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निजीकरण बंद हो और निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू हो: बीकेएमयू मोदी सरकार में महिलाओं पर अत्याचार बढ़े: एनी राजा

त्रिलोकी नाथ प्रसाद -भारतीय खेत मजदूर यूनियन (बीकेएमयू) के 15वें राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन महासचिव गुलजार सिंह गोरिया द्वारा पेश सांगठनिक, राजनीति और कार्य रिपोर्ट पर चर्चा हुई। बहस में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन का भारतीय महिला फेडरेशन की राष्ट्रीय महासचिव ऐनी राजा ने अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है तब से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। महिलाओं के साथ क्रूर मजाक किया जा रहा है। देश की कृषि व्यवस्था में महिलाओं का बहुत योगदान है। 65 खेत मजदूर महिला हैं। भूखमरी सबसे ज्यादा भारत में है। मोदी सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने के बजाए अत्याचारियों को जेल से रिहा कर रही है। सम्मेलन में कई प्रस्ताव पारित किए गए। प्रस्ताव पारित कर अनुसूचित जाति एवं जन जाति अत्याचार (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 को मजबूत करें करने की मांग की गई। निजीकरण बंद को बंद करने सरकारी कंपनियों के निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की गई। सभी संविदा और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करें, निजी क्षेत्र की नौकरियों में अनिवार्य आरक्षण लागू करें। बीकेएमयू के राष्ट्रीय सम्मेलन ने कहा है कि एससी एसटी कोटा को कम किए बिना दलित मुस्लिमों और ईसाईयों को आरक्षण दिया जाए। एससी एसटी उपयोजना को बहाल करें और इसे सच्ची भावना के साथ लागू करें। नई शिक्षा नीति को रद्द की जाए। संस्थागत हत्या के खिलाफ कानून बनाया जाए। भूमि हदबंदी अधिनियम लागू करें और भूमिहीनों को भूमि वितरित करें। सम्मेलन में संविधान, लोकतन्त्र, धर्म निरपेक्षता के लिए प्रस्ताव पारित किए गए। प्रस्ताव में कहा गया है कि भारतीय खेत मजदूर यूनियन का यह 15वां राष्ट्रीय सम्मेलन अपनी सभी इकाईयों, नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से आह्वान करता है कि वे देश के संविधान लोकतंत्र और धर्म निरपेक्षता की रक्षा में ग्रामीण लोगों को लामबन्द करें। राष्ट्रीय सम्मेलन भाजपा-आर एस एस और उनके संगठनों द्वारा हमारे बहुलवादी समाज और संस्कृति को नष्ट करने की लगातर कोशिशों पर गम्भीर व्यक्त करता है। ये सम्प्रदायिक एवं फासिस्ट ताकतें खासतौर से पिछले 9 वर्षों से हमारे समाज के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को नष्ट करने के लिये हमलों और प्रचारों के जरिये लगातार कदम उठाती आ रही है। गौरक्षा और गोमांस पर प्रतिबंध के नाम पर उन्होंने देश के अनेक हिस्सों में दलितों और अल्पसंख्यकों पर हमले किये हैं। वे हमारे बहुधर्मी समाज पर हिन्दू संस्कृति को थोपने की हर सम्भव कोशिशों में लगे हैं और इस दिशा में काम करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते है। लव जिहाद और घर वापसी के अपने अभियान के अंतर्गत वे हिन्दू के रूप में पुनः धर्मातरण के विचार को आक्रामक तरीके से जनता के बीच रखते हैं। यह अत्यंत चिंताजनक बात है कि हिन्दूराज कायम करने के नाम पर देश के कुछ हिस्सों में हथियारबंद आतंकवादी साम्प्रदायिक संगठन काम कर रहे है। विचाराधीन समय में हुई अनेक घटनाओं में यह तथ्य उभर कर सामने आये। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन को भटकाने के लिये फरवरी 2020 में दिल्ली को सम्प्रदायिकता की आग में झोंक दिया गया और हाल ही में हरियाणा के मेवात एरिया में तथाकथित ब्रजमंडल यात्रा के नाम पर बजरंग दल व विश्व हिंदू परिषद के हथियारबंद लोगों ने जिस प्रकार अल्पसंख्यकों पर हमले किये वे हमारे सामने हैं। बजरंग दल के कार्यकर्ता अल्पसंख्यकों के प्रति जिस आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करते हैं वे सब जगजाहिर है। हाल ही में भाजपा सांसद ने तो लोकसभा के विशेष सत्र के दौरान दिये भाषण में अल्पसंख्यक विरोधी सोच को संसद में ही स्पष्ट कर