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नए भारत की नई पहचान : प्रशासनिक संस्थानों के नामों में परिवर्तन स्वागतयोग्य — डॉ. संतोष कुमार सुमन

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार सरकार के लघु जल संसाधन मंत्री एवं हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार सुमन ने देश के प्रमुख प्रशासनिक संस्थानों के नामों में किए गए ऐतिहासिक परिवर्तनों का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम मा० प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में उभरते नए भारत की नई सोच और नई प्रशासनिक संस्कृति का परिचायक है।

डॉ. सुमन ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) परिसर का नया नाम ‘सेवा तीर्थ’ किया जाना केवल औपचारिक परिवर्तन नहीं, बल्कि यह उस मूल भावना का प्रत्यक्ष प्रतीक है कि शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता जनता की निःस्वार्थ सेवा है। उन्होंने कहा कि ‘सेवा तीर्थ’ प्रशासनिक ढांचे में संवेदनशीलता, जिम्मेदारी और सेवा-भाव को और अधिक सुदृढ़ करेगा।

उन्होंने आगे कहा कि देशभर के राजभवनों का नाम ‘लोकभवन’ किया जाना लोकतांत्रिक व्यवस्था को जनसामान्य के और निकट लाने का महत्वपूर्ण प्रयास है। यह स्पष्ट संदेश है कि संवैधानिक संस्थाएँ जनता से दूर नहीं, बल्कि जनता के लिए और जनता के साथ कार्य करने वाली संस्थाएँ हैं।

इसी क्रम में केंद्रीय सचिवालय का नाम ‘कर्तव्य भवन’ रखा जाना, शासन-व्यवस्था के मूल आदर्श—राष्ट्रहित, जनकल्याण और जिम्मेदार प्रशासन—को पुनर्परिभाषित करता है। डॉ. सुमन ने कहा कि यह परिवर्तन न केवल सरकारी मशीनरी को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक करेगा बल्कि आम नागरिकों में भी राष्ट्र-निर्माण के प्रति साझा उत्तरदायित्व की भावना को मजबूत करेगा।

डॉ. सुमन ने कहा कि यह सभी निर्णय ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण और दूरदर्शी कदम हैं। उन्होंने यह भी कहा कि “ये परिवर्तन प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि भारत की शासन-व्यवस्था में मूल्य, आदर्श और कर्तव्य को सर्वोपरि मानने की नई परंपरा की शुरुआत है।”

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