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राजद के राज्यसभा सांसद प्रो0 मनोज कुमार झा जी का प्रेस-कॉन्फ्रेंस का वक्तव्य।…

सोनू कुमार/राजद के राज्यसभा सांसद प्रो0 मनोज कुमार झा जी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव जी ने माननीय गृह मंत्री भारत सरकार को एक पत्र लिखा है। पत्र एक ऐसी एक ऐसे कालखंड में लिखा गया है। एक ऐसे ऐतिहासिक संदर्भ में लिखा गया है जब पूरा देश उद्वेलित है।

प्रो0 मनोज झा ने कहा कि पहलगाम में जो हुआ हमारे दल ने बार-बार कहा कि ये महज एक दहशतगर्दी का एक एपिसोड नहीं था। दहशतगर्दी के माध्यम से इस देश में नफरत बोने की साजिश थी। लेकिन शुक्रिया इस देश की मिट्टी का कि जो सरहद पार के नापाक मंसूबे थे उसको हमारी मिट्टी ने नेस्तनाबूत कर दिया। उस मिट्टी ने दिखा दिया कि इस मिट्टी में विक्रम मिसवी है, वमिका है, सोफिया कुरैशी है। इस मिट्टी को कोई बांट नहीं सकता।

प्रो0 मनोज झा ने कहा कि किसी घर का जब चिराग बुझता है, युद्ध हो, युद्ध जैसे हालात हो, आतंक की घटनाएं हो, तमाम चीजें होती है। मुआवजा की घोषणा होती है। सुरक्षित सामाजिक सुरक्षा पेंशन की घोषणा होती है। पार्थिव शरीर पे श्रद्धांजलि देने में हम सब पहुंचते हैं नम आंखों से। लेकिन जो हमें स्मरण रखना चाहिए उस संदर्भ में हमारे नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जी ने गृह मंत्री जी से आग्रह किया कि जो सुविधाएं मुआवजे अन्य सुरक्षा की गारंटी शहीद का दर्जा जो भारतीय सेना के हमारे वीर जवानों को मिलता वो अर्धसैनिक बलों को भी उसी तरह दिया जाय। इस तरह की पहल कदमी से देश की सेना का मनोबल बढ़ता है। देश के सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ता है। आखिर सरहद पे वो हमें विपरीत परिस्थिति में खड़े हो के हमें महफूज़ रखते हैं। हम आप आज मीडिया इंटरेक्शन कर रहे हैं। इसलिए कि सरहद पर खड़ा हमारा हर सैनिक चाहे भारतीय सेना का हो या अर्धसैनिक बल हो। उसने हमें महफूज रख रखा हुआ। अभी हाल में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी हमने ये बातें देखी।

प्रो0 मनोज झा ने तेजस्वी यादव जी द्वारा गृह मंत्री जी के नाम लिखा पत्र को दिखाते हुए कहा कि इस पत्र में उकेरी गई सबसे महत्वपूर्ण चीज जो है कई दफा युद्ध जनित जख्मों के कारण तात्काल तत्काल मौत नहीं होती है। कालांतर में मौत होती है। उसको भी शहीदी का दर्जा देने के क्रम में उसको रखा जाए। उन्होंने कहा कि अर्धसैनिक बल के शहीदों को भी बैटल कैजुअल्टी घोषित किया जाए। जिससे उन्हें उनके परिवार को समान सम्मान लाभ एवं मुआवजा मिल सके। सरकारी नौकरी, पेंशन एवं अन्य सरकारी सुविधाओं में सेना एवं अर्धसैनिक बलों के शहीदों के परिजनों में अनुरूपता हो, सिमिलरिटी हो।

नेशनल वॉर मेमोरियल जो इस बात की तस्दीक करता है कि ये मेमोरियल किनके किनका है? इसकी महत्ता क्या है? उसमें भी अर्ध सैनिक शहीदों के नाम दर्ज किए जाए। एक्स ग्रेनेशिया हो और राज्य सरकार की ओर से दिए जाने वाली प्रतिपूर्ति में समानता हो। हम आतंकवाद से ही नहीं जूझ रहे हैं। युद्ध जैसे हालात से भी नक्सलवाद, आतंकवाद विरोधी कारवाई, युद्ध या युद्ध जैसी परिस्थितियां अगर होती है तो दिव्यांगता के बाद सैनिक सैनिक बल के जवानों को सेवानिवृत्ति दी जाती है। फिर जब कालांतर में छ महीने, आठ महीने, साल भर, दो साल, चार साल बाद उनकी मौत होती है। हम इस बात को बसरा देते हैं कि उनकी मौत के पीछे वो प्रभारी कारक हैं जिसको एड्रेस करना जरूरी है और उसको शामिल किया जाए और मैं समझता हूं कि

प्रो0 मनोज झा ने कहा कि तेजस्वी यादव जी ने पूरी संजीदगी के साथ संवेदना के साथ हमारी आपकी मनोभावना को गृह मंत्री जी तक पहुंचाने का काम किया है। मैं एक बार फिर दोहराता हूं कि आज की डेट में अगर पहलगाम के बाद हमारे सैनिकों ने अर्धसैनिक बलों ने जो आतंक विरोधी कारवाई की उसकी दुनिया भर में एक बात के लिए सराहना हो रही है। हमने सिविलियन टारगेट्स नहीं रखे। हमने मिलिट्री इस्टैब्लिशमेंट को नहीं छुआ। हमने सिर्फ आतंक की प्रयोगशालाओं को प्रसीजन के साथ टारगेट किया। आतंक की प्रयोगशाला उन्हें मात्र और वो भारत की एक रणनीति कई वर्षों से रही है क्योंकि हमने अपने लोग खोए हैं। पुलवामा में अपने प्यारे जवान खो दिए हमने। आज सवाल पूछने का नहीं है।

प्रो0 मनोज झा ने कहा कि तेजस्वी जी के द्वारा पत्र लिखा गया है पूरी संवेदना के साथ अपने अर्धसैनिक बलों के सम्मान में। माननीय गृह मंत्री के नाम और उम्मीद है जैसे पूरा देश दलीय दायरों से ऊपर उठकर के अब तक एक जैसा सोच रहा है। वही सोच सामूहिक सोच माननीय गृह मंत्री जी को माननीय प्रधानमंत्री जी को प्रेरित करें और इस पर फैसला लिया जाए। संवाददाता सम्मेलन में राजद के एमएलसी सह प्रवक्ता अजय कुमार सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता जयंत जिज्ञासु, प्रदेश प्रवक्ता अरुण कुमार यादव, सारिका पासवान और प्रमोद कुमार सिन्हा उपस्थित थे।

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