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बिहार में जलवायु अनुकूल कृषि का प्रयोग हो रहा सफल, किसान दुर्गेश बने इसकी मिसाल

बिहार के किसान दुर्गेश ने जलवायु अनुकूल खेती से कमाया अच्छा मुनाफा

* बिहार सरकार बढ़ते जलवायु संकट को देखते हुए जलवायु अनुकूल कृषि को दे रही बढ़ावा

* सरकारी प्रोत्साहन से अब किसान कर रहे कम लागत में मोटे अनाज की खेती, बढ़ा मुनाफा

* राज्य के सभी 38 जिलों में चल रहा है जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार सरकार के जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम ने मुजफ्फरपुर के एक प्रगतिशील किसान की जिंदगी बदलकर रख दी है। मोतीपुर के अंजनाकोट निवासी दुर्गेश कुमार ने मोटे अनाज की खेती कर न केवल अपनी आय में भारी वृद्धि की है बल्कि पूरे राज्य के लिए एक मिसाल पेश की है। दुर्गेश की सफलता ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।

दुर्गेश कुमार ने 5 एकड़ भूमि पर मरूआ, सांवां और कौनी जैसे मोटे अनाजों की खेती करके साबित कर दिया कि कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। उनकी इस सफलता के पीछे बिहार सरकार के कृषि विभाग द्वारा चलाए जा रहे जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम का महत्वपूर्ण योगदान है। दुर्गेश बताते हैं, सरकारी प्रशिक्षण और मिलने वाली तकनीकी सहायता ने मेरी खेती की दिशा ही बदल दी। मोटे अनाजों की बढ़ती मांग और कम लागत ने इसकी खेती को फायदे का सौदा बना दिया है।

2019 में शुरू हुआ था जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम

बिहार सरकार बढ़ते जलवायु संकट को देखते हुए जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने वर्ष 2019 से जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरुआत की थी। जलवायु में हो रहे परिवर्तन खासतौर से असामायिक और अनियमित वर्षापात को देखते हुए बदलते मौसम के अनुसार फसल पद्धति में बदलाव लाने के उद्देश्य से इसे शुरू किया गया था।

इसकी शुरुआत 8 जिलों से हुई थी लेकिन 2020 में इसकी सफलता को देखते हुए राज्य के सभी 38 जिलों में योजना का विस्तार किया गया। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम का निर्माण एवं कार्यान्वयन राज्य के कृषि से संबंधित शिक्षा एवं शोध संस्थानों के द्वारा किया जा रहा है। इस योजना के तहत राज्य के 190 गांवों को मौसम के अनुकूल मॉडल कृषि गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिला स्तर पर इस योजना में वैज्ञानिक सहयोग जिला स्तरीय कृषि विज्ञान केन्द्र के द्वारा दिया जा रहा है।

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