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किशनगंज : जनसंख्या नियंत्रण और स्वस्थ समाज के निर्माण में परिवार नियोजन की भूमिका अहम

सदर अस्पताल प्रांगन में आयोजित हुई एकदिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला, स्वास्थ्यकर्मियों को मिला परिवार नियोजन सेवा विस्तार का संदेश

किशनगंज,19जून(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, परिवार नियोजन अब केवल परिवार को सीमित करने का साधन नहीं, बल्कि समाज के समग्र विकास का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। इसी सोच को साकार करने के लिए गुरुवार को सदर अस्पताल एक दिवसीय “Whole Site Orientation” कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आयोजन में जिले के सभी 9 प्रखंडों से चयनित 18 स्वास्थ्यकर्मियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन PSI इंडिया के सहयोग से किया गया, जिसकी अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने की।

“परिवार नियोजन: जनसंख्या स्थिरीकरण से सतत विकास तक”

डॉ. चौधरी ने कहा कि “परिवार नियोजन कार्यक्रम को केवल तकनीकी सेवा न समझें, यह एक सामाजिक जागरूकता अभियान है। जब हम स्वास्थ्य संस्थानों को ‘फैमिली प्लानिंग फ्रेंडली’ बनाएंगे, तभी मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में गिरावट और महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में ठोस बदलाव संभव होगा।”

उन्होंने इस पहल को संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से भी जोड़ा—जिसमें स्वास्थ्य, लैंगिक समानता, गरीबी उन्मूलन और शिक्षा जैसे लक्ष्य सीधे जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन से जुड़े हैं।

विशेषज्ञों ने दिए व्यावहारिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य

कार्यशाला में डॉ. सबनम यासमिन ने स्थायी (महिला व पुरुष नसबंदी) और अस्थायी (कंडोम, कॉपर-टी, गर्भनिरोधक गोलियां, इंजेक्शन) गर्भनिरोधक साधनों की उपयोगिता, भ्रांतियों और लाभों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से पुरुष सहभागिता पर बल देते हुए कहा कि “गर्भनिरोधक का जिम्मा केवल महिलाओं पर न हो, पुरुषों को भी समान भागीदारी निभानी होगी।”

डॉ. अनवर हुसैन ने Whole Site Orientation की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए बताया कि इसका उद्देश्य पूरे संस्थान को परिवार नियोजन सेवाओं के लिए प्रशिक्षित करना है, जिससे हर स्तर पर लाभार्थी को उचित सेवा मिल सके

आशा कार्यकर्ता: गांवों की पहली कड़ी

कार्यशाला में इस बात पर जोर दिया गया कि आशा कार्यकर्ता ही ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार नियोजन की नींव हैं। उनके माध्यम से सही जानकारी और संसाधन समुदाय तक पहुंचते हैं। प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों से अपेक्षा की गई कि वे आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर समुदाय में सामूहिक परामर्श एवं सेवा की उपलब्धता सुनिश्चित करें।

“बिना दबाव, बिना भय – सही जानकारी के साथ चुनें अपना भविष्य”

जिला योजना समन्वयक विस्वजित कुमार ने कहा कि “हर दंपती को यह अधिकार है कि वे बिना किसी सामाजिक दबाव के अपने परिवार की योजना स्वयं तय करें। इसके लिए सही जानकारी और भरोसेमंद सेवाएं जरूरी हैं।” उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण केवल जानकारी के लिए नहीं, बल्कि इन कर्मियों को ‘मेंटर्स’ बनाकर अपने-अपने संस्थानों में औरों को भी प्रशिक्षित करने के लिए किया गया है।

किशनगंज में सुविधाओं की स्थिति

डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि जिले के सभी प्राथमिक, सामुदायिक और जिला अस्पतालों में स्थायी और अस्थायी सभी प्रकार के गर्भनिरोधक साधन निःशुल्क उपलब्ध हैं। अस्पतालों में “निश्चय किट”, अंतरा इंजेक्शन, गर्भनिरोधक गोलियाँ, आपातकालीन गोली और कंडोम बॉक्स की नियमित आपूर्ति और वितरण सुनिश्चित की गई है, जिसकी निगरानी FLMIS प्रणाली के तहत होती है।

पुरुष नसबंदी को लेकर भ्रांतियां आज भी एक बड़ी चुनौती हैं। डॉ. अनवर हुसैन के अनुसार, “यह प्रक्रिया महिला नसबंदी की तुलना में सरल और सुरक्षित है, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण इसका उपयोग न्यूनतम है। जब तक पुरुष सक्रिय भागीदारी नहीं निभाएंगे, तब तक महिलाओं का सशक्तिकरण अधूरा रहेगा।”

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