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किशनगंज : टीबी मरीज़ों की इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए पोषण युक्त भोजन करना आवश्यक: डा० इनाम उल हक़

टीबी एक संक्रामक रोग है। इसकी पहचान में देरी होने से उपचार शुरू होने तक रोगी अपने संपर्क में आने वाले 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है

किशनगंज, 26 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले को टीबी मुक्त बनाने की कवायद तेज हो गयी है। 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इस अभियान को जन-आंदोलन बनाने का भी प्रयास किया जा रहा है। टीबी एक संक्रामक रोग है। इसकी पहचान में देरी होने से उपचार शुरू होने तक रोगी अपने संपर्क में आने वाले 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है। इसीलिए टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए संक्रमण का चक्र तोड़ना बहुत ज्यादा जरूरी है। जिले में टीबी मरीज़ों के बीच जागरूकता अभियान चलाने को लेकर यक्ष्मा नियंत्रण केंद्र के द्वारा आशा के माध्यम से लगातार जागरूकता फैलाई जा रही है। इसके अलावा टीबी चैंपियन भी कई क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चला रहे हैं। मधुमेह के मरीज, स्टेरॉयड लेने वाले और एचआईवी मरीजों को भी खतरा ज्यादा रहता है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डा० इनाम उल हक़ ने कहा कि आगामी 2025 में देश को टीबी मुक्त कराने के लक्ष्य को हर हाल में पूरा करने में सभी को बढ़ चढ़ कर कार्य करने की आवश्यकता है। क्योंकि जब तक सामुदायिक स्तर पर हम एक साथ मिलकर टीबी बीमारी से ग्रसित मरीज़ों को जागरूक नहीं करेंगे तब तक सरकार का सपना पूरा नहीं होगा। जनप्रतिनिधियों को भी क्षेत्र भ्रमण के दौरान रोगियों को नियमित रूप से दवा खाने के साथ ही पौष्टिक आहार लेने के लिए जागरूक करना होगा। दरअसल अच्छी खान-पान नहीं करने वाले व्यक्तियों को टीबी की बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है। क्योंकि कमजोर इम्युनिटी से उनका शरीर बैक्टीरिया का वार नहीं झेल पाता है। इसके अलावा जब कम जगह में ज्यादा लोग रहते तब इंफेक्शन तेजी से फैलता है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने कहा कि जिले के सभी टीबी चैंपियन एवं आशा अपने-अपने क्षेत्रों में टीबी मरीजों से संपर्क स्थापित कर उनको बीमारी से संबंधित जानकारी देते हुए नियमित रूप से दवा खाने को लेकर जागरूक करेंगी। ताकि लगातार छः महीने तक दवा खाकर पूरी तरह से टीबी मुक्त हो सकें। सभी टीबी चैंपियन अपने क्षेत्रों में डोर टू डोर भ्रमण कर जागरूकता अभियान चलाकर टीबी संक्रमित मरीजों को जानकारी देंगे। दवा सेवन करने के दौरान पोषण युक्त भोजन लेने के लिए सलाह देते रहेंगे। टीबी बीमारी से संक्रमित मरीजों के घर वालों की बलग़म जांच के साथ ही एक्सरे कराने को लेकर भी जागरूकता अभियान चलाएंगे। सबसे अहम बात यह है कि दवा सेवन के दौरान किसी भी तरह के नशा का सेवन नहीं करेंगे। क्षेत्र भ्रमण के दौरान मरीज़ों को इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने के लिए पोषण से भरपूर खासकर प्रोटीन डाइट जैसे-सोयाबीन, दाल, मछली, अंडा, पनीर की मात्रा ज्यादा लेने के लिए जागरूक करना होगा। क्योंकि कमजोर इम्युनिटी से टीबी के बैक्टीरिया के एक्टिव होने के संभावना ज्यादा होती है। जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने सभी जिलेवासियों से निक्षय मित्र बनकर टीबी के खिलाफ जंग को मजबूती देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह जिला ने सम्मालित प्रयासों से कोरोना के खिलाफ जंग जीती उसी प्रकार टीबी के खिलाफ जीतने के लिए सम्मिलित प्रयास किया जाना आवश्यक है। इसलिए उन्होंने सक्षम व्यक्ति, जिम्मेदार सरकारी व गैर सरकारी संस्था के प्रतिनिधियों से टीबी उन्मूलन अभियान को गति प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा संचालित निक्षय मित्र अभियान से जुड़ने की अपील की। डा० हक़ ने बताया कि जिला यक्ष्मा कार्यालय के द्वारा संयुक्त रूप से किशनगंज ग्रामीण के महेश्बथना एवं रेड क्रॉस सोसाइटी के द्वारा किशनगंज शहरी क्षेत्र के 11 मरीज को गोद लिया गया है। विदित हो कि जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के हाथों 10 टीबी संक्रमित मरीजों को फ़ूड पैकेट्स विश्व रेड क्रॉस सोसाइटी दिवस के दिन उपलब्ध करवाया गया था। वहीं एथलीट सह युवा समाजसेवी गुलाम मुर्तुजा एक मरीज को गोद लेकर निश्चय मित्र बने हैं। साथ हीं टीबी उन्मूलन के प्रयासों के तहत सरकार द्वारा संचालित निक्षय मित्र योजना की समुचित जानकारी मरीजों को उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने बताया कि गोद लिये गये टीबी मरीजों के बीच हर माह उनके द्वारा फूड बास्केट उपलब्ध करायी जायेगी। फूड बास्केट में तीन किलो चावल, डेढ़ किलो दाल, खाद्य तेल, विटामिन टैबलेट सहित बेहतर पोषण से जुड़ी अन्य जरूरी चीजें शामिल होंगी।

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