नीतीश सरकार ने कमिश्नर को ‘ढाई करोड़’ तो डीएम को ‘एक करोड़’ वाला दिया पावर, जानिए क्या होगा फायदा?
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त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार सरकार ने जिलाधिकारियों (DM) और डिविजनल कमिश्नर को और अधिकार दिए हैं। इससे शहरी विकास और जमीन अधिग्रहण के कामों में तेजी आएगी। DM अब एक करोड़ तक की और आयुक्त ढाई करोड़ तक की शहरी विकास योजनाओं को मंजूरी दे सकेंगे। जमीन के मुआवजे के मामलों में भी DM के अधिकार बढ़ाए गए हैं।
बिहार में कमिश्नर और डीएम की पावर बढ़ी
बिहार सरकार ने DM और कमिश्नर की शक्तियों को बढ़ा दिया है। अब मुख्यमंत्री समग्र शहरी विकास योजना के तहत आने वाली योजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार DM और कमिश्नर के पास भी होगा। इससे शहरी विकास के कामों में तेजी आने की उम्मीद है। इसके अलावा, जमीन अधिग्रहण के मामलों में मुआवजा देने के लिए DM और कमिश्नर के वित्तीय अधिकार भी बढ़ा दिए गए हैं।
डीएम ‘एक करोड़’ तो कमिश्नर ‘ढाई करोड़’ पावर वाले
शहरी विकास के लिए, DM एक करोड़ रुपये तक की योजनाओं को मंजूरी दे सकेंगे, जबकि कमिश्नर ढाई करोड़ रुपये तक की योजनाओं को मंजूरी दे पाएंगे। यह मुख्यमंत्री समग्र शहरी विकास योजना के तहत होगा। इससे छोटी योजनाओं के लिए राज्य सरकार के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और काम जल्दी हो सकेगा। सरकार का मानना है कि इससे शहरी इलाकों का विकास तेजी से होगा।
भूमि अधिग्रहण के काम में आएगी तेजी
जमीन अधिग्रहण के मामलों में, DM को मुआवजा देने, बजट बनाने और भूमि अधिग्रहण पंचाट की घोषणा करने के लिए ज्यादा वित्तीय अधिकार दिए गए हैं। केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। इनमें सड़क, पुल, अस्पताल, स्कूल और अन्य विकास परियोजनाएं शामिल हैं। अधिग्रहित जमीन का मुआवजा तय करने के लिए DM और कमिश्नर जिम्मेदार हैं। DM के अधिकार बढ़ने से मुआवजे का काम तेजी से होगा और लोगों को जल्दी पैसा मिलेगा। इससे विकास परियोजनाओं में देरी भी कम होगी।