प्रमुख खबरें

‘राजनीतिक रणनीतिकार से कंपनी राज तक?’’

मुकेश कुमार/बिहार प्रदेश जनता दल यूनाइटेड के मुख्य प्रवक्ता और बिहार विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार, प्रदेश सचिव मोहित प्रकाश और जदयू नेता अजीत पटेल ने आज एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर की राजनीतिक गतिविधियों और उनके द्वारा संचालित वित्तीय स्रोतों को लेकर गंभीर सवाल उठाए। इस दौरान उन्होंने प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज और उसके संचालन पर कई अहम बिंदुओं पर चर्चा की।

नेताओं ने संयुक्तरूप से कहा कि, ‘‘प्रशांत किशोर अपनी राजनीतिक यात्रा में असत्य बोल रहे हैं। वे खुद को एक राजनीतिक रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के संस्थापक के रूप में प्रस्तुत करते हैं, लेकिन उनकी हालिया गतिविधियाँ और उनके वित्तीय स्रोत सवालों के घेरे में हैं। बिहार की जनता के लिए यह जानना बेहद आवश्यक है कि उनकी पार्टी में करोड़ों रुपये का निवेश कहाँ से हो रहा है।’’

उन्‍होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर ने अपनी राजनीतिक पार्टी के नाम पर कई गड़बड़ियाँ की हैं। जन सुराज पार्टी की स्थापना 28 अगस्त 2023 को हुई, जबकि इसका औपचारिक ऐलान गांधी जयंती 2 अक्टूबर 2024 को किया गया था। इस दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि पार्टी के पास कोई वित्तीय कमी नहीं है, जबकि पार्टी के अतिपिछड़ा प्रकोष्‍ठ के प्रदेश अध्यक्ष रामबली सिंह ने कहा कि पार्टी का बैंक खाता नहीं है। यह विरोधाभास दर्शाता है कि पार्टी में वित्तीय गड़बड़ी है।

नीरज कुमार का कहना था कि यह पहली राजनीतिक पार्टी है जो एक कंपनी द्वारा संचालित हो रही है। प्रशांत किशोर और उनका संगठन लोकतंत्र को खतरे में डाल रहे हैं। जन सुराज पार्टी को जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन से फंडिंग मिल रही है, जो कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड है। यह चैरिटेबल फाउंडेशन के नाम पर राजनीतिक गतिविधियाँ चला रही है, जो टैक्स अनियमितता के एक बड़े मामले को जन्म देता है।

इस फाउंडेशन के वित्तीय लेन-देन में भी गंभीर अनियमितताएँ पाई गई हैं। फाउंडेशन ने 2023-24 के दौरान ₹48.75 करोड़ डोनेशन प्राप्त किया, जो विभिन्न कंपनियों से आया, लेकिन इन कंपनियों की पूंजी से कहीं अधिक राशि डोनेट की गई। यह गंभीर सवाल उठाता है कि क्या यह डोनेशन सही तरीके से किया गया था या इसमें कोई गड़बड़ी थी।

उन्‍होंने इस मुद्दे पर भी सवाल उठाया कि क्या प्रशांत किशोर और जॉय ऑफ गिविंग ग्लोबल फाउंडेशन कंपनी के बीच कोई वित्तीय और राजनीतिक गठबंधन है? लाखों रुपये का डोनेशन दे रहे हैं। यह एक गंभीर वित्तीय और कानूनी समस्या को जन्म देता है।

प्रशांत किशोर को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी पार्टी और इस फाउंडेशन के बीच क्या संबंध है और उन्होंने स्वयं ₹50 लाख डोनेशन क्यों किया। क्या यह उनके व्यक्तिगत आय स्रोत से था? क्या यह टैक्स चोरी का हिस्सा है?

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा गया कि प्रशांत किशोर को जनता के सामने अपनी आय के स्रोत और पार्टी के वित्तीय गतिविधियों को लेकर स्पष्टीकरण देना चाहिए। “यह लोकतंत्र और पारदर्शिता के खिलाफ है कि एक चैरिटेबल फाउंडेशन के नाम पर राजनीतिक दल को चलाया जाए और टैक्स में छूट का लाभ उठाया जाए“ और जदयू पूरी तरह से इस मुद्दे को लेकर सक्रिय रहेगा और प्रशांत किशोर की गतिविधियों की जाँच की जाएगी।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button