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*राज्य में कृषि वृद्धिकरण को मिलेगा बढ़ावाः कृषि मंत्री, बिहार*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:-मौसम परिवर्तन के परिपेक्ष्य में बिहार सरकार वर्तमान फसल पद्धति में आवश्यकता आधारित वृद्धिकरण पर जोर देगी। राज्य के प्रत्येक जिले से वर्तमान मौसम के अनुकूल कृषि पद्धति अपनाने संबंधी आंकड़ों का संग्रहण किया जायगा और प्रत्येक जिले के लिए स्वतंत्र कार्ययोजना बनाकर इसका क्रियान्वयन कराया जायगा। उक्त बातें श्री कुमार सर्वजीत, माननीय कृषि मंत्री बिहार के द्वारा कृषि विश्वविद्यालय सबौर में नवनिर्मित प्रसार शिक्षा निदेशालय तथा बीज एवं प्रक्षेत्र निदेशालय के नवनिर्मित भवन के उद्घाटन अवसर पर कही गयी। माननीय कृषि मंत्री ने कहा कि धान, गेहूँ फसल पद्धति के आच्छादन को कम करने की आवश्यकता है क्योंकि मौसम परिवर्तन के कारण सही समय पर एवं पर्याप्त मात्रा में वर्षा नहीं होने के फलस्वरुप किसानों को बहुत हानि होती है। कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए एवं उस पर अनुसंधान के लिए राज्य सरकार द्वारा गया जिले में 150 करोड़ की लागत से सेन्टर ऑफ एक्सिलेंस स्थापित किया गया है जिसका लाभ हमारे किसान भाईयों को होगा। कृषि विभाग के द्वारा भूमि संरक्षण पर आवश्यकता अनुसार आधारित अनुसंधान के लिए भी “सेन्टर ऑफ एक्सिलेंस स्थापित किया जाएगा। माननीय कृषि मंत्री ने कहा कि प्रकृति में हो रहे बदलाव के लिए सभी प्रकार का सहयोग विश्वविद्यालय को राज्य सरकार प्रदान करेगी। कृषि मंत्री ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों की तात्कालिक समस्याओं के समाधान हेतु छोटे-छोटे विडियो मैसेज बनाकर सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित करें जिससे राज्य के किसानों को अधिक लाभ हो। इस अवसर पर डॉ. डी. आर. सिंह, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के द्वारा कृषि मंत्री का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया गया। कुलपति महोदय ने विश्वविद्यालय के शिक्षा, शोध प्रसार सहित अन्य गतिविधियों एवं उपलब्धियों को विस्तार से चर्चा की हाल ही में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के 81 छात्रों ने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की है जो कि एक रिकार्ड है। विश्वविद्यालय के एक छात्र ने पी.एच.डी. की एक प्रतियोगी परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है और एक छात्रा की थीसिस को राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ है। कुलपति महोदय ने बताया कि विश्वविद्यालय के सहयोग से भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA) नई दिल्ली द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर दिये जाने वाले पुरस्कारों के लिए बिहार के दो कृषक समुदायों और चार कृषकों का चयन हुआ है। सर्वश्रेष्ठ पादप जीनोम संरक्षक कृषक समुदाय पुरस्कार के लिए कतरनी धान उत्पादक संघ और लीची उत्पादक संघ को चयनित किया गया है तथा सर्वश्रेष्ठ पादप जीनोम संरक्षक कृषक के लिए जमुई के श्री अर्जुन मंडल को औषधीय पौधों, रोहतास के श्री दिलीप कुमार सिंह को

टमाटर, रोहतास के ही श्री अर्जुन सिंह को लौकी एवं धान तथा मुंगेर के श्री सत्यदेव सिंह को मसूर, तीसी और चना के लिए पुरस्कार हेतु चयनित किया गया है साथ ही सामुदायिक रेडियो स्टेशन को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया है।

इस अवसर पर स्वागत भाषण देते हुए निदेशक प्रसार शिक्षा ने विश्वविद्यालय के प्रसार एवं प्रशिक्षण उपलब्धियों की विस्तार से चर्चा की और बताया कि ‘चतुर्थ बिहार कृषि रोड मैप के क्रियान्वयन से राज्य में कृषि प्रसार को नया आयाम मिलेगा साथ राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक प्रखंड में स्थापित ई-किसान भवन को सूचना संचार क्रांति से जोड़कर उसे किसानों के घर-घर तक पहुँचाया जाएगा।

इस अवसर पर माननीय कृषि मंत्री जी द्वारा जैव विविधता को संरक्षित करने के उद्देश्य से “नेचर क्लब’ के लोगो का लोकार्पण साथ ही नव-निर्मित भवन के परिसर में कार्य किया गया। वृक्षा रोपण का

इस अवसर पर डॉ. फिजा अहमद, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन एवं डॉ. राज नारायण सिंह, सह-निदेशक प्रसार शिक्षा के द्वारा मंच का संचालन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के निदेशक, अधिष्ठाता कुलसचिव, नियंत्रक, पी.आर.ओ. सहित बड़ी संख्या में छात्र छात्रा उपस्थित थे।

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