“शबनम की मुस्कान” — सरकार की मुफ्त सेवा और माता-पिता की उम्मीद ने रचा नया जीवन
Neural Tube Defect से पीड़ित बच्ची को AIIMS पटना में मिला नया जीवन, हुआ सफल ऑपरेशन

किशनगंज, 22 जुलाई। कभी-कभी एक छोटी सी मुस्कान बड़ी कहानियाँ बयां कर देती है। कोचाधामन प्रखंड के धूमबस्ती पंचायत निवासी नवजात शबनम खातून की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसने जन्म के साथ ही एक गंभीर बीमारी से जंग शुरू की और सरकारी योजनाओं, डॉक्टरों की मेहनत तथा माता-पिता की उम्मीद ने उसे नई जिंदगी दे दी।
शबनम को जन्म के तुरंत बाद उसकी पीठ पर असामान्य सूजन दिखाई दी, जिससे माता-पिता घबरा गए। चिकित्सकीय जांच में सामने आया कि वह Neural Tube Defect (NTD) नामक जन्मजात विकृति से ग्रस्त है। यह बीमारी उस अवस्था में होती है जब भ्रूण की रीढ़ और मस्तिष्क ठीक से विकसित नहीं हो पाते। समय रहते इलाज न हो तो बच्चा जीवनभर के लिए विकलांग हो सकता है या जान भी जा सकती है।
सरकारी योजना बनी जीवन की उम्मीद
जैसे ही यह मामला किशनगंज की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) टीम के संज्ञान में आया, उन्होंने तत्परता से कार्रवाई करते हुए शबनम को 14 जुलाई 2025 को AIIMS पटना रेफर किया। 15 जुलाई को अस्पताल में भर्ती हुई शबनम का 16 जुलाई को सफल ऑपरेशन हुआ।
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि यदि यह सर्जरी किसी निजी अस्पताल में कराई जाती, तो लाखों रुपये खर्च हो सकते थे, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के लिए असंभव था। लेकिन सरकार की योजनाओं की बदौलत यह इलाज पूरी तरह निःशुल्क हुआ।
प्रशासनिक सहयोग बना संबल
जिलाधिकारी विशाल राज ने शबनम के उपचार को लेकर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, “हमारा प्रयास है कि जिले का कोई भी बच्चा इलाज के अभाव में पीड़ित न रहे। शबनम की मुस्कान इस बात का प्रमाण है कि सरकारी नीतियाँ अब ज़मीनी हकीकत बन रही हैं।”
सिविल सर्जन डॉ. चौधरी ने कहा, “यह केवल एक बच्ची की सफलता नहीं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग, RBSK और जिला प्रशासन के समन्वित प्रयासों की मिसाल है।”
परिवार की भावुक प्रतिक्रिया
शबनम के पिता मोहम्मद तरीकुल ने कहा, “जब हमें ऑपरेशन की बात पता चली तो बहुत डर गए थे। सोचा था बेटी को शायद खो देंगे। लेकिन RBSK की टीम ने हमें भरोसा दिलाया और हर कदम पर साथ दिया। आज हमारी बेटी ठीक है — यह हमारे लिए किसी सपने से कम नहीं है। हम सरकार और डॉक्टरों के शुक्रगुजार हैं।”
शबनम बन गई प्रेरणा
शबनम अब सिर्फ एक बच्ची नहीं, बल्कि उन हजारों जरूरतमंद बच्चों के लिए उम्मीद की किरण है, जिनका भविष्य सिर्फ एक सरकारी योजना से बदल सकता है।
रिपोर्ट/धर्मेन्द्र सिंह