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*सिद्धार्थ की सारंगी उपन्यास का हुआ लोकार्पण*

जितेन्द्र कुमार सिन्हा ::बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का 43वां हिन्दी महाधिवेशन और 106वां स्थापना दिवस समारोह 19 एवं 20 तक आयोजित किया गया है। सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने बताया कि साहित्यिक कार्यों और योगदान के लिए महाधिवेशन में सम्मान प्रदान किया जाएगा।

उक्त अवसर पर कई आगंतुक प्रवक्ताओं द्वारा हिन्दी साहित्य की समृद्धि, विविधता और वर्तमान चुनौतियों पर केन्द्रित, जो इस क्षेत्र में नए दृष्टिकोण और प्रेरणा प्रदान करेगा पर विचार व्यक्त किया जाएगा।

महाधिवेशन में विभिन्न वैचारिक सत्रों का भी आयोजन होगा। पहले सत्र में हिन्दी भाषा की वर्तमान स्थिति’ पर चर्चा होगी, जिसमें विभिन्न साहित्यकार और विद्वान भाग लेंगे। महाधिवेशन के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होगा। इनमें काव्य पाठ, नाटक, और संगीत शामिल हैं।

महाधिवेशन में युवा लेखकों को प्रेरित किया जायेगा और उन्हें हिन्दी साहित्य के प्रति और अधिक समर्पित बनाने का प्रयास किया जायेगा। इसी क्रम में 19 अक्टूबर को पुनीता कुमारी श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई उपन्यास “सिद्धार्थ की सारंगी” का लोकार्पण किया गया।
पुनीता कुमारी श्रीवास्तव इस उपन्यास से पूर्व शैक्षणिक उपलब्धियाँ पर आधारित शोध आलेख “धर्मायण पत्रिका” और राजभाषा पत्रिका में “अमृत महोत्सव” पर सबसे लंबी कविता प्रकाशित हो चुकी है। इनकी प्रकाशित होने वाली पुस्तकों में प्रतिभा, रौशनी, अदृश्य लीला, काव्य संग्रह देवस्तुति, सोच-विचार, संस्कृति, नारी जागरण, स‌द्भावना, गद्य संग्रह ईश्वरीय लीला, परिस्थिति, अवधारणा, निबंध संग्रह जागे जागरूकता शामिल है।

पुनीता कुमारी श्रीवास्तव बिहार के बक्सर जिला स्थित महाबीर चबूतरा लाला टोली, डुमराँव की निवासी है और उनकी लेखनी धारदार हैं।

उक्त अवसर पर बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ, न्यायमूर्ति रवि रंजन, राजेन्द्र प्रसाद, प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित, लेखिका के पति प्रसून श्रीवास्तव सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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