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किशनगंज : भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन मान्य।

गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक, पोठिया प्रखंड में जीविका दीदी को गर्भ समापन की दी गयी जानकारी।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, सुरक्षित गर्भपात को बढ़ावा देने तथा जन समुदाय में जागरूकता लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का क्षमतावर्धन किया जा रहा है। इसी कड़ी में शनिवार को जिले के पोठिया प्रखंड के अली नगर में सांझा प्रयास नेटवर्क द्वारा जीविका दीदी को सुरक्षित गर्भपात की जानकारी दी गयी।जीविका दीदी को विशेष श्रेणी की महिलाओं के गर्भ समापन की अवधि 20 से 24 सप्ताह तक बढ़ाए जाने के कानून संसोधन के जानकारी प्रदान की। प्रशिक्षण दे रहे हिना प्रवीन ने बताया की 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयां होती थी। अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने को प्रक्रिया में महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। अज्ञानता के कारण तथा सरकारी अस्पतालों में सुविधा नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं के मृत्यु दर में कमी नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया, लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा था। इसलिए एमटीपी एक्ट में संशोधन किया गया। जिससे 20 सप्ताह के बदले अब 24 सप्ताह तक के गर्भ को कानूनी शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर पूरी तरह से वैध है। इस बात की जानकारी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है। जिसके कारण वो गांव-देहात के नीम- हकीम और झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर अपने प्राण तक गंवा रही हैं। सुरक्षित गर्भपात के बारे में ग्रामीण स्तर पर महिलाओं को जागरूक करना ज़रूरी है। बताया कि 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध है। सदर अस्पताल या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में ही प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में सुरक्षित गर्भपात कराया जाना चाहिये। यहाँ प्रशिक्षित डॉक्टर एवं नर्स उपलब्ध हैं फिर भी महिलाएं नीम-हकीम और झोला छाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर अपनी जान गंवा रही हैं। प्रशिक्षण दे रहे हिना प्रवीन ने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी।एसीएमओ डॉ डॉ सुरेश प्रशाद ने पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी। 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी की राय चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है।

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