राजनीति

अगिआंव विधानसभा के दर्जनों गांवों में निकला मशाल जुलूस प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर राष्ट्रीय बेरोजगार‌ दिवस मना।।…..

गुड्डू कुमार सिंह गड़हनी/ 17सितंबर 2020
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जन्मदिन के मौके पर इनौस व  देश भर के छात्र युवा राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस मना रहे हैं , इसी के तहत अगिआंव विधानसभा के दर्जनों गांवों में इनौस व आइसा ने मशाल जुलूस निकाला।
गड़हनी के बागड़ मोड़ पर माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य व इनौस राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल के नेतृत्व में सैकड़ों छात्रों युवाओं ने मशाल जुलूस निकाला।
मशाल जुलूस में इनौस प्रखंड संयोजक सोनू कुमार , अगिआंव इनौस संयोजक जितेंद्र पासवान , अखिलेश , आइसा नेता उज्जवल भारती,  गड़हनी के इनौस अध्यक्ष शिब्बू , सचिव आनंद कुमार , कुरकुरी के इनौस अध्यक्ष हरिनारायण साह व सचिव धनकिशोर रजक , अनीस , अरशद परवेज , निकू अली ,  अफजल , जफर , दानिश , असलूब , फैसल , रितेश गुप्ता , आदि अपने गांव में उतरे।
छात्र युवा नारे लगा रहे थे और प्लेकार्ड पर दर्शा रहे थे
*युवा मांगे रोजगार नहीं तो दो हर महीने 10 हजार*
*पीएम मोदी रोजगार दो या इस्तीफा दो!*बिहार बेरोजगारी में नंबर वन,नीतीश-मोदी जवाब दो!*

*पिछले छह वर्षों में कितने लोगों को रोजगार मिला और कितनों की छंटनी हुई, नरेंद्र मोदी  श्वेत पत्र जारी करो ।

*रेलवे को बेचना बंद करो, सभी रिक्त पदों को अविलंब भरो!*

इनौस राष्ट्रीय अध्यक्ष व माले केन्द्रीय कमेटी सदस्य मनोज मंजिल ने कहा कि
केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज देश एतिहासिक संकट के दौर से गुजर रहा है। सरकार के बेतुका नोटबंदी, अतार्किक जीएसटी के कारण पहले से तबाही झेल रहे देश के छत्र-नौजवान, किसान, खेतिहर मजदूर, छोटे-मध्यम कारोबारी, बिना प्लानिंग के लॉकडाउन के कारण और भी तबाह हो गए हैं। हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा करके सत्ता मे आई नरेंद्र मोदी सरकार नए रोजगार का सृजन करना तो दूर पहले से भी मौजूद रोजगार के अवसरों को खत्म करते जा रही है। बेरोजगारी के मामले में आजाद भारत में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। आजादी से लेकर अब तक जीतने भी पब्लिक सैक्टर यूनिट्स बने, कायदे से उनका और भी विस्तार होना चाहिए था, उनको एक-एक करके बेचा जा रहा है। मोदी सरकार ने एक साथ ही भारतीय रेल के साथ-साथ दर्जन भर पीएसयू जैसे कोल इंडिया, बीपीसीएल, एलआईसी, बीएसएनएल, एमटीएनएल, एयर इंडिया, ओएनजीसी, बीएचईएल, गेल इंडिया लिमिटेड एचपीसीएल, को बेचने का काम शुरू कर दिया है।

भारतीय रेलवे को बेचने के प्लानिंग के साथ ही सरकार ने रेलवे के 50 प्रतिशत पदों को खत्म कर दिया। सीबीआईटीसी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस) करीब 38586 (42 प्रतिशत) पद खाली हैं। 2019 में सीजीएल 2017 के 1650 पदों को खत्म कर दिया गया। इसके आलवे दिल्ली पुलिस, आयकर विभाग, सेंट्रल एक्साइज विभाग, जल आयोग, कॉर्पोरेट अफेयर्स, प्रत्यक्ष कर विभाग, सांख्यकी मंत्रालय, रक्षा विभाग, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, कैग में लाखों पद खाली हैं। इसके अलावे असंगठित क्षेत्र में करोड़ों लोग बेरोजगार हुए हैं जिनके लिए मोदी सरकार का राहत पैकेज महज हवाबाजी साबित हुआ। आज असंगठित क्षेत्र में अपनी नौकरियाँ गँवाने वाले लोगों के सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो गई है।

बिहार-उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में पिछले दिनों जो भी रही-सही वैकेसिंया निकली हैं सबके सब लीक-लूट-सेटिंग के भेंट चढ़ गईं हैं। उत्तरप्रदेश का 69000 शिक्षक बहाली हो या बिहार का दारोगा, एसटीईटी से लेकर टोपर घोटाला तक ने तो इस दुनिया का नया कीर्तिमान ही स्थापित कर लिया। सरकारों के द्वारा रोजगार छीनने व रोजगार के अवसर सृजित करने वाले संस्थाओं को बेचने के इस खतरनाक माहौल में देश के नौजवानों ने भी ठान लिया है अब आर होगा पार। अब रोजगार मिलेगा या सरकार जाएगी। देश में जहां-जहां भी चुनाव होगा देशभर के नौजवान पूरी ताकत से सरकार को उखाड़ फेंकेगे जिसने

नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। आने वाले महीने में बिहार का चुनाव संभावित है, 15 साल से नीतीश कुमार के शासन में रोजगार के नाम पर नौजवानों को सिर्फ ठगी हाथ लगी है। प्रदेश में ना कोई कल-कारखाने लगे ना ही रोजगार के अन्य अवसरों का सृजन हुआ। देश के नौजवानों ने ठान लिया है कि इस चुनाव में भाजपा की गोद में बैठी नीतीश सरकार को करारा जबाव मिलेगा और नौजवानों से की गई गद्दारी के लिए इनको उखाड़ फंेका जाएगा।

नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार ने रोजगार के लिए कोई नए अवसर सृजित तो नहीं ही किया बल्कि पहले से भी जो अवसर मौजूद थे उसे भी खत्म कर दिया। नए कल-कारखाने खोलने की बात तो दूर पुराने कई कल-कारखाने बंद हो गए। सरकारी क्षेत्र में जो भी नौकरियां थीं उसे भी ठेका मानदेय पर बहाली कर संभावनाओं को भी खत्म कर दिया गया। नीतीश सरकार की नाकामियों के

चलते आज बिहार में चारों ओर निराशा व आक्रोश का माहौल है। आशा कार्यकर्ताओं से लेकर स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं, स्कूलों में खाना बनाने वाली रसोइया, स्कूल-कॉलेज के शिक्षक-कर्मचारी, किसान, मजदूर, छोटे-मध्यम कारोबारी, छात्र-नौजवान तक सभी आंदोलन कर रहे हैं और इस आने वाले चुनाव में नीतीश-भाजपा को सबक सिखाने व सत्ता से उखाड़ फेंकने का मन बना रहे हैं। इस चुनाव में बिहारियों की तरफ से नीतीश-भाजपा को करारा जबाब मिलेगा।

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