पटना : बिहार से बाहर फंसे हुए लोगों को बिहार में लाना सराहनीय कदम:-आरके सिन्हा पूर्व सांसद

पटना/रणजीत कुमार सिन्हा, गृह मंत्रालय द्वारा विस्तृत गाईडलाईन्स जारी किये जाने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने प्रवासी मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को देश के विभिन्न भागों से बिहार उनके जिलों में ले जाने का जो निर्णय किया है, उसका मैं स्वागत करता हूँ।कुछ लोग प्रश्न यह उठा रहे हैं कि यह निर्णय पहले ही क्यों नहीं दिया गया।मैं आम जनता को बताना चाहता हूँ कि यह निर्णय पहले इसलिए नहीं लिया गया क्योंकि देश में संक्रमित व्यक्तियों के दुगने होने की संख्या तीन दिन थी, अब वह ग्यारह दिन हो गयी है।अब स्थिति पहले की अपेक्षा चार गुणा बेहतर नियंत्रण में है, इसलिए अब छात्रों, प्रवासी मजदूरों का प्रवास करना ज्यादा बेहतर होगा और उन पर खतरा भी कम होगा।लेकिन, मैं एक प्रश्न उठाना चाहता हूँ कि प्रवासी मजदूरों को लेकर जो विवाद आज विपक्ष खड़ा कर रहा है तो प्रवासी मजदूर बिहार से बाहर गये क्यों ? जब बिहार-झारखंड का बंटवारा (1999-2000) में हुई उसी समय बिहार के नौजवानों को भयंकर बेरोजगारी का सामना करना पड़ा था और बिहार से नवयुवकों का पलायन शुरू हुआ।हमलोग उन दिनों विपक्ष में थे।मैंने स्वयं कई बार तत्कालीन मुख्यमंत्री को पलायन रोकने के लिए कारगर उपाय करने को कहा।कई सुझाव भी दिये।परन्तु, उस वक्त तो उनका सारा ध्यान “चरवाहा-विद्यालयों” को खोलने पर था।अब वही लोग पलायन पर सवाल खड़े कर रहे हैं।