शाही लीची की चर्चा कर पीएम ने किसानों को प्रोत्साहित किया -(मनोज कुमार सिंह)

त्रिलोकी नाथ प्रसाद –किसी कृषि प्रधान देश की चर्चा यदि उसके किसी कृषि उत्पाद के लिए विश्व फलक पर होने लगे, तो उस देश के लिए यह सिर्फ चर्चा मात्र नहीं , बल्कि गर्व और प्रेरणा का विषय होता है। हालिया चर्चा में बिहार की शाही लीची की लंदन यात्रा है। शाही लीची एक सप्ताह पहले लंदन के लिए भेजी गयी है। बिहार की शाही लीची का स्वाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री भी चखेंगे। बात निकलती है, तो दूर तलक जाती है। कुछ ऐसा ही शाही लीची के साथ हुआ। शाही लीची के लंदन भेजे जाने की चर्चा को तब पंख लग गये, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 77 वें ‘मन की बात’ में बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची की चर्चा कर इसकी ब्रांडिंग की। देश-विदेश के लोगों की नजर इस पर गई है। यह चर्चा निश्चित तौर पर भविष्य में लीची के उत्पादन के लिए किसानों को प्रेरित तो करेगा ही, बिक्री, मार्केटिंग और व्यावसायीकरण में बढ़ोत्तरी का भी संकेत देता है।
जानकारों के अनुसार फिलहाल 28.7 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है और करीब 22.42 लाख क्विंटल उत्पादन है। लीची का कारोबार प्रति वर्ष करीब 6 अरब का होता है। लेकिन, दूसरा पहलू है कि हर वर्ष करीब 20 फीसदी लीची का नुकसान भी होता है। जानकारों के अनुसार करीब दो प्रतिशत लीची की ही प्रोसेसिंग हो पाती है।
देश में सात दशकों से उपेक्षित खेती की महत्ता को न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समझा, बल्कि कृषि क्षेत्र को और मजबूती प्रदान करने की रणनीति भी बनायी। यूं तो देश कई मामलों में विकास का साक्षी बना है, लेकिन मुख्यतः कृषि व ग्रामीण क्षेत्र के विकास में, लंबी छलांग लगाई है। आज हमारा देश कृषि-आधारित उद्योगों का जाल बिछाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। कृषि-आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सड़क, बिजली, पानी, आसान ऋण, सस्ती व तेज इंटरनेट सेवा की व्यवस्था मजबूत की जा रही है। साथ ही, क्वालिटी टेस्टिंग लैब और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा भी दी जा रही है। इसलिए मैं पुनः दुहरा रहा हूं कि बिहार की शाही लीची की प्रधानमंत्री द्वारा चर्चा किया जाना, देश के किसानों और कृषि उत्पादों को विश्व फलक पर पहचान देने के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण संदेश के रूप में देखा-समझा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 77 वें मन की बात में मुजफ्फरपुर की शाही लीची की चर्चा कर दर्शाया कि लीची उत्पादक किसानों की मेहनत से जो देश को प्रतिष्ठा मिली है, उनके मन में भी बिहार के प्रति अत्यधिक मान-सम्मान है। उन्होंने कहा, लीची उत्पादकों की सुविधा के लिए सरकार ने 2018 में जीआई टैग दिया, ताकि लीची की पहचान मजबूत हो। जीआई टैग के बाद मुजफ्फरपुर सहित उत्तर बिहार के किसान अपने लीची को कहीं भी बेच सकते हैं। इस बार बिहार की ये ‘शाही लीची’ भी हवाई-मार्ग से लंदन भेजी गई है। पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण हमारा देश ऐसे ही अनूठे स्वाद और उत्पादों से भरा पड़ा है।‘ उन्होंने अगरतला के कटहल और विजयनगरम के आम की भी चर्चा की। किसानों के लिए चलायी गयी ‘किसान रेल’ की चर्चा करते हुए कहा कि किसान-रेल अब तक करीब दो लाख टन उपज का परिवहन कर चुकी है। अब किसान बहुत कम कीमत पर फल, सब्जियां, अनाज, देश के दूसरे सुदूर हिस्सों में भेज पा रहा है। पीएम ने ये चर्चाएं किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए की, ताकि किसान अपने उत्पाद की बिक्री के लिए चिंतामुक्त होकर उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दें, सरकार बाजार के साथ परिवहन की व्यवस्था करेगी।
