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स्वास्थ्य आपात स्थिति में आत्मनिर्भरता की ओर एक सकारात्मक पहल प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन

-डॉ. भारती प्रवीन पंवार, राज्य स्वास्थ्य मंत्री (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण)

त्रिलोकी नाथ प्रसाद :-जैसा कि कहा जाता है किसी भी लड़ाई को लड़ने के लिए युद्धस्तर की तैयारी होनी चाहिए। हम दुश्मन को अच्छी तरह से जानते हैं और हमें अपनी क्षमताओं के बारे में भी अच्छी तरह पता है, अब हम अधिक बड़े शत्रुओं और संघर्षों से मुकाबला करने की तैयारी कर रहे हैं जो हमारे रास्ते में आ सकते हैं। जब हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता और इस तरह के प्रकोप में तैयारी की बात आती है तो कोविड19 का दौर आंखें खोलने वाला था। कोविड19 और गैर कोविड जरूरी सेवा प्रबंधन से देशभर के स्वास्थ्य संसाधनों पर अतिरिक्त भार पड़ा, लेकिन शुरूआती महीने कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली वाले राज्यों के लिए चुनौती पूर्ण रहे ।
देश की स्वास्थ्य सेवा में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी के बावजूद निजी क्षेत्र की अक्षमता और असर्मथता ने इस बिंदु को स्पष्ट कर दिया कि जनता स्वास्थ्य देखभाल सर्वोपरि होने के कारण इसका जिम्मा स्वतंत्र बलों पर नहीं छोड़ा जा सकता। कोविड19 के प्रति अपने प्रयासों का विस्तार करने और भविष्य में ऐसी किसी भी महामारी में हमारी तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन एक अतिरिक्त हथियार होगी।इस पंचवर्षीय योजना का बजट 64,180 करोड़ रुपए होगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अलावा पीएम एबीएचआईएम योजना के अंर्तगत केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के केन्द्रीय क्षेत्र घटकों के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य संसाधनों और क्रिटिकल स्वास्थ्य सेवाओं, नैदानिक और उपचार के लिए शासन की क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में काम किया जाएगा। बाद में योजना के तहत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान जैसे 12 केन्द्रीय संस्थानों, सरकारी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में 602 क्रिटिकल केयर अस्पताल की स्थापना की जाएगी। सबसे अहम यह है कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के कुशल मार्ग दर्शन में मानव इतिहास की सबसे बड़ी आपदा से लड़ने तथा विभिन्न योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट प्रावधान सहित कई प्रयास किए जा रहे हैं।जांच के लिए प्रयोगशालाओं का महत्व और आपात स्थिति में उनकी तैयारियों में कमी तथा निगरानी तंत्र इससे पहले कभी इतना अधिक स्पष्ट नहीं था।भारत सरकार संक्रामक रोग निदान सहित न्यूनतम 134 परीक्षणों वव्यापक जांच सेवा के लिए देशभर में 730 एकीकृत जिला सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं की स्थापना करेगी। वर्तमान प्रयोशालाओं को विभिन्न कार्यक्रमों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी और नैदानिक(डायग्नोस्टिक) सेवाएं प्रदान करने के लिए एकीकृत किया जाएगा, जिससे कि प्रकोप व महामारी आदि की भविष्य वाणी समय रहते की जा सके। किसी भी समस्या से निपटने के लिए एक पर खाहुआतरीकायह है कि आप उसके बारे में ज्ञान के साथ खुद को तैयार रखें। यही वजह है कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन इस तरह की महामारियों के लिए अल्पकालिक और मध्यम अवधि की प्रतिक्रिया देने, साक्ष्य उत्पन्न करने, जैव चिकित्सा अनुसंधान सहित कोविड19 और अन्य संक्रामक रोगों पर अनुसंधान करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।हम मनुष्यों और जानवरों में संक्रामक रोग के प्रकोप को रोकने, पता लगाने और प्रतिक्रिया देने के लिए एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण क्षमता विकसित करेगें। जैव सुरक्षा की तैयारी और महामारी अनुसंधान को मजबूत करने की योजना को चार क्षेत्रीय राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र, क्षेत्रीय अनुसंधान मंच और नौ जैव सुरक्षा स्तर बीएसएल तीन प्रयोगशालाओं के माध्यम से किया जाएगा।
