लगा दाग मिटेंगे नहीं,सुन सिहर जाता है रोए…

आजकल भीड़ की हिंसा चिंता की विषय बन गया है।
2018 बीत गए, एक दूसरे को बधाई देते, खुशी का इजहार करते नए साल में प्रवेश कर गए।लेकिन बिहार में 2018 में घटी कुछ घटनाओं का जिक्र करने से भी जेहन में डर पैदा हो जाता है।आइये कुछ बड़ी घटनाओं पर नजर डालते है।जिनके सोचने मात्र से रूह कांप जाती है एवं सुशासन की सरकार में बदनुमा दाग लग गए।बिहार में हमेशा कोई न कोई घटनाएं होती है।जो देश मे चर्चा के विषय बन जाता हैं और तो और यहां होने वाले घोटाले भी चर्चित रहते है क्योकि यहां के नेता खाना और पैखाना भी खाने से नहीं चूकते।2018 में हुई प्रमुख घटनाएं,जिन्होंने बिहार सरकार की छवि पर बदनुमा दाग लगा दिए है वह है…
महाबोधि मंदिर बम विस्फोट:-19 जनवरी को आतंकियों ने बोधगया में विस्फोट को अंजाम दिया जब बौद्ध गुरु दलाई लामा की बोधगया में ही मौजूदगी थी।इस विस्फोट से सुरक्षा व्यवस्था की पोल तो खुल ही गयी साथ ही साथ इस घटना से बिहार को अंतराष्ट्रीय स्तर बदनामी भी पर हुई।चर्चा है कि म्यामार में रोहंगिया आतंकियों के मारे जाने का बदला लेने के उद्देश्य से गया में दलाई लामा की मौजूदगी में ही विस्फोट कराया गया।हालांकि बोधगया तक बम पहुंचाने वाले आतंकी हजीबुल्ला को कोलकाता टास्क फोर्स ने बंड़ेल स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया है।
भागलपुर में बिगड़ा माहौल:-5 मार्च को हिन्दू नववर्ष के अवसर पर निकले जुलूस के बाद हिंसा हुई जिसकी आग पूरी तेजी से पांच अन्य जिलों में फैल गयी।100 के करीब घायल हुए जबकि 150 से ज्यादा लोगो को हिरासत में लेना पड़ा।भागलपुर में बिगड़े माहौल में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत पर साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ने का आरोप लगा था उस समय केंद्रीय मंत्री के बयान आ जाने से लोग हतप्रभ हो गए क्योकि चौबे न कह दिया कि मुझे गर्व है अपने बेटे पर, क्या जुलूस निकालना गलत है, भारत माता की जय कहना गलत है, अर्जित पर लगा आरोप निराधार है।हालांकि अर्जित शाश्वत को पटना पुलिस ने हनुमान मंदिर में पूजा करने के दौरान अरेस्ट कर लिया।बिहार में जहां साम्प्रदायिक सद्भाव की तारीफ की जाती रही है, लेकिन यह घटना ने सद्भाव की पोल खोल दी।
आदित्य हत्या कांड:-7 मई की काली रात ने एक बिजनेसमैन के घर के एकलौते चिराग को बुझा दिया।गाड़ी का पास नहीं मिलने से नाराज जदयू के एमएलसी मनोरमा देवी एवं गया कि दबंग बिंदी यादव के बेटा रॉकी यादव ने आदित्य को गोली मार दिया, जिनसे घटना स्थल पर मौत हो गई।यह घटना झकझोर देने वाली थी।बहुतों ने अपनी गाड़ी के पीछे यह लिखवा कर चलना शुरू कर दिया था कि “कृपया गोली न मारे,जगह मिलते ही साइड दिया जाएगा”।इस घटना से सरकार की खूब किरकिरी हुई।
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड:-31 मई को प्रकाश में आने वाला यह घटना बिहार की सुशासन सरकार पर एक ऐसा बदनुमा दाग लगा दिया,जो कभी मिट ही नही सकता।बालिका गृह में एक रसूखदार ब्रजेश ठाकुर द्वारा 44 बच्चीयों का शोषण सरकार की साठगांठ से चल रहा था।जब इसकी भनक तात्कालीन एसएसपी मुजफ्फरपुर हरप्रीत कौर को लगी 11 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया।ब्रजेश ठाकुर की गिरफ्तारी की गयी।यह मामला देश के कोने-कोने में आग की तरह फैल गयी समाज कल्याण मंत्री के ऊपर दबाव बनाकर इस्तीफा दिलाया गया।फिर वह कुछ दिनों के लिए अंदर ग्राउंड हो गयी लेकिन पुलिस की दबाव के चलते उंन्हे कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा।इस कांड की जांच में लापरवाही एवं धीमी होने कारण बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट से कई बार फटकार सुननी पड़ी।सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार के पूरे बालिका गृह की जांच चल रही है।
बेगूसराय की घटना:-7 सितंबर को बेगुसराय में भीड़ की हिंसा ने फिर एक बार कानून को हाथ मे ले लिया।छौड़ाही में एक बच्ची को अगवा करने के लिए दिन के 10 बजे स्कूल में 2 बाइक से चार अपराधी आते है, एवं प्रिंसिपल से एक छात्रा का डिटेल्स पूछते है, प्रिंसिपल ने बताया कि आज वह स्कूल नहीं आयी है तो वह प्रिंसिपल पर पिस्तौल तान देते है।प्रिंसिपल बेहोश हो जाती है, इस घटना को देख छात्र शोर मचा दिए तो भीड़ जुट गयी एवं इसमें शामिल तीन लोगों को लाठी डंडे एवं रड से मारकर हत्या कर दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सख्ती दिखाए जाने के बाद भी लोग कानून को हाथ मे लेने से नहीं डर रहे है एवं मोब लॉन्चिंग की घटनाएं हो ही जा रही है।इसमें 6 नामजद एवं 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है।
गुंजन खेमका हत्याकांड:-19 दिसम्बर को बिहार के प्रसिद्ध व्यवासयी गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका को वैशाली के इंडस्ट्रीयल इलाके में उनकी कम्पनी के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दिया गया।वह अपनी गाड़ी में बैठे ही थे कि एक काले रंग की हेलमेट पहने हुए शख्स ने लगातार फायरिंग कर गोलियों से भून डाला एवं चलता बना।वर्ष के अंत मे हुई इस घटना ने बिहार के व्यवसायियों को बहुत नाराज कर दिया एवं इसके खिलाफ वह पटना की सड़कों पर भी मार्च करते नजर आए।पुलिस मामले के छान बिन में जुटी हुई है एवं इस केश के उद्भेदन के लिए तेज तर्रार पुलिस अधिकारी महेंद्र कुमार बसन्त्री को लगाया है। बिहार में हुए उपरोक्त घटना ने फिर एक बार बिहार की सुशासन को जंगलराज पार्ट 2 के नाम होने की चर्चा में ला दिया है।