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*डोर-टू-डोर कचरा उठाव से भी बढ़ी ग्रामीण स्वच्छता*

 

⦁ *एक लाख से अधिक रिक्शे कर रहे गांवों से कचरे का उठाव*

⦁ *लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान से ग्रामीण अपशिष्टों का हो रहा निपटान⦁ *8,024 ई-रिक्शा और 1 लाख 8 हजार 687 पैडल रिक्शे डोर-टू-डोर कर रहे कचरे का उठाव*

⦁ *कृषि एवं पशु अपशिष्ट के निपटान के लिए चलाई जा रही गोबरधन योजना*

मुकेश कुमार/बिहार में लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत ग्रामीण अपशिष्टों का बेहतरीन तरीके से प्रबंधन हो रहा है। अब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के लिए डोर-टू-डोर कचरे का उठाव किया जा रहा है। कचरे के उठाव और परिवहन के लिए एक लाख से अधिक रिक्शों का इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें ग्राम पंचायत स्तर पर 8 हजार 24 ई-रिक्शा और 1 लाख 8 हजार 687 पैडल रिक्शा का उपयोग किया जा रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में कचरे के निपटान की समस्या दूर हुई है।

*तरल अपशिष्ट प्रबंधन में भी बड़ी उपलब्धि*
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत तरल अपशिष्ट प्रबंधन को भी मजबूत किया गया है। अब तक 4 लाख 35 हजार से अधिक सामुदायिक सोकपिट, 78 हजार 995 जंक्शन चैम्बर और 23 हजार 421 नाली निकासी बिन्दु का निर्माण किया गया है।

*35 गोबरधन इकाइयों का हुआ निर्माण*
कृषि एवं पशु अपशिष्ट के निपटान और बॉयोगैस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिला स्तर पर गोबरधन योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना के तहत राज्य में 35 गोबरधन इकाइयों का निर्माण किया गया है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2025-26 में सभी जिलों में गोबरधन इकाइयों का निर्माण कर सुचारू रुप से संचालित किए जाने का लक्ष्य है। नीतीश सरकार की इन क्रांतिकारी योजनाओं के कारण अब ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता बढ़ी है। इसके साथ ही लोगों के जीवन में खुशहाली भी आयी है।

*जीविका और स्कूली बच्चे भी देंगे योगदान*
आने वाले वर्षों में लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान को और भी सफल बनाने के लिए जीविका जैसे समुदाय आधारित संगठनों के सदस्यों, पंचायती राज प्रतिनिधियों, संबंधित विभाग एवं संस्थान के प्रतिनिधियों, फ्रंटलाइन वर्कर, स्वच्छता पर्यवेक्षक, स्वच्छता कर्मियों समेत सभी हितधारकों का क्षमतावर्धन किया जाएगा। इसके साथ ही सभी हितधारकों, समुदाय के प्रभावशाली लोगों, जनप्रतिनिधियों, युवा, महिला, स्कूली बच्चों, हितग्राही संगठनों का सहयोग प्राप्त करते हुए जन-जागरूकता कार्यक्रम, सूचना शिक्षा एवं संचार, व्यवहार परिवर्तन संचार, सामुदायिक लामबंदी इत्यादि कार्यक्रमों का निरंतर संचालन किया जाएगा लिहाजा आने वाले दिनों में जीविका की सदस्य और स्कूली बच्चे भी योगदान देते दिखेंगे।

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