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ठाकुरगंज : सरकारी योजनाओं को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रहे हैं जेई।

तातपौआ पंचायत में विकास कार्य में अनियमितता का मामला, जेई नहीं दे रहे स्टीमेट की जानकारी।

  • विकास कार्य के नाम पर मची हुई है लूट, कार्य स्थल पर सुचना पट नदारत।

किशनगंज-ठाकुरगंज/धर्मेन्द्र सिंह, बिहार सरकार पंचायत में विकास कार्य के नाम पर करोड़ों रुपए दे रही हैं। पंचायत में विकास कार्य के नाम पर लूट मची हुई है। सरकार पंचायत में विकास कार्य के प्रति गंभीर नजर आ रही है तो वही जेई की लापरवाही भी सामने आ रही हैं। मामला किशनगंज जिले के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत तातपौआ पंचायत का है जहां गंम्भीर गढ़ पुल के समीप बिना सुचना पट लगाए हुए ही छठ घाट निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी की छठ घाट निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है और जैसे तैसे ढलाई कार्य किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकारी विकास कार्यों के लिए एक नंबर सामग्री का स्टीमेट बनाया जाता है लेकिन उक्त स्थल पर निर्माणाधीन छठ घाट में घटिया सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह भी पता चला है कि जेई का कार्य स्टीमेट के अनुसार एक नंबर सामग्री से विकास कार्य करवाना है लेकिन यहां तो उल्टा ही नजर आ रहा है कि विकास कार्य अंतर्गत निर्माणाधीन छठ घाट में घटिया सामग्री का इस्तेमाल कराया जा रहा है। सामग्री और निर्माणाधीन छठ घाट को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जेई विकास कार्यों को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा रहे हैं।इस संबंध में संबंधित जेई कैसर आलम से दूरभाष के माध्यम से संपर्क करने का प्रयास किया गया परंतु उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया, जिसके बाद स्टीमेट को लेकर व्हाट्सएप्प मैसेज भी किया गया, लेकिन मैसेज देखने के बाद भी उन्होंने किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी। गौरतलब हो कि इससे पूर्व में भी जीरनगाछ पंचायत में नाला निर्माण कार्य प्राक्कलन अनुसार नहीं होने और अनियमितता को लेकर वार्ड सदस्यों ने जेई कैसर आलम सहित अन्य के खिलाफ विभाग को आवेदन देकर जांच की मांग की थी। मामले में सरकारी योजना की उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है और संबंधित विभाग को मामले में संज्ञान लेने की भी आवश्यकता है। सूत्रों की माने तो उक्त स्थल पर तीन गांव के छठ पूजा करने वाले श्रद्धालु छठ पूजा करते है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर जेई योजना में स्टीमेट के अनुसार कार्य कराते हैं तो फिर घटिया सामग्री से विकास कार्य क्यों हो रहा है। जो उच्च स्तरीय जांच का विषय है।

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