दिया है। ये फासिस्टी संगठन चुनाव, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और हमारे संविधान के खुलेआम खिलाफ है। दूसरी ओर जो कोई भी आरएसएस-भाजपा के जनविरोधी, देशविरोधी, दृष्टिकोण से विरोध व्यक्त करता है उसे राष्ट्रविरोधी और देशद्रोही करार दे दिया जाता है। आरएसएस-भाजपा के लोगों ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों पर कई बार हमले किये हैं, उन्हें देश बुरी तरह पीटा गया। ये ताकतें अल्पसंख्यकों के मन में भय पैदा कर रहीं हैं। लेनिन, गांधी, अम्बेडकर, पेरियार एवं अन्य समाज सुधारकों की प्रतिमाओं को तोड़ने-फोड़ने-बिगाड़ने की अनेक घटनाएं घटित की गई है। भाजपा-आरएसएस के फासिस्टी हमलो का लक्ष्य चुनावी मकसदों के लिए लोगों को सम्प्रदायिक एवं जातिय लाइनों पर बाट कर वोटों का ध्रुवीकरण करना है। हमारी आबादी का विशाल बहुमत सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करता रहा है, आर एस एस-भाजपा बेरोजगारी और गरीबी उन्मूलन, समानता, शिक्षा की गुणवत्ता और निजी क्षेत्र में आरक्षण की कभी चर्चा नहीं करते। आरएसएस-भाजपा सरकार लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए सम्प्रदायिक एजेन्डे को आगे बढ़ा रही है। यह सम्मेलन देश के खेत मजदूरों से अपील करता है कि वे भाजपा-आर एस एस की कुटिल चाल में ना फंसे और रोजी, रोटी, मकान, शिक्षा, चिकित्सा आदि मुख्य समस्याओं के समाधान के लिऐ संघर्ष में ध्यान दे। समय आ गया है कि साम्प्रदायिकता और फासिस्टी हमले का पुरजोर विरोध किया जाये और संविधान एवं लोकतन्त्र को बचाने के लिए भाजपा-आर एस एस गठजोड़ को पराजित किया जाये । किसानों की मांगों के समर्थन में प्रस्ताव भारतीय खेत मजदूर का 15वां राष्ट्रीय सम्मेलन देश के किसानों द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर के नीचे भाजपा सरकार द्वारा लाए गए कृषि सम्बंधी 3 काले कानूनों के खिलाफ चलाये गए 13 महीने लम्बे आंदोलन की सराहना करता है और तीनों कानूनों को सरकार द्वारा वापस लेने पर किसानों की जीत के लिए उनका अभिनंदन करता है। सम्मेलन में दलितों के खिलाफ बढ़ते हमले के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया है कि दलितों पर अत्याचार को रोकने के लिए उपयुक्त कदम उठाया जाए। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को मजबूत किया जाए और इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाए। दलितों के खिलाफ हमलों के मामलों में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करो ।असामाजिक गौरक्षक दलों पर प्रतिबंध लगाया जाए। मैला उठाने की प्रथा पर रोक लगाओ और इसके लिए मजबूर लोगों को सुरक्षित वैकल्पिक रोजगार प्रदान करो। दलित भूमिहीन परिवारों को प्राथमिकता के साथ भूमि का वितरण किया जाए। प्री-स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक समान गुणवत्ता की मुफ्त शिक्षा सभी को प्रदान की जाए।शिक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक उपक्रम के निजीकरण को रोका जाए। निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू किया जाये और आरक्षित श्रेणी के तहत भर्ती में बैकलॉग को भरा जाये।अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाए और उसको बढ़ाया जाए। अंतर-विश्वास और अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को सुरक्षा प्रदान की जाए और विशेष विवाह अधिनियम में एक महीने के नोटिस को यह सुनिश्चित करने के लिए निकाला जाता है कि इसके तहत शादी करने वाले जोड़ों को परेशान नहीं किया जाए। प्रतिनिधि सत्र में केरल विधानसभा के उपाध्यक्ष चित्तयम गोपा कुमार,सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय, बीकेएमयू राष्ट्रीय अध्यक्ष एन पेरियासमी, राष्ट्रीय महासचिव गुलजार सिंह गोरिया, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अध्यक्ष व पूर्व सांसद नागेन्द्र नाथ ओझा, केरल सरकार के पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद केई इस्माईल,वी एस सुनील, विधायक सूर्यकान्त पासवान सहित एक हजार से अधिक प्रतिनिधि मौजूद थे।

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