कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल के पास निहित : एस डी संजय।…
दलित राज्यपाल को कठपुतली की तरह ट्रीट करना चाहती है सरकार : कुंतल कृष्ण।...

नीतीश का दलितों को प्रताड़ित, अपमानित करने का रहा है इतिहास : डॉ योगेंद्र पासवान
त्रिलोकी नाथ प्रसाद। बिहार के विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा निकाले गए विज्ञापन पर पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एस डी संजय ने बुधवार को साफ तौर पर कहा कि कुलपतियों के चयन और नियुक्ति का अधिकार राज्यपाल यानी कुलाधिपति के पास निहित है।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने विस्तृत रूप से बताते हुए कहा कि बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 10 के तहत यह अधिकार कुलाधिपति को है कि किसी भी विश्वविद्यालय के कुलपति का वे नियुक्ति करें। इसमें राज्य सरकार से केवल कंसल्ट करना है।
उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय संबंधित सारे अधिकार कुलपति और कुलाधिपति में निहित है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि राज्य सरकार कंसोलीटेड फंड से राशि विश्वविद्यालय को देती है। अधिनियम के तहत विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं ऐसे में राज्य सरकार को खाते का अनुकेक्षण कराने का अधिकार है।
उन्होंने आगे बताया कि अनुकेक्षण में गड़बड़ी पाए जाने पर सरकार कुलपति को कह सकता है या उसका रिपोर्ट भेज सकता है।
संजय ने स्पष्ट कहा कि जो स्थिति दिख रही उसके मुताबिक राज्य सरकार कुलाधिपति को छोड़कर स्वयं अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहती है, जो संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जानबूझकर ऐसा कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार जो कर रही है वह हस्तक्षेप कुलाधिपति के सम्मान पर कुठाराघात है। उन्होंने तो यहां तक कहा कि राज्य सरकार को विज्ञापन वापस लेना चाहिए।
संवाददाता सम्मेलन में भाजपा नेता कुंतल कृष्ण ने कहा कि यह राज्य सरकार का राज्यपाल के अधिकार पर हस्तक्षेप है। उन्होंने कहा कि इसे कही से उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार दलित राज्यपाल को कठपुतली की तरह ट्रीट करना चाहती है।
इधर डॉ योगेंद्र पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार का इतिहास दलितों को प्रताड़ित और अपमानित करने का रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही वे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को भी अपमानित किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में दलित समाज इस अपमान का बदला लेगा।