आपदा में अवसर ढूंढ कर अपने जेब और रेलवे खजाने को भर रहें रेलवे प्रबंधन व कर्मचारी।

कानून को तोड़ा है यह बात अधिकारी व चापलूस कहते है, आखिर कानून को क्यों तोड़ा यह बात कोई भी नहीं कहते।
अनिल कुमार मिश्र औरंगाबाद (बिहार) :- कोरोना (कोविड-19) की आपदा व महामारियों में प्रदेश से घर लौट रहे प्रदेशियों का हकियत को क्या कभी भी सरकार में बैठे लोग और समाज के आयना कहे जाने पत्रकारो ने जानने का प्रयास किया है तो इसका जबाब होगा, ब्यवस्था में बैठे अधिकांश लोगों को देश व समाज को लुटने और चापलुसी करने से फुरसत कहाँ है जो देश व जनहित का बात करें। देश व समाजहित में जो भी लोग आवाज उठा रहे हैं उनपर सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों के पैनी निगाह है तथा प्रशासनिक संरक्षण में दवंगों का जूल्म जारी है। उक्त बातें प्रबुद्धजनों ने केवल सच समाचार को जनसंदेश में कहा है और सरकार को अपने ब्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हूए कहा है कि महामारी व आपदा की घड़ी में सरकारी ब्यवस्था ने प्रदेशियों को खाली पेट घर लौटने को मजबूर किया है। ट्रेनटिकट नहीं मिलने पर लोग ट्रेन में चढ़ रहे हैं और जानबूझकर मजबूरन अपने जुर्म स्वीकार कर बिना जुर्म का फाईन भरकर ट्रेन का सफर कर रहे है । वहीं आपदा में वसूले गये फाईन से केन्द्र सरकार के खजाने भर रहे है और संबंधित अधिकारियों ने आपदा में अवसर को ढ़ुढ़ को अपना जेब तथा सरकारी खजाने को भरते आ रहे है।
आपदा व ब्यवस्था में लूट की शिकार जनता लुटाने व बेमौत मरने को विवश है। ब्यस्था में लूट में मजबूर प्रदेशी बाबू रेलवेस्टेशन का गर्म पानी पीकर किसी तरह भुखे प्यासे घर पहुँच रहे है और ट्रेन का मारे फिरे लोग घर पहुँचते ही बिमार पड़ जा रहे है। आपदा के मारे लोग अपने तबियत को ठीक करने के लिए पैसे की अभाव में बुखार की दवा खरीद कर किसी तरह खा रहे है। जब तबियत बिगड़ जा रहा है तो कोराना के नाम पर कोई भी डाँक्टर ईलाज करने को तैयार नहीं है और बीमार लोग ईलाज व औक्सीजन के अभाव में मारते जा रहे है।
अगर यह कहा जाये कि आपदा की घड़ी में प्रदेशियों को भूखे मारने को विवश करने वाले रेलवे प्रशासन व प्रबंधन भी मौत की बढ़ते दरों के लिए कम जबाबदेह नहीं है तो इस में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगें।
प्रबुद्धजनों ने सरकार व प्रशासन में बैठे लोगों को रेलवे की ब्यवस्था तथा रेल के अंदर प्रदेशियों के साथ जारी लूट की और ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि प्रदेश से घर लौट रहे प्रदेशियों का हकियत, क्या है कभी भी सरकार में बैठे लोग और समाज के आयना कहे जाने वालो पत्रकारो ने जानने का प्रयास किया है तो इसका जबाब संभवत: होगा , अधिकांश लोगों को देश व समाज को लुटने और चापुलूसी करने से अधिक समय कहाँ हैं।