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हेमंत सोरेन के राज में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है – देवेश तिवारी

नवेंदु मिश्र

मेदिनीनगर-दिल्ली भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता देवेश तिवारी ने पलामू भ्रमण के दौरान झारखंड में फैली अराजकता पर चिंता जाहिर की है। गुरूवार को पलामू मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए देवेश तिवारी ने बताया कि झारखंड के पलामू का निवासी होने की वजह से झारखंड सरकार के रवैए से चिंतित हैं। सरकार बनाने से पहले हेमंत सोरेन के द्वारा जारी की गई मेनोफेस्टो में नब्बे फीसदी वादा पूरा नहीं कर पाई है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में आम जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। बेरोजगारी एवं पलायन प्रदेश के लिए अभिशाप बन गई है। पुलिस प्रशासन का अपराध पर कोई नियंत्रण नहीं है। अपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने के बजाय पुलिस बालू माफिया और भू माफिया को संरक्षण देने में व्यस्त है। सिंचाई और पेयजल के लिए किसान और आम आदमी त्राहि-त्राहि कर रहा है। किसानों कर्ज तले दबा जा रहा है, राज्य भर में भूखमरी बढ़ रही है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं है वहीं विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं, और एक्सीलेंस स्कूल के नाम पर झूठी वाहवाही बटोरी जा रही है। झारखंड में खासकर पलामू की हालात बेहद चिंताजनक है। यहां आम आदमी डर के साए में जिंदगी गुजारने को विवश है। युवा रोजगार के अभाव में मुख्यधारा से भटक रहे हैं। पलामू के लहलहे से निकलकर देश की राजधानी दिल्ली में मुकाम पा चुके देवेश तिवारी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष पद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। उसके उपरांत दिल्ली के लोकप्रिय सांसद मनोज तिवारी के सहायक के रूप में पूर्वांचल क्षेत्र के लोगों का मजबूत आवाज बन कर उभरे। वर्तमान दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता के तौर पर अपना कर्तव्य का निर्वहन कर रहे देवेश तिवारी ने बताया कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में विधि व्यवस्था चौपट है। गरीबों का आवास बनना मुश्किल हो गया है। बालू की कालाबाजारी को बढ़ावा देकर राजस्व को भी काली कमाई में तब्दील कर मंत्री से लेकर संतरी तक मालामाल हो रहे हैं। ट्रांसफर पोस्टिंग में उगाही करने वाली सरकार का प्रशासन पर कोई लगाम नहीं है, वैसे ही पुलिस प्रशासन से अपराधियों को कोई डर नहीं बचा है। परिस्थिति यह है कि अपराधिक घटनाएं झारखंड खासकर पलामू में तेजी से बढ़ती जा रही है, जनता आक्रोशित है, लेकिन सरकार और प्रशासन पर कोई असर नहीं है। लोग न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। यही हालात झारखंड में अन्याय, अत्याचार एवं अराजकता को फैलाने वालों को सत्ता से बेदखल करेगी।

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