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किशनगंज : फाइलेरिया रोग की पहचान को जिले में 19 जून से शुरू होगा नाइट ब्लड सर्वे, तैयारी पूरी

नाइट ब्लड सर्वे के दौरान जरूर करवाएं जांच: प्रभारी जिलाधिकारी

  • 7 प्रखण्डों के कुल सात गांवों एवं एक शहरी क्षेत्र में एक साथ शुरू होगा अभियान

किशनगंज, 18 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर चलाए जा रहे अभियान के तहत जिले में सोमवार से सेंटिनल जांच हेतु नाइट ब्लड सर्वे की शुरुआत की जाएगी। जिले के सभी 7 प्रखंडों में एवं किशनगंज शहरी क्षेत्र में सोमवार की रात्रि 8 बजे से अभियान की शुरुआत की जाएगी। इसके लिए जिला फाइलेरिया विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर आगामी 10 अगस्त से जिले में एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) सर्वजन दवा सेवन अभियान की शुरुआत होनी है। उसके पूर्व लोगों में मौजूद फाइलेरिया के परजीवी की पहचान को लेकर नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत लोगों के खून का सैंपल लेकर फाइलेरिया परजीवी की जांच की जाएगी। प्रत्येक प्रखंड में एक सेंटिनल साइट का चयन किया गया है। प्रत्येक गांव से 300-300 सैंपल लिए जाएंगे। रक्त की सैंपल की जांच के बाद माइक्रोफाइलेरिया दर का पता चलेगा। 1 प्रतिशत से कम माइक्रोफाइलेरिया दर वाले गांव में एमडीए अभियान नहीं चलाया जाएगा, जबकि एक प्रतिशत से अधिक माइक्रो फाइलेरिया दर वाले गांव में अभियान चलाया जाएगा। सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने रविवार को बताया कि फलेरिया जांच के लिए रक्त संग्रह को लेकर जिले के 7 प्रखंडों एवं शहरी क्षेत्र में सेंटिनल जांच शिविर का आयोजन किया जाएगा। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा० आलम ने बताया कि सेंटिनल जांच नाइट ब्लड सर्वे के लिये किशनगंज ग्रामीण से बेलवा के छागालिया वार्ड सं०-12 वहीं शहरी क्षेत्र में धरमगंज वार्ड सं०-11 बहादुरगंज प्रखंड के नटुआपाडा के बराहडांगा वार्ड सं०-15 कोचाधामन प्रखंड के मस्जिदगढ़ के सिंघिया वार्ड सं०-01 दिघलबैंक प्रखंड में दोगाछी के अठगछिया वार्ड सं०-13 टेढागाछ प्रखंड में गमहरिया के खुरखुरिया ग्राम ठाकुरगंज प्रखंड में बेसरबाटी वार्ड सं०-04 एवं 06, पोठिया प्रखंड में बुधरा वार्ड सं०-12 में सेंटिनल जांच हेतु नाइट ब्लड सर्वे के लिये सेशन साइट संचालित किया जाएगा। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा० आलम ने बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है। यह बीमारी फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलती है। यह मच्छर क्यूलेक्स एवं मेमसोनाइडिस प्रजाति के होते हैं। जिसमें मच्छर एक धागे के समान परजीवी को छोड़ता है और वह परजीवी हमारे शरीर में प्रवेश कर जाता है। इस बीमारी का लक्षण 10 से 12 वर्षों के बाद दिखाई देता है। इस बीमारी की पहचान के लिए रात में ही ब्लड का सैंपल लेकर जांच की जाती है। सैंपल के माध्यम से लोगों में मौजूद परजीवी की जांच की जाती है। उन्होंने बताया कि लोगों के शरीर में मौजूद परजीवी मुख्यतः रात में 8 बजे के बाद ही सक्रिय होते हैं। इसलिए इसकी जांच रात्रि 8 से लेकर रात्रि 12 बजे तक की जाती है। फिलहाल यह जांच साल में एक बार ही की जाती है। प्रभारी जिलाधिकारी स्पर्श गुप्ता ने बताया कि फाइलेरिया कभी ना ठीक होने वाली बीमारी है। यदि एक बार हो जाए तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता है। परंतु फाइलेरिया की पहचान होने पर दवा खा कर उसे आगे बढ़ने से रोका जा सकता है। इसलिए 10 अगस्त से शुरू हो रहे सर्वजन दवा सेवन अभियान में फाइलेरिया की खुराक जरूर खाएं। इसके पूर्व 19 से 24 जून तक चलने वाले नाइट ब्लड सर्वे अभियान में हिस्सा लेकर फाइलेरिया जांच जरूर करवाएं क्योंकि यही एक माध्यम है जिससे फाइलेरिया होने की पुष्टि होती है। डा० मंजर आलम ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया के प्रसार को रोकना है। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी जांच करा सकते हैं। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया या हाथी पांव के लक्षण सामान्य रूप से शुरू में दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन इसके परजीवी शरीर में प्रवेश करने के बाद इसका लक्षण लगभग पांच से दस सालों बाद दिखाई दे सकता है। इसलिए सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी इसकी जांच कराएं। फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। यह साइलेंट रहकर शरीर को खराब करती है। फाइलेरिया एक परजीवी रोग है, जो एक कृमि जनित मच्छर से फैलने वाला रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते लेकिन बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसील की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है।

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