जेएमएम के कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री संथाल टाइगर चंपई दादा भाया कोलकाता दिल्ली पहुंचे।…
अमित कुमार/ कहते हैं नीजी काम से आया हूं.स्वाभाविक है राजनितिक कार्य और व्यक्तिगत कार्य किसी राजनीतिक प्राणी के लिए अलग अलग नहीं हो सकता,अब लाख टके की बात की क्या बीजेपी में जाएंगे?कहा जा सकता है क्यों नहीं?अब जब मुख्यमंत्री रहे काफी अच्छा काम किया फिर बेवजह बेमतलब हड़बड़ी में जेएमएम के युवराज ने बेआबरू कर हटा दिया जबकि चुनाव के महज कुछ महीने बचे हुए थे फिर ऐसा बेवकूफी भरा निर्णय क्यों किया ये हेमंत जी ही जानें और उनके टुच्चे छुटभैय्ये सलाहकार……
पर यह उसी दिन तय हो गया था की चंपई दा को खेल करना लाजिमी और राजनीतिक मजबूरी हो गई है कारण कोई मुख्यमंत्री अब कैबिनेट मंत्री के रूप में उसी ब्यवस्था में काम करे जहां मुख्यमंत्री के रूप में काम कर चुका हो यह बेहद अपमान जनक स्थिति ही कही जाएगी अब जेएमएम अगर केंद्र में भी सत्ता के साथ होती तो केंद्रीय मंत्री बना कर रास्ता निकल सकता था लेकिन यह फिलहाल संभव ही नहीं है और जेएमएम में मुख्यमंत्री तो गुरूजी के बेटा बहू में भी सिर्फ और सिर्फ हेमंत और कल्पना के अलावा किसी के लिए कोई गुंजाइश ही नहीं बचता तो स्वाभाविक परिणति की ओर झारखंड की राजनीति जाता दिख रहा है……
पर लाख टके का सवाल जमशेदपुर से ही आने वाले अर्जुन मुंडा,लाठ साहेबी छोड़ मुख्यमंत्री बनने के लिए पुनः हाथ पांव मार रहे रघुबर दास के साथ साथ जमशेदपुर के जमीन पर ही पांव टिकायें चंपई सोरेन को एक साथ साधना भाजपा नेतृत्व के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा और इन सबसे अलग भाजपा के दुलारे प्यारे बाबू लाल मरांडी की खिचड़ी किस हांडी में कैसे पकेगी या सभी को मोदी शाह मोहरा बनाकर चुनावी नैया पार लगाने के जुगत लगा अपनी राजनीतिक गोटी बस लाल करेंगे देखना बेहद दिलचस्प होगा…..