संत रविदास ने भाईचारा का संदेश देकर समाज को एकता के सूत्र में बांधा: उमेश सिंह कुशवाहा।…
दलित समाज के कल्याण हेतु नीतीश सरकार ने अनेकों युगांतकारी निर्णय लिए: उमेश सिंह कुशवाहा
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मुकेश कुमार/बुधवार को जदयू प्रदेश कार्यालय, पटना में आयोजित संत रविदास की जयंती के मौके पर पार्टी के माननीय प्रदेश अध्यक्ष श्री उमेश सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री सह राष्ट्रीय महासचिव, श्री श्याम रजक, राष्ट्रीय महासचिव श्री मनीष कुमार वर्मा, माननीय विधानपार्षद सह कोषाध्यक्ष श्री ललन कुमार सर्राफ, माननीय विधानपार्षद श्री संजय कुमार सिंह उर्फ गांधी जी, पूर्व राज्यसभा सांसद श्री अनिल हेगड़े, राष्ट्रीय सचिव सह प्रवक्ता श्री राजीव रंजन प्रसाद, माननीय विधायक श्री धीरेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू सिंह, पूर्व विधानपार्षद श्री सतीश कुमार, प्रो0 नवीन आर्य चंद्रवंशी, प्रदेश महासचिव श्री अरूण कुमार सिंह, श्री परमहंस कुमार, डाॅ0 धर्मेन्द्र चंद्रवंशी, पटना महानगर, अध्यक्ष श्री आसिफ कमाल, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष सह प्रवक्ता डाॅ0 भारती मेहता, प्रदेश प्रवक्ता श्री हिमराज राम, प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती अंजुम आरा, श्री अरविन्द निषाद, श्री वैद्यनाथ विकल, श्री विरेन्द्र सिंह दांगी, श्री हुलेश मांझी, श्रीमती कंचन माला चैधरी, श्री राम कुमार राम, श्री संजय चंद्रवंश, श्री मोनी सिंह, श्री दीपक निषाद एवं मो0 असद एजाज सहित कई नेतागण एवं कार्यकर्तागण मौजुद रहे।
इस दौरान श्री उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि संत रविदास का जीवन हमें इस बात की प्रेरणा देता है कि व्यक्ति जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्म से बड़ा होता है। जातिवाद जैसी सामाजिक रूढ़ियों के खिलाफ उन्होंने जैसी अलख जगाई उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने समाज में फैली तमाम कुरीतियों और बुराइयों का विरोध किया था और सच्चे मार्ग पर चलने की राह दिखाई थी। साथ ही उन्होंने सभी समाज को एकता के सूत्र में बांधा। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में महापुरुषों और संतों को सम्मान देने की संस्कृति हमारे नेता ने शुरू की है। गौतम बुद्ध से लेकर बाबासाहेब अंबेडकर तक और महात्मा गांधी से लेकर दशरथ मांझी तक इसके अनेकों उदाहरण हैं। समाज के दबे-कुचले, हाशिये पर खड़े लोगों के उत्त्थान के लिए उन्होंने कल्याणकारी योजनाओं का अंबार लगा दिया। अनसूचित जाति और जनजाति को वे विकास की मुख्यधारा में लेकर आए। श्री कुशवाहा ने कहा कि बिहार पहला राज्य है जहाँ महादलित विकास मिशन और अतिपिछड़ा वर्ग आयोग का गठन हुआ। हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को महादलित बस्ती के किसी बुजुर्ग द्वारा झंडा फहराने की शुरुआत हमारे नेता की सोच की देन है।