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कोशी महा रेल पुल का उद्घाटन पहले क्यों न हुआ ?….

त्रिलोकीनाथ प्रसाद कल प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने कोशी पर 86 वर्षों से लंबित महा रेल पुल का उद्घाटन करके बिहार को जो सौगात दिया है, उसके लिए मैं उनको हार्दिक बधाई देता हूँ । 1.9 किलोमीटर के रेल पुल पर लगभग 540 करोड रूपये खर्च हुए है। इसके अतिरिक्त कुल 200 करोड़ से ज्यादा की रेल परियोजनाओं का लोकार्पण भी किया I मुख्य बात यह है कि यह पुल कोरोना काल में और प्रवासी मजदूरों के महत्वपूर्ण योगदान से तैयार किया गया है। लेकिन, इस सन्दर्भ में मैं एक अहम् प्रश्न खड़ा करना चाहता हूँ। इस रेल पुल को तो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 1998 में ही स्वीकृत कर दिया था । लेकिन, उस समय बिहार में जो सरकार थी उसने उसका फायदा क्यों नहीं उठाया? उस समय तो यहां के सरकार की मुख्य योजना थी चरवाहा विद्यालय खोलना। उस समय के मुख्यमंत्री की चिंता थी दलित बस्तियों में फायर ब्रिगेड को ले जाकर और पाईप से वहां के बच्चों को नहलाकर अपना मनोरंजन करना और तमाम दलितों का अपमान करना जैसे कि बिहार में कोई दलित नहाता ही न हो । जहां-तहां उड़न-खटोला उतारकर रास्ता पूछने का ढोंग करके गांव वालों को दिखाना कि उड़न-खटोला कैसा होता है? राज्य का विकास तो प्राथमिकता थी ही नहीं। आज नीतीश कुमार जी ने विकास को प्राथमिकता दिया तो विकास का काम हुआ, जो बिहार की जमीन पर दिख रहा है।

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