भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए साइंटिफिक टेंपरामेंट (वैज्ञानिक दृष्टिकोण) को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।।…

आईआईएसएफ : विज्ञान एवं आत्मनिर्भर भारत” विषय पर वेबिनार का किया गया आयोजन*
त्रिलोकी नाथ प्रसाद:- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के पटना स्थित प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) तथा रीजनल आउटरीच ब्यूरो (आरओबी) के संयुक्त तत्वावधान में आज “आईआईएसएफ : विज्ञान एवं आत्मनिर्भर भारत” विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए पीआईबी एवं आरओबी पटना के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए साइंटिफिक टेंपरामेंट को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि देश की रूढ़िवादिता एवं अंधविश्वास इस दिशा में एक अवरोध है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के सहयोग से देश को आत्मनिर्भर बनाने की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से ही माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने वर्ष 2015 से भारतीय अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आई.आई.एस.एफ.) की शुरुआत की है।
वेबिनार को संबोधित करते हुए पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार ने कहा कि साइंस हमें टेक्नॉलॉजी की ओर ले जाता है और टेक्नोलॉजी टूल्स की ओर और अंततः टूल्स ही हमें आत्मनिर्भरता की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि आज हम विदेशी तकनीक के टूल यूजर बनते जा रहे हैं। हमारे रग-रग में विज्ञान का प्रवेश हो चुका है। उन्होंने कहा कि आज प्रौद्योगिकी विशिष्टिकरण के दौर में आत्मनिर्भरता एक द्वंद्व का सामना कर रही है
वेबिनार में अतिथि वक्ता के रूप में शामिल बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ अशोक कुमार घोष ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाना एक बहुत बड़ा कार्य है और इस कार्य में थोड़ा वक्त लग सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि भारत में संभावनाएं असीम हैं। भारत की 52 फ़ीसदी आबादी 25 साल से कम उम्र की है। यह देश के लिए एक संपत्ति के रूप में है। हमें इसे सही दिशा में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समय के साथ जिस तरह देश अनाज उत्पादन के मामले में हरित क्रांति की वजह से आयातक देश से निर्यातक निर्यातक देश में तब्दील हो गया है, उसी प्रकार कई क्षेत्रों में हम लोग आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर हैं। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि देश के आईआईटी जैसे उच्च संस्थानों से पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं एवं अच्छे वैज्ञानिक विदेश चले जाते हैं। वे वहां विज्ञान की नई-नई तकनीकों का विकास एवं सॉफ्टवेयर विकसित करने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहुत सारे रिसर्च समाज तक नहीं पहुंच पाते हैं। वह केवल रिसर्च दस्तावेज के रूप में ही सिमट कर रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि एक नेशनल पोर्टल बनाए जाने की आवश्यकता है, जिस पर देश के कोने-कोने से रिसर्चर अपने फाइंडिंग्स को प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि हमारे देश में जरूरी क्षमता, संस्थान, मानव शक्ति तथा वैज्ञानिक अभिरुचि मौजूद है। हमें सिर्फ सही पर्यावरण बनाने की जरूरत है।
वेबिनार में अतिथि वक्ता के रूप में शामिल CSIR NML जमशेदपुर के मुख्य वैज्ञानिक सह नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज झारखंड राज्य चैप्टर के अध्यक्ष डॉ अरविंद सिन्हा ने कहा कि जब तक देशवासियों में साइंटिफिक टेंपरामेंट नहीं आएगा तब तक हम भारत को आत्मनिर्भर नहीं बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि पहले हमें खुद आत्मनिर्भर होना होगा तभी हम भारत को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि साइंटिफिक टेंपरामेंट को पैदा करने के लिए हमें अपनी शिक्षा नीति में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा कि विज्ञान को विषय नहीं बल्कि इसे स्किल बनाए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज का जो विज्ञान है, उसमें भारत के न्यूमेरिकल नंबर का योगदान अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से सभी सरकारों ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया है। लेकिन इसके बावजूद हम विज्ञान एवं तकनीक में पिछड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि विज्ञान ,तकनीक ,नवाचार उत्पादन और विपणन में सरलरेखीय संबंध नहीं होता। उन्होंने भारत में विज्ञान और वैज्ञानिक सोच समझ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की भी रूपरेखा भी रखी।
वेबिनार में अतिथि वक्ता के रूप में शामिल सीएसआईआर सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च धनबाद के मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर जय कृष्ण पांडे ने कहा कि 2015 से शुरू किया गया भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव आज वृक्ष से वटवृक्ष बन गया है। उन्होंने कहा कि जहां 2015 में आईआईएसएफ में केवल आठ विषय थें, वहीं 2020 के छठे विज्ञान महोत्सव में विषयों की संख्या बढ़कर 41 हो गई हैं। उन्होंने कहा कि समाज का हर वर्ग विज्ञान से भली-भांति परिचित हो, इसके लिए ही आईआईएसएफ जैसे महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तकनीक को विकसित करके ही हमलोग आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को पूरा कर सकते हैं।
वेबिनार में अतिथि वक्ता के रूप में शामिल जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के रीजनल सेंटर, पटना के वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद से लेकर हमलोग तकनीक के मामले में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि 1990 से पहले डॉल्फिन की पहचान हेतु हमें अमेरिका पर आश्रित होना पड़ता था। लेकिन सेंसर की नई तकनीक की वजह से हमलोगों ने डॉल्फिन की पहचान करना सीखा और आज हम विदेशी मदद के बिना डॉल्फिन के सर्वे करने में आत्मनिर्भर बन पाए हैं।
वेबिनार का संचालन करते हुए पीआईबी, पटना के सहायक निदेशक संजय कुमार ने कहा कि 22 से 25 दिसंबर 2020 तक चलने वाला भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2020 एक ऐसा जीवंत उदाहरण है जहाँ विज्ञान को वस्तुतः अनुभव किया जा सकता है। इसके दौरान छात्र वर्चुअल तरीके से आयोजित पर्यटन, 3डी प्रदर्शनियों, पैनल चर्चाओं, व्याख्यानों और बहुत कुछ ऐसे आयोजनों का हिस्सा बन सकते हैं। इसी कड़ी में देश भर में महोत्सव के पूर्व कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं ताकि जनता को जोड़ा जा सके।
धन्यवाद ज्ञापन आरओबी, पटना के सहायक निदेशक एन एन झा ने किया। वेबिनार में रीजनल आउटरीच ब्यूरो के निदेशक सहित पीआईबी तथा विभिन्न एफओबी कार्यालयों के अधिकारी-कर्मचारी और आम श्रोता शामिल हुए।