अंतर्राष्ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस पर सदर अस्पताल में विशेष आयोजन
सर्पदंश से बचाव और त्वरित उपचार पर दिया गया जोर

किशनगंज,19सितम्बर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, अंतर्राष्ट्रीय सर्पदंश जागरूकता दिवस के अवसर पर सदर अस्पताल में शुक्रवार को एक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी, गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी, एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. रीना प्रवीण समेत जिले के कई स्वास्थ्य अधिकारी एवं कर्मी मौजूद रहे।
इस अवसर पर वक्ताओं ने सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोकने हेतु समय पर उपचार और जागरूकता को सबसे अहम बताया।
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बड़ी चुनौती है सर्पदंश: सिविल सर्जन
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि “सर्पदंश बिहार के उत्तर-पूर्वी जिलों, विशेषकर ग्रामीण और नदी किनारे बसे इलाकों में एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है। समय पर उपचार ही जीवन बचाने की कुंजी है।” उन्होंने बताया कि जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सदर अस्पताल तक एंटी-स्नेक वेनम की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
जागरूकता से कम होगी मृत्यु दर: NCDO
डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा कि अधिकतर मौतें झाड़-फूंक, घरेलू इलाज और अस्पताल पहुंचने में देरी के कारण होती हैं। उन्होंने कहा, “अगर मरीज को समय पर अस्पताल लाया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। समाज में सही जानकारी और व्यवहार परिवर्तन लाना बेहद ज़रूरी है।”
संयुक्त प्रयासों पर ज़ोर
कार्यक्रम में बताया गया कि जिला स्वास्थ्य समिति एवं जिला प्रशासन मिलकर सर्पदंश प्रबंधन के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। सभी पीएचसी और सीएचसी में प्रशिक्षित चिकित्सकों और नर्सों की तैनाती की गई है। स्वास्थ्यकर्मियों को आपात स्थिति में सही कदम उठाने के लिए नियमित प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जा रहा है।
गांव-गांव चलेगा जागरूकता अभियान
सिविल सर्जन ने यह भी बताया कि आगामी दिनों में पंचायत स्तर पर विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। धान की कटाई के मौसम में सर्पदंश की घटनाएं अधिक होती हैं, इसलिए किसानों को जूते पहनने, पैरों को ढकने और रात्रि में टॉर्च उपयोग करने जैसी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
“सर्पदंश एक रोके जाने योग्य समस्या है”
कार्यक्रम की समाप्ति पर एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. रीना प्रवीण ने कहा, “सर्पदंश पूरी तरह से रोके और इलाज किए जाने योग्य समस्या है। यदि सही जानकारी, त्वरित उपचार और स्वास्थ्य सुविधा तक समय पर पहुँच सुनिश्चित हो, तो इससे होने वाली मौतों में भारी कमी लाई जा सकती है।”
सदर अस्पताल में आयोजित यह कार्यक्रम स्वास्थ्यकर्मियों के साथ आम नागरिकों को भी सजग और सतर्क रहने की प्रेरणा देने वाला साबित हुआ।