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गुरू गोविंद सिंह जी के 358 वी प्रकाश पर्व (जन्म दिवस) पर पर्यावरण भारती द्वारा पौधारोपण हुआ।

वेंकटेश कुमार/ पौधारोपण का नेतृत्व पटना महानगर के पेड़ उपक्रम प्रमुख हिमालय ने किया। पर्यावरण भारती के संस्थापक ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हेतु महापुरुषों के जन्म दिवस पर पौधारोपण स्मरणीय कार्य है। प्राकृतिक ऑक्सीजन पेड़- पौधे संसार के मानव को निःशुल्क प्रदान करते हैं। वायुमंडल के कार्बन डाई ऑक्साइड को वृक्ष शोषित कर अपना भोजन बनाते हैं। वृक्षों फल,फूल, औषधि, लाह, मधु,इमारती लकड़ी इत्यादि मिलते हैं। अतः प्रदूषण से बचाव हेतु घरों के आसपास पौधारोपण अभियान चलायें। 5 वर्षों तक पौधों की सुरक्षा अतिआवश्यक है। प्रयाग राज महाकुंभ– 2025 को “हरित कुम्भ ” बनाने हेतु संपूर्ण भारत से स्टील की थाली और कपड़े का थैला संग्रह किया जा रहा है। सभी श्रद्धालु थाली में भोजन कर थैला में रखेंगे। इससे भूमि, जल तथा वायु प्रदूषित नहीं होगा। इस अभियान में सभी मानव का सहयोग अपेक्षित है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पूर्व क्षेत्र कार्यवाह माननीय डॉक्टर मोहन सिंह जी ने बताया कि 6 जनवरी, पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सिख पंथ के 10 वें गुरू गोविंद सिंह जी का जन्म बिहार राज्य के पटना साहिब (पटना शहर) में हुआ था। सिख बन्धु प्रकाश पर्व के नाम से जानते हैं। इस वर्ष उनका 358 वी प्रकाश पर्व है।

उनके पिताजी सिख पंथ के 9 वें गुरू तेगबहादुर साहब थे एवं माता गुजरी थीं। 1670 में उनका परिवार आनंदपुर साहिब में बस गए थे। यहीं पर गोविंद साहब ने शिक्षा, घुड़सवारी, धनुर्विद्या, फारसी भाषा का अध्ययन किये। बचपन का नाम गोविंद राय था।1675 में गुरु गोविंद सिंह जी के पिता गुरू तेगबहादुर साहब ने कश्मीरी पंडितों की रक्षा हेतु प्राणों की आहुति दिये। 9 वर्ष की उम्र में गोविंद राय को 10 वें गुरू का दायित्व मिला। 13 अप्रैल 1699 को बैशाखी के दिन गुरू गोविंद सिंह जी ने धर्म रक्षा हेतु खालसा पंथ की स्थापना किये। उन्होंने कहा कि भविष्य में अब कोई गुरू नहीं होगा। गुरू के स्थान पर पवित्र ग्रंथ ‘”गुरू ग्रंथ साहिब ” होंगे। सभी पुरूष सिंह और महिलायें कौर होंगी। खालसा पंथ में पुरूषों के लिए 5 नियम अनिवार्य होंगे –1= केश,2= कंघा, 3=कड़ा, 5= कच्छा तथा 5= कृपाण।ये अब धर्म सैनिक होंगे। उनके 4 पुत्रों ने धर्म रक्षा हेतु बलिदान हो गये। गुरू गोविंद सिंह जी मुगलों से 14 युद्ध किए। उन्होंने अन्याय के सामने सिर नहीं झुकाये। धर्म , मानवता और स्वतंत्रता की रक्षा हेतु गुरू गोविंद सिंह जी सपरिवार बलिदान हो गए। ऐसा उदाहरण इतिहास में दूसरा कोई नहीं हैं। उनका देहावसान महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ 1708 ई में हुआ। वे संत सैनिक थे। उनका जीवन हम सबों के लिए प्रेरणादायक है। उनके प्रकाश पर्व (जन्म दिन) पर पौधारोपण पुनीत कार्य है। पर्यावरण भारती के पौधारोपण कार्यक्रम में डॉक्टर मोहन सिंह, राम बिलास शाण्डिल्य, डॉक्टर नगेन्द्र मेहता, नीरज नयन, हिमालय, चन्द्र किशोर आर्य, अनुज कुमार, निखिल रंजन, अनिल कुमार, राम सागर सिंह, नंद किशोर सिंह, विजय शाही, सुरेश, दिव्यांशु, मोहन कुमार,नवल सिंह इत्यादि ने किये।

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