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किशनगंज : परिवार नियोजन सेवाओं को जनमानस तक पहुँचाने में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए जिला को किया गया पुरस्कृत।

प्रगति के लिए परिवार नियोजन को अपनाना है जरूरी:-मंगल पांडेय

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में परिवार नियोजन को लेकर केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार लगातार अभियान चला रहा है और इसके लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करके लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रम एवं जागरूकता अभियान जिले में रंग ला रहा है। जागरूकता की वजह से परिवार नियोजन कार्यक्रम में किशनगंज जिला सभी जिलों को पछाड़ते हुए आगे निकल गया। जिला को राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। राज्य स्वास्थ्य समिति स्थित परिवार कल्याण भवन में परिवार नियोजन कार्यक्रम पर एक दिवसीय कार्यशाला सह समीक्षा कार्यक्रम के दौरान जिले को परिवार नियोजन में प्रथम स्थान के लिए पुरस्कृत किया गया है। परिवार नियोजन समय की जरूरत है और इसके साधनों को अपनाकर छोटा और सीमित परिवार अपनाकर ही सबके लिए प्रगति का मार्ग खुलेगा। राज्य में प्रति वर्ग किलोमीटर जनसँख्या का घनत्व देश में सर्वाधिक 1106 व्यक्ति प्रति किलोमीटर है। इससे उपलब्ध संसाधनों पर दबाव स्पष्ट दिख रहा और यह सबकी प्रगति में बाधक साबित हो रहा है। उक्त बातें स्वास्थ्य मंत्री, बिहार सरकार, मंगल पांडेय ने राज्य स्वास्थ्य समिति स्थित परिवार कल्याण भवन में परिवार नियोजन कार्यक्रम के एक दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कही। इस समीक्षा सह तकनीकी उन्मुखीकरण कार्यशाला में किशनगंज जिला की तरफ से अपर मुख्य चिकित्षा पदाधिकारी डॉ सुरेश प्रशाद एवं प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक कौशल कुमार शामिल हुए। कार्यशाला को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि कुल प्रजनन दर में आशा के अनुरूप गिरावट दर्ज करने के लिए सभी को जमीनी स्तर पर मिशन मोड में काम करने की जरूरत है। परिवार नियोजन सेवाओं को जनमानस तक पहुंचाने में राज्य ने अच्छी उपलब्धि हासिल की है। लेकिन अभी भी सभी तक सेवाओं को पहुंचाने के लिए साझा प्रयास की जरूरत है। राज्य ने गर्भ निरोधन प्रचालन दर, अपूरित मांग तथा परिवन नियोजन के साधनों के मानकों में सुधार दिखाया है। बढ़ती जनसँख्या पर अंकुश लगाने एवं जनसँख्या स्थिरीकरण के साथ ही निवासियों के स्वास्थ्य सुधार के लिए विभाग लगातार प्रयासरत है। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुरेश प्रसाद ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि पुरुष नसबंदी महिला बंध्याकरण से काफी आसान और सुविधाजनक होता है। पुरुष नसबंदी को लेकर पुरुषों में अभी भी भ्रम फैला हुआ है कि नसबंदी कराने से कमजोरी आती और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। उन्होंने बताया कि पुरुष नसबंदी के बाद पुरुषों में किसी प्रकार की कमजोरी नहीं आती है। वे लोग सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। पुरुष नसबंदी काफी सुविधाजनक हो गया है। नसबंदी के आधे से 1 घंटे के भीतर पुरुष को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। एसीएमओ ने बताया कि पुरुषों को नसबंदी के बाद महिलाओं से अधिक प्रोत्साहन राशि भी प्रदान किया जाता है। अब पुरुष नसबंदी को लेकर आगे आ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह भ्रामक बातों से दूरी और जागरूकता को माना जा सकता है।

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