हनुमान चालीसा का हर रोज सात्विक मन से पाठ किया जाये तो आत्मा का परमात्मा से मिलन संभव है….
आज दिन की सुरुआत राम भक्त महाबलि हनुमान से करते है आप को बताते चले की भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी हमेशा श्री राम की भक्ति में लीन रहते हैं सारा दिन प्रभु की सेवा में लगे रहते हैं।ऐसी मान्यता है कि रात के समय जब भगवान श्री राम विश्राम करते हैं,उस समय हनुमान जी की पूजा की जाए तो वो अपने भक्तों की पुकार अवश्य सुनते हैं।यदि आप हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो रात में अवश्य हनुमान जी का पूजन करें।बजरंगबली अवश्य आपकी पुकार सुनेंगे।यदि आपके जीवन में किसी भी तरह की परेशानी है तो रात के समय हनुमान चालीसा का पाठ करें।यदि आप पाठ 9 बजे रात शुरू करते हैं तो हर दिन उसी वक्त करें।यानी पाठ करने का समय ना बदलें।अपना आसन भी एक ही रखें उसे भी ना बदलें।आप देखेंगे की 21 दिन लगातार पाठ
करने के बाद आपकी समस्या हल होना शुरू हो जाएगी।प्रत्येक मंगलवार तथा शनिवार रात 8 बजे श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें,कुछ ही दिन में बच्चे का स्वभाव बदलेगा और आपकी बात मानने लगेगा।यदि आप विदेश में हैं और आपको सफलता नहीं मिल रही है तो हनुमान चालीसा का प्रतिदिन रात 8.30 बजे पाठ करें और कोशिश करें कि 9 दिन में 108 पाठ पूरे हो जाएं।आप देखेंगे आपको सफलता मिलने लगेगी।
इन बातों का रखें ख्याल…
हनुमान जी की पूजा उपासना करते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें,आपके पूजा का स्थान साफ होना चाहिए।हनुमान जी की पूजा के बाद आरती अवश्य करें।हनुमान जी को बेसन से बनी मिठाई का भोग लगाएं।पूजा के स्थान पर शांति रहे,पूजा के दौरान टीवी ना चलाएं या कोई गीत,संगीत ना बजाएं।
आज के समय में हर इंसान अपनों सपनों के टूटने और असफल होने के तनाव में घिरा रहता है और खुद को अनेकों संकटों से घिरा हुआ पाता है।ऐसे में उसको इन संकटों से मुक्ति दिलाने का आसान उपाय है संकट मोचन कहे जाने वाले हनुमान जी की स्तुति की आराधना करना।यकीन मानिए हनुमान चालीसा के पाठ के सिर्फ धार्मिक और पूजा-पाठ से संबंधित लाभ ही नहीं है बल्कि धर्म से इतर इसे स्वास्थ्य लाभ से भी जोड़ कर देखा जाता है।दर-असल हनुमान चालीसा को कई जटिल स्वास्थ्य बीमारियों और तनाव से बचाने का अचूक उपाय माना जाता है।खास कर हनुमान चालीसा की कुछ जरूरी चौपाइयों से कई सारे स्वास्थ्य से जुड़े फायदे भी होते हैं।
आज शहरों से दूर अकेले रह रहे लोगों को भय लगना लाजिमी ही है।ये भय जरूरी नहीं भूत के वजह से हो। ये भय अकेलेपन का, आर्थिक तौर पर,या किसी अन्य चीज का भी हो सकता है और ये भय कब तनाव का रूप ले लेता है पता ही नहीं चलता।ऐसे में नींद ना आने की भी समस्या हो जाती है।तो इस चौपाई का जाप करें और तनाव व भय को दूर भगायें।रोज सुबह-शाम 108 बार इस चौपाई का नित्य जाप करने से तनाव से मुक्ति मिलती है।
कोई भी व्यक्ति चाहें जितनी बीमारी से घिरा हो,इस चौपाई का जाप करने से हर तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं।यदि किसी व्यक्ति को कई बीमारी है और काफी इलाज करने के बाद भी वो ठीक नहीं हो रहा है तो मंगलवार या शनिवार को उसे हनुमान जी की तस्वीर के सामने बैठकर पूरी हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए,इससे जल्द ही इंसान को बीमारी से मुक्ति मिलती है।
अगर किसी भी तरह की कठिनाई या दुख दूर नहीं हो रहा है और समस्याओं का समाधान नहीं निकल रहा है या जॉब लगने में परेशानी हो रही है तो इस चौपाई का पाठ करें।ये चौपाई आत्मिक शांति देती है और इंसान में आत्मविश्वास पैदा करती है।तो जीवन में कभी भी कॉन्फिडेंस लूज हो तो रोज, ब्रह्म मुहूर्त में आधा घंटा इन पंक्तियों का जाप करें, लाभ प्राप्त होगा।
अगर रोज याद किया अगले दिन ही भूल जाते हैं।बच्चे को पढ़ा हुआ कुछ भी याद नहीं रहता या बच्चे के परीक्षा में मार्क्स कम आ रहे हैं तो बच्चे को इन चौपाइयों का पाठ करवाएं।ये चौपाइयां विद्या और धन पाने के लिए की जाती हैं।इन चौपाइयों के पाठ से हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।रोजाना 108 बार जो व्यक्ति इन चौपाइयों का पाठ करता है तो उसकी बुद्धि व धन संबंधी सारे दुःख दूर हो जाते हैं।
दोहा…
श्रीगुरु चरण सरोज रज,निज मनु मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके,सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं,हरहु कलेश विकार।।
चौपाई…
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सँवारे॥१०॥
लाय संजीवन लखन जियाए श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा तिन के काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै जै जै हनुमान गोसाई कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई॥३८॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
दोहा…पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
अगर हनुमान चालीसा का हर रोज सात्विक मन से पाठ किया जाये तो आत्मा का परमात्मा से मिलन संभव है।हनुमान जी को गुरु मानकर,आँखों और मन में बिठा कर के पूर्ण श्रद्धा से अगर साधना की जाये तो जातक आत्मिक और मानसिक शांति को प्राप्त करके गुरु ज्ञान प्राप्त सकता है और आत्मा से परमात्मा के मिलन की सुखद अनुभूति को प्राप्त कर सकता है।चूँकि हनुमान चालीसा शीघ्र फलदायक है तो निरन्तर साधना से व्यक्ति अपनी मुक्ति का मार्ग प्रशस्थ करके मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।हनुमान जी शिव जी के अवतार है और उनकी पूजा साधना को अत्यंत फलदायी कहा गया है।इसलिए हनुमान जी को अपना ईष्ट देव मानकर मुक्ति का मार्ग खोलने के लिए हनुमान चालीसा का नित्य प्रति पाठ आरम्भ कर देना चाहिए।
धर्मेन्द्र सिंह