पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने कहा कि केंद्रीय बजट में बिहार की उपेक्षा की गई है।
कुणाल कुमार /बजट में किसान, मजदूर, महिलाओं, युवाओं और बेरोजगारों का ध्यान नहीं रखा गया है। जिन योजनाओं की घोषणा की गई है, वह पुरानी है। महंगाई और बेरोजगारी कम करने की कोई ठोस घोषणा नहीं की गई। बजट पूरी तरह पूंजीपतियों के हित में तैयार किया गया है। यह बजट जन विरोधी और पूंजीपतियों का हितैषी है।
भाकपा राज्य सचिव ने कहा कि 2025-26 का केंद्रीय बजट वैश्विक नीतिगत अनिश्चितताओं के पीछे भाजपा-शासन के पिछले 10 वर्षों की विफलताओं को छिपाने की एक कपटपूर्ण कवायद है। भाजपा की कॉर्पोरेट-समर्थक नीति-निर्धारण और कष्टकारी निर्णयों के कारण आम लोगों को व्यापक दुखों का सामना करना पड़ा है और सरकार ऐसे समय में बेशर्मी से अपनी विफलताओं को बाहरी विकासों पर छिपाने की कोशिश कर रही है, जब कच्चे तेल की कीमतें पहले की तुलना में अनुकूल बनी हुई हैं।
भाजपा ने फिर से रोजगार सृजन पर बयानबाजी की है, लेकिन कार्यान्वयन में बड़े पैमाने पर विफल रही है। पीएम मोदी एक दशक पहले प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरियाँ देने का वादा किया था। यानी अब तक कुल मिलाकर 20 करोड़ नौकरियां होनी चाहिए थीं। बेरोजगारी से युवा बेचौन है लेकिन भाजपा के लिए सिर्फ बयानबाजी ही मायने रखती है। शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए आवंटन स्थिर बना हुआ है। सरकारी प्राप्तियों में अप्रत्यक्ष करों का हिस्सा कॉर्पोरेट टैक्स से अधिक है, जिससे पता चलता है कि सरकार आम लोगों पर बोझ डाल रही है। बजट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार युवाओं, महिलाओं, गरीबों और किसानों पर केवल शोर मचाती है, जबकि विशेष रूप से कॉर्पोरेट हित को आगे बढ़ाती है।