किशनगंज : जिले के कई गांव एक बार फिर से कटाव की जद में, विस्थापित होने को मजबूर हैं ग्रामीण।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह/फरीद अहमद, दक्षिण-पश्चिम मानसून के सक्रिय होने के साथ ही नेपाल की सीमा से लगते बिहार के जिलों में लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है। तराई के इलाके में भारी से बहुत भारी बारिश होने के कारण नदियां उफान पर हैं। इससे किशनगंज जिला काफी प्रभावित हुआ है। जिले के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया है। साथ ही कटाव भी तेज हो गया है और सड़कें भी डूब गई हैं। इससे भयभीत ग्रामीण अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। ग्रामीण सुरक्षित जगहों की ओर जाने लगे हैं। बता दें कि बारिश के मौसम में सीमांचल का इलाका अक्सर ही बाढ़ की चपेट में आ जाता है। इससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं। साथ ही इन गांवों में बाढ़ का पानी भी घुस गया है।
मानसून के शुरुआत दौर में ही बाढ़ और कटाव ने प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की समस्याएं बढ़ा दी हैं। जिले के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया है। साथ ही कटाव भी तेज हो गया है और सड़कें भी डूब गई हैं। इससे भयभीत ग्रामीण अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। ग्रामीण सुरक्षित जगहों की ओर जाने लगे हैं। गौरतलब हो कि बारिश के मौसम में सीमांचल का इलाका अक्सर ही बाढ़ की चपेट में आ जाता है।
इससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं।साथ ही इन गांवों में बाढ़ का पानी भी घुस गया है। मानसून के शुरुआत दौर में ही बाढ़ और कटाव ने प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की समस्याएं बढ़ा दी हैं। नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार बारिश और जिले में भी हो रही बारिश से रतुआ कनकई आदि के जलस्तर में वृद्धि हो गई है जिससे टेढ़ागाछ प्रखंड के निचले इलाके में जल प्रेवेश कर गया है, टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत हवा कौल, चिल्हनिया पंचायत के सुहिया गांव सहित कई गांव में पानी है कई जगह प्रधानमंत्री सड़क और मुख्यमंत्री सड़क पर भी पानी क्रॉस कर रहा है कई जगह घाटों पर चचरी पुल पहले ही ध्वस्त हो चुका है, लोग नाव के सहारे नदी पार कर रहे है।
बाढ़ वाले इलाके में एक बच्ची को अपने बूढ़े पिता के साथ खुद ठेला में जरूरी सामान को लेकर सुरक्षित जगह पर जाने की कोशिश की जा रही थी लोग अपने अपने समान को लेकर रहने के जगह ढूंढ रहे है, और काफी परेशान है वही प्रशासन द्वारा कुछ जगह कटाव रोधी कार्य शुरू कराए गए थे वह भी इस समय प्रभावित हो गए है। रेतुआ नदी के कटाव की चपेट में गांव भोरहा, आशा, धापरटोला, लौधाबाड़ी, डोरिया, दर्जनटोला, गढ़ीटोला, खजूरबाड़ी, हाथीलद्दा, हवाकोल, बभनगॉवा, चिल्हनियॉ, सुहिया हॉट टोला, हॉटगाव आदिवासी टोला, कोठीटोला देवरी, आदिवासी टोला देवरी आदि गांव रेतुआ नदीं के कटाव की जद में है, वही कनकई नदी के जलस्तर में वृद्धि से कटाव की जद में बीबीगंज, कंचनबाड़ी, भेलागोरी, पत्थरघट्टी, सुंदरबारी, मालीटोला, मटियारी, हरहरिया, बलवाडांगी, सिरनियॉ, ग्वालटोली सहित दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी घुस जाने से लोगों की बड़ी परेशानी बढ़ गई है।
लोग अपने घर के बचाव के लिए खुद बॉस बल्ला से कटाव रोधी कार्य कर रहे है। वही जिले के ठाकुरगंज और दिघलबैंक प्रखंड की बात करे तो जिले भर में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियां उफान पर है और कटाव भी जारी है। जिले में बहने वाली नदी महानंदा नदी, मेची नदी, कनकई नदी, बूढ़ी कनकई नदी, रतुवा नदी, सहित कई छोटी-छोटी नहरे क्षेत्र में कटाव जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी है। लगातार हो रही बारिश के कारण नदिया खतरे के निशान से ऊपर बहने लगी है नदी कटाव भी तेज हो गया है जिसकी चपेट में खारूदाह गोगरिया गांव, महेशपुर गांव, भोलमारा, पौआखाली सिमलबाड़ी, डुमरिया पुरब तेलीभिट्टा, पौआखाली तेलीभिट्टा, पौआखाली मिरभिट्टा, जानकी भिट्टा, बंदरझूला डोरिया, गुरुमारा, बालूबाड़ी कैलान बस्ती, आठगछिया, फुलगाछी, गरभंडांगा, कोलाबस्ती, कमात डांगी, भातगांव, करवामनी सहित कई गांव कटाव ग्रस्त इलाके में गिनती आती है। पिछले कई वर्षों से लगातार नदी कटाव का कहर जारी है जिसके कारण मंदिर मस्जिद स्कूल भी इसकी चपेट में आकर नदी में विलीन हो चुके हैं। पिछले कई वर्षों से कटाव की मार झेल रहा है गोगरिया गांव के ग्रामीण लगातार विस्थापित होने पर मजबूर है और आए दिन अपने आशियाने को अपने हाथों से उजाड़ कर विस्थापित हो रहे हैं।
नदी कटाव का जायजा लेने के लिए आला अधिकारी भी पहुंचते हैं नदी कटाव का निरीक्षण भी किया जाता है और तत्काल बांस से बनाई गई सामग्री से नदी कटाव को रोकने का प्रयास भी किया जाता है जो असफल साबित हो रहा है। ग्रामीणों ने नदी कटाव रोधक कार्य को लेकर जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासन पर भी ध्यान नहीं देने का आरोप लगाया है। हर बरसात में जिले के कई इलाके के लोग नदी कटाव के कारण रोते बिलखते चीखते चिल्लाते नजर आते हैं। लेकिन जनप्रतिनिधियों द्वारा अब तक ऐसा ठोस काम कई वर्षों में नहीं हो पाया जिससे कि ग्रामीणों को कुछ हद तक कटाव से राहत मिल सके। आला अधिकारी के निर्देश पर बांस की सामग्री से नदी कटाव रोधक कार्य भी शुरू हुआ लेकिन नदी की रफ्तार के सामने कटाव रोधक कार्य भी नहीं थम पाया जिसकी चपेट में स्थानीय मस्जिद समरिया आ गया और मस्जिद का कुछ हिस्सा गिरकर नदी में विलीन हो गया।