क्लबफुट से पीड़ित साक्षी और परी को मिला नया जीवन अवसर
आरबीएसके टीम की पहल पर दोनों बच्चियों को जेएलएनएमसीएच भागलपुर भेजा गया, जन्मजात विकृति से मुक्त स्वस्थ बचपन की दिशा में किशनगंज स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण पहल

किशनगंज,05नवंबर(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत जन्मजात विकृतियों से जूझ रहे बच्चों को नया जीवन देने की दिशा में जिले में एक और सराहनीय पहल की गई है। जिले के सदर अस्पताल किशनगंज से बुधवार को क्लबफुट से पीड़ित दो बच्चियों — साक्षी कुमारी और परी कुमारी — को विशेषज्ञ इलाज के लिए जेएलएनएमसीएच भागलपुर रवाना किया गया। दोनों बच्चियों के माता-पिता ने आरबीएसके टीम के इस सहयोग के लिए आभार जताया और कहा कि अब उन्हें उम्मीद है कि उनकी बेटियां सामान्य जीवन जी सकेंगी।
आरबीएसके टीम की सतर्क निगरानी में हुआ चयन
आरबीएसके टीम द्वारा नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान दोनों बच्चियों में क्लबफुट (जन्मजात पैर विकृति) की पहचान की गई। जांच उपरांत परिवारों को परामर्श दिया गया और इलाज के लिए भागलपुर मेडिकल कॉलेज भेजने की प्रक्रिया पूरी की गई।
टीम के एक सदस्य ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था में इलाज से यह विकृति पूरी तरह ठीक की जा सकती है। उनका कहना था कि “हमारा उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा जन्मजात विकृति के कारण जीवनभर परेशानी न झेले। ऐसे सभी मामलों की पहचान कर विशेषज्ञ उपचार सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है।”
क्लबफुट क्या है और इलाज क्यों जरूरी है
क्लबफुट एक जन्मजात विकृति है, जिसमें बच्चे का पैर अंदर की ओर मुड़ जाता है जिससे चलने में कठिनाई होती है। समय पर इलाज मिलने से यह स्थिति पूरी तरह सुधर सकती है। सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि आरबीएसके कार्यक्रम के अंतर्गत जन्मजात विकृतियों से ग्रसित बच्चों की शीघ्र पहचान और उपचार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि “साक्षी और परी जैसी बच्चियां स्वस्थ होकर समाज में प्रेरणा बनेंगी।”
माता-पिता की उम्मीदों को मिला सहारा
दोनों बच्चियां आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से हैं। उनके माता-पिता ने बताया कि वे इलाज को लेकर चिंतित थे, लेकिन आरबीएसके टीम ने घर जाकर उन्हें पूरी प्रक्रिया समझाई और निःशुल्क इलाज के लिए भागलपुर भेजने की व्यवस्था की।
परी की मां ने भावुक होकर कहा, “सरकार और डॉक्टरों के इस सहयोग से हमें उम्मीद की किरण दिखी है। अब हमारी बच्ची भी बाकी बच्चों की तरह चल सकेगी।”
स्वास्थ्य विभाग की प्रतिबद्धता — कोई बच्चा न रहे पीछे
जिला स्वास्थ्य समिति के अनुसार आरबीएसके के तहत जिले में चार डीईआईसी टीमें सक्रिय हैं, जो शिशुओं और स्कूली बच्चों में जन्मजात विकृतियों, रोगों व विकलांगताओं की जांच कर उपचार सुनिश्चित करती हैं।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. मुनजिम ने बताया कि किशनगंज जिले में अब तक कई बच्चों का सफल उपचार आरबीएसके के माध्यम से कराया गया है। “यह कार्यक्रम बच्चों के स्वस्थ बचपन के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच है। हम हर सप्ताह रिपोर्ट की समीक्षा करते हैं और जरूरतमंद बच्चों को रेफर करते हैं।”
स्वस्थ बचपन की दिशा में ठोस कदम
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि आरबीएसके कार्यक्रम के माध्यम से किशनगंज स्वास्थ्य विभाग बच्चों में जन्मजात विकृतियों, दृष्टि या श्रवण दोष, एनीमिया और अन्य समस्याओं की पहचान कर समय पर उपचार सुनिश्चित कर रहा है।
उन्होंने कहा कि “साक्षी और परी जैसी बच्चियों को जेएलएनएमसीएच भागलपुर भेजे जाने की यह पहल न केवल दो परिवारों के लिए आशा की किरण है, बल्कि जिले में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया एक सार्थक और संवेदनशील कदम भी है।”


