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जिलाधिकारी, पटना द्वारा आज बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए चलाए जा रहे राहत कार्यों की समीक्षा की गई।

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/ अधिकारियों को एसओपी का अनुपालन करते हुए इसके अनुसार लोगों को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। अनुमंडल पदाधिकारियों एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारियों को लगातार क्षेत्र भ्रमण करने; बच्चों, महिलाओं, किसानों, बुजुर्गों सहित आम जनता से नियमित संवाद स्थापित करने एवं फीडबैक लेने तथा स्थिति के अनुसार तुरंत रिस्पॉन्ड करने का निदेश दिया गया है।

जिलाधिकारी ने कहा कि बाढ़-प्रभावित लोगों की सहायता के लिए जिला प्रशासन, पटना द्वारा राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुरूप सभी कार्य किया जा रहा है। सामुदायिक रसोई केन्द्रों का संचालन, सूखा राशन का वितरण, स्वास्थ्य जाँच तथा दवाओं की उपलब्धता, नावों का परिचालन, कुट्टी-भूसा पशु चारा का वितरण एवं पशु चिकित्सा की उपलब्धता, स्वच्छ पेयजल, शौचालय की सुविधा, तटबंधों की निगरानी सहित आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण से राहत कार्य तथा हर कार्रवाई की जा रही है।
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गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने के कारण 7 प्रखण्डों- अथमलगोला, बाढ़, दानापुर, दनियावां, मनेर, मोकामा एवं पटना सदर- के 24 पंचायतों में लगभग 2,38,000 आबादी प्रभावित हुई है। प्रभावित लोगों के लिए जिला प्रशासन द्वारा 11 सामुदायिक रसोई केन्द्रों के माध्यम से भोजन की व्यवस्था की जा रही है। सामुदायिक रसोई केन्द्रों के माध्यम से अबतक लगभग 70,881 (थाली की संख्या) लोगों को भोजन कराया गया है। जरूरतमंद परिवारों के बीच 8,022 ड्राई राशन पैकेट एवं 7,780 पॉलीथीन शीट्स का भी वितरण किया गया है। आवागमन को सुगम बनाने हेतु कुल 95 नावों का परिचालन कराया जा रहा है। 722 क्विंटल पशुचारा का वितरण किया गया है। राहत एवं बचाव कार्य के लिए पटना जिला में एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ की 1-1 टीम तैनात है।
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जिलाधिकारी ने कहा कि *बाढ़ प्रभावितों के जान-माल की सुरक्षा एवं ससमय राहत पहुँचाना प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता* है। बाढ़-प्रभावित व्यक्तियों के आवागमन के लिए पर्याप्त संख्या में नावों का परिचालन कराया जा रहा है। इसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया जाएगा। अनुमंडल पदाधिकारियों; अनुमंडल पुलिस पदाधिकारियों एवं अंचल अधिकारियों को नावों के परिचालन में निर्धारित मानकों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है ताकि लोगों की सुरक्षा हर-हाल में सुनिश्चित रहे।

जिलाधिकारी ने कहा कि वर्तमान स्थिति के दृष्टिगत कुल 11 सामुदायिक रसोई केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। अंचल अथमलगोला, बाढ़ एवं दानापुर में 1-1, मोकामा में 6 तथा पाटलिपुत्रा अंचल में 2 सामुदायिक रसोई केन्द्र क्रियाशील है। सामुदायिक रसोई केन्द्रों का एसओपी के अनुसार संचालन किया जा रहा है तथा लोगों को निर्धारित मानकों के अनुसार भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। जिलाधिकारी द्वारा पदाधिकारियों को गुणवत्ता सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया है।

जिलाधिकारी ने कहा कि गंगा नदी के जल-स्तर में वृद्धि के कारण आस-पास के इलाके में पानी फैल गया है। कुछ पंचायतों के निचले हिस्से में नदी का पानी आया हुआ है। अनेक जगहों पर गंगा नदी का पानी सड़क के किनारे आ गया है। इसे देखते हुए जिला प्रशासन पूर्णतः सजग एवं सतर्क है। पदाधिकारियों द्वारा लगातार क्षेत्र भ्रमण किया जा रहा है। सभी एजेंसियों को अलर्ट किया गया है। स्थिति पर प्रशासन की पैनी नजर है। सभी वरीय पदाधिकारी एवं क्षेत्रीय पदाधिकारी बाढ़ संभावित क्षेत्रों में निरंतर भ्रमणशील हैं। आम जनता को कोई असुविधा नहीं होगी। 235 निजी नावों के साथ एकरारनामा की गई है। 265 गोताखोरों को प्रशिक्षित किया गया है। 270 लाइफ जैकेट, 4 जीपीएस सेट तथा 5 इन्फ्लेटेबल लाइट सिस्टम सहित अन्य सभी संसाधनों की व्यवस्था है। 40,773 पॉलीथिन शीट्स उपलब्ध है। चिन्हित शरणस्थलों की संख्या 119 है। एसडीआरएफ की एक कंपनी (गायघाट) 12 बोट एवं 36 कर्मियों के साथ मुस्तैद है। एनडीआरएफ की टीम को भी तैनात किया गया है।

डीएम के निर्देश पर अंचलाधिकारियों, भूमि सुधार उप समाहर्ताओं, अनुमंडल पदाधिकारियों तथा अपर जिला दंडाधिकारी, आपदा प्रबंधन द्वारा विभिन्न क्षेत्रों का निरीक्षण किया जा रहा है। जिलाधिकारी द्वारा अधिकारियों को सरकार द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार सभी व्यवस्था त्रुटिहीन ढंग से सुनिश्चित रखने का निदेश दिया गया है। अपर जिला दंडाधिकारी (आपदा प्रबंधन), पटना को अनुश्रवण करने का निदेश दिया गया है।

*जिलाधिकारी ने कहा कि नदियों के जलस्तर एवं बाढ़ संभावित क्षेत्रों की सतत निगरानी की जा रही है। पटना में नदियों का जल स्तर घट रहा है। जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी।*

जिलाधिकारी ने कहा कि पटना ज़िला में गंगा नदी एवं उसकी सहायक नदियों के जल-स्तर में परिवर्तन को देखते हुए सभी अनुमंडल पदाधिकारियों, अंचल अधिकारियों एवं प्रखंड विकास पदाधिकारियों को स्थिति सामान्य होने तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का प्रतिदिन भ्रमण करने, घाटों एवं ऐसे इलाक़ों में नियमित निगरानी करने तथा आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार सभी आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिला आपदा प्रबंधन तंत्र पूर्णतः एलर्ट है। अधिकारियों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का लगातार भ्रमण किया जा रहा है। इनके द्वारा निर्धारित क्षेत्रों में जाकर लोगों से बात की जा रही है।

जिलाधिकारी ने कहा कि आम नागरिकों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपदा प्रबंधन तंत्र पूर्णतः सक्रिय एवं तत्पर है। किसी भी प्रकार की आवश्यकता पड़ने पर आम लोगों द्वारा डायल-112, जिला आपातकालीन संचालन केन्द्र (0612-2210118) या 24*7 जिला नियंत्रण कक्ष (0612-2219810/ 2219234) पर सूचना दी जा सकती है।

 

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