केंद्र सरकार ने पूर्व में ही कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की योजना को अमलीजामा पहना चुकी है। सरकार ने बागवानी को अपनी प्राथमिकता में शामिल करते हुए काम भी शुरू कर दिया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने शाही लीची समेत अन्य कृषि उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने और किसानों की आय को दुगनी करने की दिशा में पहल शुरू कर दिया है। 7 जून को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के सभागार में आयोजित होने वाली बैठक में विभिन्न संगठन के अध्यक्षों से यथाशीघ्र सुझाव भी मांगा गया है। भारत बागवानी फसलों का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और विश्व के फल-सब्जियों का लगभग 12 प्रतिशत उत्पादन करता है। केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने सोमवार को बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम का शुभारंभ किया। दरअसल केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने उत्पादों को उचित मूल्य दिलाने के लिए एक क्लस्टर प्रोग्राम तैयार किया है। इसके तहत विपणन, निर्यात संवर्धन, कौशल उन्नयन, बुनियादी ढांचा आदि को विकसित करना प्रमुख उद्देश्य है। मंत्रालय ने औद्योगिक संपदाओं के साथ-साथ प्राकृतिक समूहों को भी कवर करने के लिए डिजाइन को तैयार करने का कार्य किया गया है। बागवानी व्यवसाय क्लस्टर और आपूर्ति श्रृंखला विकास नामक इस तरह की योजना में मंत्रालय ने कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को तैयार किया है। ऊंची कीमत वाली बागवानी फसलों का आयात कम करने व जहां कहीं संभव हो, निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने देश में विभिन्न फसलों के लिए 53 बागवानी क्लस्टरों की पहचान की है। इन 53 क्लस्टरों में से 12 क्लस्टरों को क्लस्टर विकास कार्यक्रम के प्रायोगिक चरण के लिए चुना गया है। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने उम्मीद जतायी है कि पांच-सात वर्षों में सभी 53 क्लस्टरों में कार्यक्रम लागू किए जाने पर कुल निर्यात लगभग 20 प्रतिशत तक बढ़ जायेगा। विश्व बागवानी व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने पर सरकार का फोकस है। इसके लिए सरकार ने विश्व की उत्तम पद्धतियां अपनाने की योजना बनायी है, ताकि बागवानी क्षेत्र के घरेलू और वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी को बढ़ाने में मदद मिले। सरकार का मानना है कि बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम से 10 लाख किसानों सहित अन्य हितधारकों को लाभ होगा। वहीं 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश आएगा। जिसमें 6500 करोड़ रु. निजी क्षेत्र से आएगा। बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम (सीडीपी) का लक्ष्य पहचान किए गए बागवानी क्लस्टरों को बढ़ावा देना व विकास करना है, ताकि उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया जा सके। इसके माध्यम से उत्पादन एवं फसल-कटाई उपरांत प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स, विपणन व ब्रांडिंग सहित भारतीय बागवानी क्षेत्र से संबंधित सभी मुख्य मुद्दों का समाधान हो सकेगा।
लीची प्रोसेसिंग बिहार में एक बड़े उद्योग का रूप ले सकता है, जिसका लाभ किसानों से लेकर व्यवसायियों तक को मिल सकता है। लेकिन, अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिससे किसान हताश रहे। फिलहाल लीची के रखरखाव और उचित मार्केटिंग की व्यवस्था नहीं होने से किसानों को इसका सही लाभ नहीं मिल पा रहा है। लीची को बाहर भेजने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। बाहर के व्यवसायी यहां से लीची खरीद कर मुंबई, दिल्ली, पुणे, लखनऊ, हैदराबाद, बंगलुरू, कानपुर, पंजाब, हरियाणा आदि जगहों पर ले जाते हैं। वहां से विदेशों को लीची भेजते हैं। इन व्यवसायियों को तो लाभ हो जाता है, लेकिन किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पता है। विदेशों में लीची की काफी मांग है। शीतल पेय, पल्प जूस बनाकर इसे रखा जा सकता है। इस बार लीची को हवाई मार्ग से लंदन भेजे जाने की चर्चा और राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार का विशेष ध्यान दिया जाना लीची उत्पादक किसानों के लिए उत्साहवर्धक है। राज्य सरकार का ऑनलाइन बाजार उपलब्ध कराने की पहल और केंद्र सरकार का बागवानी क्लस्टर विकास कार्यक्रम बागवानी के क्षेत्र में बड़ी लकीर खींच सकता है। यदि सरकार का सकारात्मक प्रयास रहा, तो बेशक शाही लीची अपने स्वाद से दुनिया भर को दीवाना बना सकती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)