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नई दिल्ली : कहीं बेटा श्रवण कुमार बना दिख रहा है तो कहीं पिता अपनी बेटी को कंधे पर बिठाए लिए जा रहा है..

नईदिल्ली/संवाददाता, इन दिनों देश के तमाम राज्यों की सड़कों पर पैदल चलते प्रवासी मजदूर ही दिखाई दे रहे हैं।इनमें से कई मजदूरों की हालत देखकर तो लोगों का दिल दहल जा रहा है।कहीं छोटे बच्चे अपनी मॉओं के सीने से चिपके लंबी दूरी तय कर रहे हैं तो कहीं पति साइकिल पर अपनी जीवन संगिनी को लेकर जाते दिख रहे हैं।कहीं बेटा श्रवण कुमार बना दिख रहा है तो कहीं पिता अपनी बेटी को कंधे पर बिठाए लिए जा रहा है।कहीं खुद भूखी रहकर अपने बच्चे को सड़क किनारे बैठी खाना खिलाते दिख रही हैं तो कहीं पैदल चलते-चलते थक चुके लोग पेड़ की छांव में सुस्ताते हुए दिख रहे हैं।तस्वीरों के जरिए हम आपको देश के अलग-अलग हिस्सों में दिखा रहे मजदूरों का हाल:-  लखनऊ में बच्चे को ट्राली पर बिठाकर ले जाते परिवार के सदस्य। जालंधर में प्रवासी मजदूर इसी तरह से लाइन लगाकर अपने गांव की ओर जाने के लिए लाइन में लगे रहे।यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं दिखा। जबलपुर में इस तरह से ट्रकों में बैठकर घर जाने के लिए मजबूर मजदूर। देशभर में कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन के दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से विशेष ट्रेंने चलाई जा रही है।मगर जिनको ट्रेनों में टिकट उपलब्ध नहीं हुआ वो लोग परिवार सहित सिर पर सामान लिए पैदल ही कलकत्ता के लिए निकल गए।बहादुर शाह जफर मार्ग से सिर पर सामान लेकर जाते परिवार सहित लोग। इलाहाबाद में रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से अपने घर जाने की तैयारी में मजदूर।ट्रेंने कम और मजदूर अधिक होने की वजह से यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाया। उत्तर प्रदेश के गोंडा में अपने घर जाने के दौरान थककर चूर होने के बाद सड़क किनारे बैठकर सुस्ताता परिवार।गर्मी की वजह से तमाम तरह के बर्तनों में पानी भरकर भी साथ ले चलते हैं मजदूर।हैदराबाद में इस तरह से बंद ट्राले में बैठकर अपने घरों को जाने के लिए मजबूर मजदूर।सरकारी साधन न होने की वजह से मजदूरों को ऐसे बंद ट्राले में भी चोरी छिपकर अपने घर जाना पड़ा। हैदराबाद में जब घर जाने के लिए निकले थे तो पैरों में चप्पल थी। इतनी लंबी दूरी तय कर ली कि चप्पल में ही छेद हो गया, थककर सुस्ताते हुए मजदूर अपनी चप्पल में हुए छेद को देखते हुए। जालंधर में अपने घर जाने के लिए प्रवासी मजदूरों की इस तरह से लगी हुई थी लाइन।हजारों की संख्या में मजदूर इस तरह से अपने घरों को वापस जाने के लिए साधन का इंतजार करते रहे। यूपी के मथुरा में जब ट्रेनें और बसें बंद हो गई तो मजदूर इस तरह से एक ही ट्रक में बैठकर अपने घरों के लिए निकल पड़े।ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना से बचने के लिए बताए गए सुझाव फेल हो गए।
नोएडा से पलायन करता प्रवासी मजदूर परिवार।पुलिस को अपना टिकट दिखाकर स्टेशन जाने की गुहार लगाता हुआ। नोएडा में ही अपने घर जाने के लिए लाइन में बैठे हुए प्रवासी मजदूर।इन सभी को अपने-अपने गांव जाना है।मगर यहां ये सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भूल गए। संख्या अधिक होने के कारण पुलिस भी इन मजदूरों से ऐसे नियमों का पालन नहीं करवा पाती। मुंबई के थाने में इस तरह से ट्रकों में बैठकर अपने घर को जाने के लिए निकले प्रवासी मजदूर।किसी ट्रक में एक ही साथ में बैठे दिखे मजदूर तो किसी में पार्टीशन करके बनाए गए दूसरी फ्लोर पर भी इसी तरह से बैठकर निकले मजदूर।यूपी में अपने घर जाने के लिए लाइन में लगे प्रवासी मजदूर।हजारों की संख्या में रोजाना मजदूर इसी तरह से निकलकर अपने गांव की ओर चले गए। 

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