किशनगंज : राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम बन रहा बच्चों की सुरक्षा का कवच
जनवरी से मार्च 2025 तक 27 हजार से अधिक बच्चों की जांच, गंभीर बीमारियों की समय पर पहचान और इलाज

किशनगंज, 21 मई(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, “बचपन सुरक्षित तो भविष्य उज्ज्वल”—इसी मूलमंत्र को साकार करता राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) किशनगंज जिले में बच्चों के स्वास्थ्य की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में विशेष ध्यान देते हुए यह कार्यक्रम नवजातों से लेकर स्कूली बच्चों तक की नियमित स्वास्थ्य जांच, गंभीर रोगों की पहचान और निःशुल्क इलाज की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित कर रहा है।
एक वर्ष में 52,624 बच्चों की जांच
अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच जिले में कुल 52,624 बच्चों की व्यापक स्वास्थ्य जांच की गई। जांचों के दौरान जन्म दोष, कुपोषण, बीमारियाँ और विकास में देरी जैसी समस्याएं—जिन्हें ‘4Ds’ कहा जाता है—की पहचान कर त्वरित उपचार की व्यवस्था की गई।
जनवरी से मार्च 2025: 27,440 बच्चों की जांच
साल 2025 की पहली तिमाही में जिलेभर में कुल 27,440 बच्चों की स्वास्थ्य जांच की गई:
- नवजात शिशु: 3,724
- आंगनबाड़ी केंद्र: 10,668
- विद्यालय: 13,048
इस अवधि में त्वचा, कान और दांत से जुड़ी बीमारियों की सबसे अधिक शिकायतें मिलीं। इनमें से अधिकतर का मौके पर इलाज किया गया या ज़रूरत पड़ने पर रेफर किया गया।
गंभीर बीमारियों की समय रहते पहचान
इसी तिमाही में 262 बच्चों में गंभीर बीमारियों की पहचान हुई:
- जन्म दोष: 8
- पोषण की कमी: 13
- बीमारियाँ: 210
- विकास में देरी: 31
इनमें से 467 बच्चों को उपचार उपलब्ध कराया गया, जिनमें 422 का इलाज मौके पर हुआ और 45 को उच्च चिकित्सा केंद्रों में रेफर किया गया।
क्लब फूट और हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को मिला नया जीवन
RBSK और PM-JAY योजनाओं के सहयोग से क्लब फूट और जन्मजात हृदय दोष (Congenital Heart Disease) जैसे मामलों में बच्चों को पटना और अन्य संस्थानों में निःशुल्क इलाज के लिए भेजा गया। यह पहल न केवल बच्चों के लिए जीवनदायिनी साबित हुई, बल्कि उनके परिवारों को आर्थिक राहत भी मिली।
ब्लॉक स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन
- ठाकुरगंज: 17,253 बच्चों की जांच, 26 में जन्म दोष
- दिघलबैंक: 6,162 बच्चों की जांच, 208 रोगों की पहचान
- मुख्यालय किशनगंज: 4,181 बच्चों की जांच, 575 को मौके पर इलाज
कुपोषण से निपटने की ठोस पहल
RBSK की टीमों द्वारा कुपोषित बच्चों को आयरन और मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स दिए जा रहे हैं। स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण शिक्षा भी दी जा रही है।
प्रशासनिक निगरानी और जागरूकता से मिली सफलता
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी, DEC पंकज कुमार शर्मा और जिलाधिकारी विशाल राज के समन्वय में यह कार्यक्रम प्रभावी रूप से संचालित हो रहा है। डॉ. चौधरी ने कहा कि “RBSK केवल स्वास्थ्य जांच नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का भी सशक्त माध्यम बन गया है।”
उदाहरण बनता किशनगंज
किशनगंज जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की सफलता पूरे बिहार के लिए मिसाल बन रही है। यह दिखाता है कि सरकारी योजनाएं यदि समर्पण और समन्वय से लागू की जाएं, तो समाज के सबसे नाज़ुक वर्ग—बच्चों—को सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य प्रदान किया जा सकता है।