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सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य।

कुणाल कुमार:-पटना।  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर अपना फैसला सुनाते हुए इस पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। इस फैसले से लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखना सूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन है। केंद्र की भाजपा सरकार ने पूंजीपतियों से चुनावी चंदा लेने और उसे गुप्त रखने के लिए चुनावी बॉन्ड से सम्बंधित कानून 2017 में लाया था और 29 जनवरी 2018 को लागू की गई थी। 2018 से अबतक चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भाजपा को कितना चन्दा मिला है और किन लोगों ने सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड खरीदी है। यह भी सार्वजनिक की जानी चाहिये।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को आर्थिक मदद से उसके बदले में कुछ और प्रबंध करने की व्यवस्था को बढ़ावा मिल सकता हैै। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि काले धन पर काबू पाने का एकमात्र तरीका इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं हो सकता ह,ै इसके और भी कई विकल्प है। उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को राजनीतिक पार्टियों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसबीआई चुनाव आयोग को जानकारी मुहैया कराएगा और चुनाव आयोग इस जानकारी को 31 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट को देगा। इस फैसले से चुनावी चंदे में पारदर्शिता आएगी जिससे हमारी लोकतंत्र की सूचिता बढ़ेगी। इस स्कीम से यह नहीं पता लगता था कि किसने कितने रुपए के बॉन्ड खरीदे और किसे दिए। चुनावी बॉन्ड लोकतंत्र के खिलाफ है।

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