हमारी योजना बीमारी निगरानी तंत्र को आर्ईटी की सहायता से इस तरह मजबूत करने की भी है जिससे किसी भी बायोलॉजिकल तत्व या आर्गेनिज्म जो जनसाधारण के जीवन को प्रभावित कर सकता है, उसे तुरंत पहचाना जा सके।स्वास्थ्य आपात स्थिति और ऐसे किसी भी प्रकोपों का प्रभावी ढंग से पता लगाने, जांच करने, रोकने और उनका मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय, जिला, क्षेत्रीय और ब्लॉक स्तर के प्रवेश द्वार और महानगरीय क्षेत्रों में प्रयोगशालाओं का निगरानी तंत्र विकसित किया जाएगा। सभी राज्यों में 20 मेट्रोपोलिटन निगरानी इकाइयां, पांच क्षेत्रीय राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र शाखाएं और एकीकृत स्वास्थ्य संवर्धन मंच के माध्यम से निगरानी व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। प्रवेश के मौजूदा 33 बिंदुओं को 17 अतिरिक्त प्रवेश बिंदुओं के साथ सुदृढ़ किया जाएगा। स्वास्थ्य के संदर्भ में राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए एक अत्याधुनिक राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकीतंत्र विकसित किया जाएगा।जिसमें इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (ईएचआर) की एक सुरक्षित प्रणाली के माध्यम से सेवाएं दी जाएगीं। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित होगा बल्कि नागरिकों के लिए भी आसानी से प्रयोग किया जा सकेगा। वर्तमान महामारी में शहरी क्षेत्रों का अहम पहलू स्थानीय क्षमताओं की आवश्यकता रही है। प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशनमें शहरी स्वास्थ्य देखभाल में आवश्यक बदलाव को चिन्हित कर उस पर कार्रवाई की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य अद्वितीय गतिशीलता और विविध सामाजिक-सांस्कृतिक जरूरतों को स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए एक व्यापक दृष्टि कोण के साथ पूरा करना है।
शहरी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए मिशन के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को समुदायों के करीब स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही उच्च गुणवत्ता वाली पॉलीक्लिनिक विस्तारित सेवाओं के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य देखभाल की गारंटी और रेफरल लिंकेज स्थापित किए जाएगें। मौजूदा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (यूपीएचसी) की सेवाओं का विस्तार छोटी इकाइयों – आयुष्मान भारत शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एबी-यूएचडब्ल्यूसी वेलनेस सेंटर) पॉलीक्लिनिक या विशेषज्ञ क्लीनिकों तक किया जाएगा। योजना के तहत सीएसएस घटकों में स्लम (झुग्गी) और स्लम जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देने के साथ ही देश भर में 11,044 नए यूएचडब्ल्यूसी (अरबन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) की परिकल्पना की गई है।एक अन्य प्रमुख पहलू सात उच्च फोकस वाले राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों के 17,788 एबी-एचडब्ल्यूसी (आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ) के लिए बुनियादी ढांचा सहायता प्रदान करना भी है।इस के अलावा 11 लक्षित राज्यों में 3,382 ब्लॉकों को ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स (बीपीएचयू) के रूप में विकसित किया जाएगा ताकि क्लिनिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के बीच एकीकरण व्यवस्था को मजबूत करके रोग निगरानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा रिपोर्टिंग, फॉलोअप के जरिए स्वास्थ्य सेवा में सुधार किया जा सके।
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के लक्ष्य और कदम, हालांकि इन्हीं के साथ समाप्त नहीं होते हैं।एक सघन परिणाम संचालित योजना के तहत स्वास्थ्य प्रणालियों और सेवाओं के इस तरह के विस्तृत क्रियान्वयन से यह सुनिश्चित होगा कि हम भविष्य में बड़े पैमाने पर अपनी जनता के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए खतरा पैदा करने वाले ऐसे किसी खतरे को रोकने में सक्षम होगें।

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