देश पर बढ़ता विदेशी कर्ज चिंता का विषय।…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:– भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा कि देश पर बढ़ता विदेशी कर्ज चिंता का विषय है। मोदी सरकार कर्ज लेकर घी पी रही है।31 मार्च2023 तक भारत पर 155 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है। कर्ज की राशि मोदी सरकार की सत्ता में आने के बाद लगातार बढ़ती जा रही है। कुल कर्ज में 79.4 फीसदी लंबी अवधि का कर्ज है।
भाकपा राज्य सचिव ने बयान जारी कर कहा कि केंद्र सरकार के मुताबिक 31 मार्च 2023 तक भारत सरकार पर 155 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। अगले साल मार्च तक ये बढ़कर 172 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इस हिसाब से देखें तो पिछले 9 साल में देश पर 181 फीसदी कर्ज बढ़ा है। 2004 में जब मनमोहन सिंह की सरकार बनी तो भारत सरकार पर कुल कर्ज 17 लाख करोड़ रुपये था। 2014 तक तीन गुना से ज्यादा बढ़कर ये 55 लाख करोड़ रुपये हो गया जबकि नौ वर्षों में कर्ज बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपये हो गया है। मोदी सरकार ने पिछले नौ वर्षों में एक सौ लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि यह कर्ज केंद्र प्रायोजित योजनाओं में लगातार कटौती और राज्यांश बढ़ाने के बावजूद बढ़ते जा रहा है। केंद्र सरकार की जन विरोधी आर्थिक नीतियों के कारण लगातार कर्ज की राशि बढ़ रही है। मोदी सरकार एक तरफ लोक कल्याणकारी योजनाओं की राशि में कटौती कर रही है तो दूसरी तरफ पूंजीपतियों को विभिन्न करों में छूट दे रही है। वहीं फिजूलखर्ची भी ज्यादा कर रही है। पिछले नौ वर्षों में बड़े पैमाने पर कर्ज लेने के बाबजूद केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार की विनाशकारी आर्थिक नीतियों के कारण महंगाई, भूखमरी, गरीबी, अभाव, कुपोषण, बेरोजगारी बढ़ी है। इस सरकार से देश की जनता तबाह है। जनता को बुनियादी जरूरत के खर्चों में भी कटौती करनी पड़ रही है। यह सरकार आरएसएस के एजेंडों को लागू कर रही है। आर्थिक सुधार के नाम पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को कौड़ी के भाव में बेच रही है और अपने पूंजीपति मित्रों अडानी और अंबानी को दे रही है।