने का लक्ष्य दिया गया है।स्वर्ण जीत शर्मा, कमान्डेंट, 19वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल ठाकुरगंज के द्वारा सुधीर कुमार, महानिरीक्षक, सीमांत मुख्यालय सिलीगुड़ी के साथ साथ सभी अधिकारियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। इस लक्ष्य की प्राप्ति के प्रथम, चरण में वाहिनी की चयनित भूमि बेलवा में सुधीर कुमार, महानिरीक्षक, सीमांत मुख्यालय, सशस्त्र सीमा बल, सिलीगुड़ी की गरिमामयी उपस्थिति में रविवार को सर्वप्रथम स्थानीय ग्रामीण नूर मोहम्मद एवं बच्चों के द्वारा वृक्षारोपण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। जिसमें महानिरीक्षक के साथ शिव दयाल, उप महानिरीक्षक, अशोक कुमार ठाकुर, उप महानिरीक्षक, ए. के. सी. सिंह, उप महानिरीक्षक और दिवाकर भट्ट, कमांडेंट (संचार) एवं बचाव दल टीम (RRT) के  साथ साथ वाहिनी के समस्त अधिकारीगणों, अधीनस्त अधिकारियों और जवानों द्वारा वृक्षारोपण किया गया। महानिरीक्षक ने कार्यक्रम के दौरान बताया कि मियावाकी तकनीक का प्रतिपादन जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा किया गया था, जिसमें किसी खाली स्थान में जंगल उगाकर शहरी वनीकरण के लिए इस अनूठी विधि का प्रयोग हाल ही में भारत में अपनाया है। इस विधि के अंतर्गत पौधों को एक दूसरे से कम अंतराल में लगाया जाता है, पौधे सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर ऊपर की ओर बढ़ते हैं और सघनता के कारण नीचे उगने वाले खर पतवार को प्रकाश न मिलने के कारण पौधों का विकास जल्दी होता है। वृक्ष हमारे पर्यावरण के अभिन्न अंग हैं। धरती पर पेड़ पौधों के अस्तित्व के बिना मनुष्य, जानवरों और अन्य प्रजातियों का अस्तित्व संभव नहीं है। वृक्ष लगाने का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि वे कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का आदान-प्रदान करते हैं। पर्यावरण में ऑक्सीजन की जरूरत सभी को ज्ञात है। वृक्ष वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हानिकारक गैसों को न केवल अवशोषित करते हैं बल्कि जल प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पेड़ न केवल कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं बल्कि वातावरण से कई अन्य हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करते हैं जिससे वातावरण को ताजगी मिलती है। पेड़ों पर फल लगते हैं जो पक्षियों, जानवरों और मनुष्यों के लिए भोजन हैं। गाय, बकरियां और अन्य शाकाहारी जानवर भी वृक्षों के पत्ते खाते है। वे गर्मी के असर को कम करने में मदद करते हैं। उनसे प्राप्त ठंडक का असर ऐसा है कि यह आसपास के स्थानों में 50% तक एयर कंडीशनर की आवश्यकता को कम कर सकता है। पक्षी पेड़ों पर घोंसलों को बनाते है जिससे उन्हें आश्रय मिलता है।अधिक से अधिक पेड़ लगाने से प्रदूषित हवा से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी। यह सही समय है जब हम पेड़ों के रोपण के महत्व को पहचाने और इस दिशा में जितना हो सके उतना योगदान करने की जिम्मेदारी ले सकें। वृक्षारोपण के द्वारा ही हम धरती पर अपने अस्तित्व की रक्षा कर सकते है। पर्यावरण बचाने का कार्य हम अपने घर से ही शुरू कर सकते हैं। कोशिश करें कि एक पौधा जरुर लगायें, ध्यान रखें कि प्रकृति सुरक्षित तो मानव जीवन भी सुरक्षित। इस कार्यक्रम के दौरान सुनील कुमार, सहायक कमांडेंट (संचार) सहित बल के समस्त अधीनस्थ अधिकारी एवं बल कार्मिक उपस्थित रहे।

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